
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 13 दिसंबर 2022। भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले की आज 21वीं बरसी है। आतंकवादियों ने 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर हमला किया था। संसद पर हुए हमले के 21 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन आज भी इस कायराना आतंकवादी हमले की यादें भारतीयों के दिलो-दिमाग में ताज हैं। 21 साल पहले आज ही दिन के हुए इस हमले में नौ जवान शहीद हुए थे, जिसमें दिल्ली पुलिस के पांच जवान शामिल थे। वहीं, हमला करने वाले सभी पांच आतंकी भी मारे गए थे। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने मंगलवार को संसद परिसर में शहीद जवानों को श्रद्धांजिल अपर्ति की और उनके सर्वोच्च बलिदान को याद किया।
एंबेसडर कार में आए थे आतंकी
13 दिसंबर 2001 की सुबह संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका था। विपक्षी सांसद ताबूत घोटोले को लेकर कफन चोर, गद्दी छोड़… सेना खून बहाती है, सरकार दलाली खाती है, के नारे लगाकर राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा काट रहे थे। सदन को 45 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया था। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद से घर की ओर जा चुके थे।
हालांकि, उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत तमाम सांसद संसद में ही मौजूद थे। तभी सफेद एंबेसडर कार से जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकी संसद भवन परिसर में प्रवेश करते हैं। एक आतंकी संसद भवन के गेट पर ही खुद को बम से उड़ा लेता है। आतंकवादियों ने एंबेसडर कार पर गृह मंत्रालय का स्टीकर भी लगा रखा था।
2013 में अफजल गुरु को दी गई फांसी
इस आतंकी हमले के पीछे मोहम्मद अफजल गुरु और शौकत हुसैन समेत पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ था। 12 साल बाद नौ फरवरी 2013 को अफजल गुरु को फांसी दे दी गई थी।