पीएफआई के सदस्य सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान जाकर आतंकी समूहों में भी शामिल
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 28 सितंबर 2022। सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उससे जुड़े संगठनों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच साल का बैन लगा दिया है। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में पीएफआई के काले कारनामों को पूरा कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया गया है। बता दें कि दो दिन की रेड के बाद पीएफआई के कम से कम 250 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। एनआईए के छापेमारी में भी कई ऐसे सबूत मिले हैं जिससे पीएफआई के टेरर लिंक की पुष्टि होती है। पीएफआई लंबे समय से एजेंसियों के रडार पर था।
पीएफआई से जुड़े किन संगठनों पर बैन
पीएफआई के सहयोगी संगठनों पर भी बैन लगाया गया है। गृह मंत्रालय का कहना है कि पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों, युवाओं, छात्रों और कमजोर वर्गों को टारगेट करने के लिए सहयोगी संगठनों की स्थापना की है। इसका एकमात्र उद्देश्य प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना है। इ संगठनों में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, ऑळ इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइंजेशन, विमेंस फ्रंट, जूनियर फंर्ट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन शामिल हैं।
आईएसआईएस से लिंक
गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन में कहा है कि पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समूहों जैसे कि आईएसआईएस से लिंक के उदाहरण मिले हैं। इससे जुड़ी संस्थाएं देश में असुरक्षा की भावना पैदा कर कट्टरपंथ को बढ़ाने का काम कर रही हैं। पीएफआई के संस्थापक कई सदस्य सिमी के भी सदस्य रह चुके हैं। बता दें कि सिमी भी सरकार की तरफ से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
सरकार ने गिनाए काले कारनामे
सरकार ने पीएफआई के काले कारनामों को गिनाते हुए कहा है कि यह आतंकी मामलों में सामिल रहा है और देश के संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है और बाहरी स्रोतों से फंड प्राप्त करके भारत की आंतरिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है। इसके अलावा यह भी स्पष्ट हुआ है कि पीएफआई हिंसक और विध्वंसक कार्यों में लिप्त है। एक कॉलेज के प्रोफेस का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्या करना, प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक प्राप्त करना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के सबूत हासिल हुए हैं। सरकार ने बताया है कि कई लोगों की हत्या में भी पीएफआई का हाथ रहा है। तमिनलनाडु के वी रामलिंगम, केरल के नंदू, कर्नाटक के आर रूद्रेश, प्रवीण पुजारी, तमिलनाडु के शशि कुमार और प्रवीण नेतारू हत्याकांड में भी पीएफआई का ही हाथ रहा है। इसके अलावा पीएफआई के सदस्य सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान जाकर आतंकी समूहों में भी शामिल हुए हैं। इसके अलावा पीएफआई हवाला और डोनेशन के जरिए भारत में कट्टरपंथ फैलाने के लिए धन इकट्ठा कर रहा है।