इंडिया रिपोर्टर लाइव
लखनऊ 10 मार्च 2022। उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव नतीजे गुरुवार को आ गए। इसने तस्वीर साफ कर दी। यूपी में योगी सरकार की वापसी का रास्ता साफ है। चुनाव में वोट शेयर के आंकड़ों को देखना दिचचस्प है। बीजेपी का वोट शेयर कमोबेश पिछले चुनाव जितना है। इसके बावजूद भगवा पार्टी की सीटें घटी हैं। वहीं, आंकड़ों के विश्लेषण से साफ लगता है कि बहुजन समाज पार्टी का वोट समाजवादी पार्टी में ट्रांसफर हुआ है। इसने सपा की सीटें तो बढ़ाई हैं। लेकिन, वह सत्ता से दूर रह गई है। राज्य में पहले एक पैटर्न था। जिस पार्टी का वोट शेयर 30 फीसदी से ज्यादा होता था, अक्सर वह सरकार बना लेती थी। लेकिन, पिछले विधानसभा चुनाव से यह ट्रेंड खत्म हो गया।
2017 में बीजेपी के वोट शेयर में आया तेज उछाल
2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 15 फीसदी वोट मिले थे। इसके मुकाबले 2017 में उसका वोट शेयर उछलकर 40 फीसदी हो गया। वोट शेयर में इस 25 फीसदी की बढ़त के कारण उसे 265 सीटों का फायदा हुआ था। 403 सीटों वाली यूपी विधानसभा में 2012 में बीजेपी को 47 सीटें मिली थीं। ये 2017 में बढ़कर 312 हो गई थीं। वोट शेयर की बात करें तो यूपी चुनाव 2022 में भी बीजेपी का वोट शेयर करीब पिछले चुनाव जितना 41.84 फीसदी है। हालांकि, 312 के मुकाबले उसकी सीटें घट गई हैं। रुझानों के अनुसार, उसे 270 के आसपास सीटें मिलती दिख रही हैं। इसका मतलब यह हुआ कि वोट शेयर में इजाफे के बावजूद उसे सीटों के लिहाज से नुकसान हुआ है।
सपा का वोट शेयर बढ़ा फिर भी रह गई सत्ता से दूर
अब बात करते हैं बीजेपी की सबसे निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी की। 2017 में सपा का वोट प्रतिशत करीब 22 फीसदी था। जबकि उसके हाथ 47 सीटें लगी थीं। और पीछे चलें तो पाएंगे कि 2012 में पार्टी को 29.2 फीसदी वोट मिले थे। तब वह 224 सीटों के साथ सत्ता में आई थी। इसका मतलब यह हुआ कि सात फीसदी वोट शेयर घटने पर सपा की सीटों में 177 का अंतर आ गया। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार, 2022 के चुनाव में सपा का वोट शेयर 31.9 फीसदी रहा है। यानी पिछले दोनों चुनाव के मुकाबले उसे कहीं ज्यादा वोट मिले। लेकिन, वह 134 सीटों पर सिमट कर रह गई।
सपा का वोट शेयर बढ़ा फिर भी रह गई सत्ता से दूर
अब बात करते हैं बीजेपी की सबसे निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी की। 2017 में सपा का वोट प्रतिशत करीब 22 फीसदी था। जबकि उसके हाथ 47 सीटें लगी थीं। और पीछे चलें तो पाएंगे कि 2012 में पार्टी को 29.2 फीसदी वोट मिले थे। तब वह 224 सीटों के साथ सत्ता में आई थी। इसका मतलब यह हुआ कि सात फीसदी वोट शेयर घटने पर सपा की सीटों में 177 का अंतर आ गया। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार, 2022 के चुनाव में सपा का वोट शेयर 31.9 फीसदी रहा है। यानी पिछले दोनों चुनाव के मुकाबले उसे कहीं ज्यादा वोट मिले। लेकिन, वह 134 सीटों पर सिमट कर रह गई।
वोट शेयर घटने से साफ हुई बीएसपी
अब बहुजन समान पार्टी यानी बीएसपी की स्थिति को समझते हैं। 2012 के चुनाव में बीएसपी का वोट शेयर 25.9 फीसदी रहा था। इस वोट शेयर के कारण उसे 80 सीटें मिली थीं। फिर 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी को 22.4 फीसदी वोट मिले। हालांकि, वोट प्रतिशत में करीब 4 फीसदी की कमी आने से उसकी सीटें 80 से घटकर 19 रह गईं। 2022 के चुनाव में बीएसपी का वोट शेयर और घटा है। यह कम होकर 12.7 फीसदी रह गया है। हालांकि, इस कमी के चलते वह राज्य से करीब-करीब साफ हो गई है। उसे एक सीट मिलते हुए दिख रही है। आंकड़ों के इस विश्लेषण से यह भी साफ हो जाता है कि बीएसपी का वोटर बीजेपी के बजाय अखिलेश की समाजवादी पार्टी में गया है। हालांकि, इस वोट बैंक के मूव कर जाने के बावजूद यह सीटों को निकालने में कामयाब नहीं रहा। वोट शेयर का यही पेचीदा गणित है। इसमें बिल्कुल जरूरी नहीं है कि वोट शेयर बढ़ने से पार्टी को भी उतना ही फायदा हो। जैसा कि हमने ऊपर के मामलों में देखा। यानी वोट शेयर बढ़ना गारंटी नहीं है कि वह किसी पार्टी को जीत के मुकाम तक पहुंचा देगी।