वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 500 परियोजनाओं में 1.22 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करेगी कोल इंडिया: प्रल्हाद जोशी

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कोल इंडिया की वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 32,696 करोड़ रुपए कोयला निकासी

2023-24 तक 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य

25,117 करोड़ रुपए माइन इंफ्रास्ट्रक्चर, 29461 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट डेवलपमेंट में खर्च

2023-24 तक लगभग 14,200 करोड़ रुपए का निवेश करेगी

32,199 करोड़ रुपए डाईवर्सीफिकेशन (विविधीकरण) एवं क्लीन कोल टेक्नॉलजी, 1,495 करोड़ रुपए सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर और 1,893 करोड़ रुपए एक्सप्लोरेशन कार्यों में खर्च करने की योजना है

इंडिया रिपोर्टर लाइव

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 1 सितम्बर 2020। कोल इंडिया वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 1 बिलियन टन (बीटी) कोयला उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने और देश को कोयले के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) कोयला निकासी, इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, एक्सप्लोरेशन और क्लीन कोल टेक्नॉलजी से जुड़ी लगभग 500 परियोजनाओं में 1.22 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करेगी। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार को कोल इंडिया द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित स्टेकहोल्डर्स (हितग्राही) मीट को संबोधित करते हुए यह कहा।

प्रल्हाद जोशी ने कहा कि कंपनी के सभी हितग्राहियों की कंपनी कार्यों में भागीदारी एवं जुड़ाव परियोजनाओं से जुड़े जोखिमों को कम करेंगे। साथ ही, इस प्रकार के दो तरफा संवाद सभी के लिए लाभकारी नए विचार, सुधार के क्षेत्र और परियोजनाओं से जुड़ी संभावनाएं तलाशने में मदद करेंगे।

1.22 लाख करोड़ से अधिक के प्रस्तावित निवेश में से कोल इंडिया की वित्तीय वर्ष 23-24 तक 32,696 करोड़ रुपए कोयला निकासी, 25,117 करोड़ रुपए माइन इंफ्रास्ट्रक्चर, 29461 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, 32,199 करोड़ रुपए डाईवर्सीफिकेशन (विविधीकरण) एवं क्लीन कोल टेक्नॉलजी, 1,495 करोड़ रुपए सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर और 1,893 करोड़ रुपए एक्सप्लोरेशन कार्यों में खर्च करने की योजना है।

हितग्राहियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोल इंडिया के साथ व्यापार करने की अपार संभावनाएं हैं। कंपनी अपनी 49 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं में दो चरणों में वित्तीय वर्ष 2023-24 तक लगभग 14,200 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी पिटहेड्स से डिस्पैच पाइंट तक कोयला परिवहन की व्यवस्था है। यह प्रणाली कोयला परिवहन में कार्यकुशलता बढ़ाने और दो स्थानों के बीच कोयले के सड़क

परिवहन की मौजूदा व्यवस्था को कंप्यूटर आधारित लोडिंग व्यवस्था में परिवर्तित करने के लिए विकसित की जा रही है।

इसी प्रकार, कोयला उत्पादन बढ़ाने और आने वाले वर्षों में कोयला आयात पर निर्भरता कम करने करने के लिए कोल इंडिया ने 15 ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स की एमडीओ मोड से संचालित करने के लिए पहचान की है। इन परिजनाओं में में कुल 34,600 करोड़ रुपए का निवेश होगा, जिसमें से 17,000 करोड़ रुपए का निवेश वित्तीय वर्ष 2023-24 तक होने की संभावना है।

कोयला निकासी एक और क्षेत्र है, जिसमें कोल इंडिया बड़े स्तर पर निवेश करेगी। कंपनी रेलवे से जुड़े क्षेत्रों जैसे- मुख्य रेल लाइनों के विकास (लगभग 13,000 करोड़ रुपए), रेलवे साइडिंग (लगभग 3,100 करोड़ रुपए) और अपने खुद के रेलवे वैगन खरीदने (675 करोड़ रुपए) जैसे क्षेत्रों में में वित्तीय वर्ष 2023-24 तक कुल 16,500 करोड़ रुपए का निवेश करेगी।

श्री जोशी ने कहा कि कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियां विभिन्न प्रकार के समान खरीदने, कार्यों में और सेवाओं प्राप्त करने में हर साल लगभग 30,000 करोड़ रुपए खर्च करती हैं। इस क्षेत्र में हितग्राहियों की खास भूमिका है। इस क्षेत्र में अधिक से अधिक पारदर्शिता लाने और ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस  को बढ़ावा देने की अपनी कोशिशों के तहत कोल इंडिया हितग्राहियों एवं वेंडर्स के अनुकूल अपने दिशा-निर्देशों में लगातार बदलाव ला रही है।

भारत सरकार के सचिव (कोयला) अनिल कुमार जैन, कोल इंडिया के सीएमडी प्रमोद अग्रवाल और कोयला मंत्रालय एवं कोल इंडिया के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और हितग्राहियों के साथ संवाद किया। कार्यक्रम में कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों के सीएमडी, निदेशक गण और बड़ी संख्या में हितग्राहियों ने भाग लिया।

गौरतलब है कि हितग्राहियों के अनुकूल कदम उठाते हुए कोल इंडिया ने अपनी टेंडर प्रक्रिया में उनकी अधिक से अधिक सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उन्हें कई रियायतें एवं छूट दी हैं। खनन टेंडरों के लिए अनुभव की योग्यता को

65% से 50% कर दिया गया है, जबकि टर्नकी (तैयारशुदा) कान्ट्रैक्टस् में कार्य अनुभव की योग्यता में 50% की रियायत दी गई है। कम मूल्य के कार्य एवं सेवा निविदाओं में पूर्व-योग्यता होने की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों और स्टार्ट-अप के लिए पूर्व अनुभव रखने, टर्नओवर और ईएमडी से जुड़ी कोई बाध्यता नहीं है। सभी टेंडर्स में मेक-इन-इंडिया प्रावधानों का पूरी तरह से पालन किया जाता है।

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