
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 01 मार्च 2023। देश का दूरसंचार उद्योग अब निवेश लाने और रोजगार पैदा करने वाला बन गया है। यह उद्योग दूरसंचार उपकरणों के अग्रणी निर्माता और निर्यातक के रूप में भी उभरा है। यही वजह है कि भारत से चालू वित्त वर्ष में 10 अरब डॉलर से अधिक के मोबाइल फोन निर्यात की उम्मीद है। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विनिर्माण से संबंधित सभी उपकरण भारत में हैं। आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक और दूरसंचार विनिर्माण में तेजी से वृद्धि होगी। उन्होंने कहा, 10 साल पहले मोबाइल फोन बनाने के लिए जरूरी अधिकांश उपकरणों का आयात किया जाता था। अब 99 फीसदी उपकरण स्वदेशी हैं। यह बड़ा बदलाव है।
केंद्रीय मंत्री ने मंगलवार को कहा, सरकार ने आत्मनिर्भर योजना के तहत भारतीय निर्माताओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, निवेश आकर्षित करने, निर्यात बढ़ाने, भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में शामिल करने और आयात निर्भरता कम करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पीएलआई योजना शुरू की है।
5जी सेवाओं का लक्ष्य समय से पहले पूरा
केंद्रीय मंत्री ने कहा, उद्योग ने 31 मार्च की निर्धारित समय-सीमा से बहुत पहले 5जी सेवाओं के पहले चरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है। आज 387 जिलों में 5जी सेवा उपलब्ध है।
मानसून सत्र में पारित हो सकता है दूरसंचार विधेयक
वैष्णव ने कहा, हमारा अगला मुख्य लक्ष्य दूरसंचार विधेयक को मानसून सत्र में पास कराना होगा। इसके जरिये स्पेक्ट्रम, लाइसेंस और नियमन में बड़े सुधार का रास्ता साफ होगा। भारत के दूरसंचार उद्योग को लंदन स्थित टेलीकॉम निकाय जीएसएम एसोसिएशन ने ‘वैश्विक सरकार नेतृत्व पुरस्कार’ से सम्मानित किया है।
सात साल में 20 लाख नौकरियां
वैष्णव ने कहा, आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल ने अकेले पिछले डेढ़ साल में एक लाख नई नौकरियां दी हैं। मोबाइल उपकरण निर्माताओं एवं उनके आपूर्तिकर्ताओं ने सात वर्षों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 20 लाख नौकरियां पैदा की हैं।
देश को वैश्विक वाहन विनिर्माण केंद्र बनाने की तैयारी : गडकरी
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा, सरकार भारत को वैश्विक वाहन विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रही है। निकट भविष्य में घरेलू वाहन उद्योग 15 लाख करोड़ रुपये का होगा। उद्योग अभी जीडीपी में 7.1 फीसदी का योगदान देता है। यह क्षेत्र 2025 तक पांच करोड़ रोजगार देगा। गडकरी ने कहा, अनुमान है कि कबाड़ नीति से वाहनों की जो मांग पैदा होगी, उससे सरकार को 40,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त जीएसटी राजस्व मिलेगा।