इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा- NISAR निगरानी उपग्रह नहीं, यह पृथ्वी के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

बंगलूरू 18 फरवरी 2024। इसरो ने शनिवार शाम 5.35 बजे इनसैट-3डीएस को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। मौसम उपग्रह को जीएसएलवी एफ-14 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया। इसरो ने बताया कि अभी तक सभी चीजें तय योजना के तहत सही तरीके से हो रही हैं। इस उपग्रह के काम करने के बाद मौसम संबंधी सटीक जानकारी मिल सकेगी। साथ ही प्राकृतिक आपदाओं की भी समय से पहले सूचना मिलेगी, जो बचाव और राहत कार्यों में सहायता करेगी।

एनआईएसएआर कोई निगरानी उपग्रह नहीं
लॉन्चिंग के बाद  शनिवार को इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इसरो ने नासा के साथ जो संयुक्त उपग्रह मिशन शुरू किया था, वह निगरानी के उद्देश्य से बिल्कुल नहीं था। मिशन का उद्देश्य स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए पृथ्वी का अध्ययन करना था। एनआईएसएआर कोई निगरानी उपग्रह नहीं है। इसरो बंगलुरू मुख्यालय जलवायु परिवर्तन के बाद पृथ्वी का अध्ययन करने वाले सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह विकसित करने के लिए नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के साथ शामिल है। 

एनआईएसएआर में दो रडार हैं
उन्होंने कहा कि जीएसएलवी (रॉकेट) का अगला मिशन एनआईएसएआर मिशन होगा। उन्होंने कहा कि एनआईएसएआर कोई निगरानी उपग्रह नहीं है। इसमें दो रडार हैं। एक एल बैंड रडार और दूसरा एस बैंड रडार। एस बैंड रडार भारत में बना है और एल बैंड रडार अमेरिका में बनाया गया था। पूरा डेटा सार्वजनिक है। अगर कोई डेटा अब सार्वजनिक है तो यह निगरानी उपग्रह कैसे हो सकता है। 

सोमनाथ ने एनआईएसएआर के बारे में बताते हुए कहा कि उपग्रह में लगभग 12-14 दिनों तक छवि लेने की क्षमता है। उपग्रह पानी, कृषि, पृथ्वी की सतह पर हरियाली सहित अन्य कई महत्वपूर्ण कवरेज में मदद करेगा। इसमें शुष्क क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को देखने के लिए पृथ्वी में प्रवेश करने की भी क्षमता है।

मौसम की मिलेगी सटीक जानकारी
जीएसएलवी एफ14 रॉकेट मौसम उपग्रह इनसैट-3डीएस को पृथ्वी की भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित करेगा। इस मिशन की पूरी फंडिंग भारत सरकार के मंत्रालय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने की है। ये लॉन्चिंग अंतरिक्ष की दुनिया में भारत के बढ़ते दबदबे की दिशा में अहम कदम है। इनसैट-3डीएस सैटेलाइट समुद्र की सतह का बारीकी से अध्ययन करेगी, जिससे मौसम की सटीक जानकारी मिल सकेगी, साथ ही प्राकृतिक आपदाओं के बारे में भी ज्यादा बेहतर अनुमान लगाया जा सकेगा। जब प्राकृतिक आपदाओं की पहले ही सटीक जानकारी मिलेगी तो उन्हें रोकने के भी प्रभावी उपाय किए जाएंगे। भारतीय मौसम एजेंसियों के लिए ये मौसम उपग्रह बेहद अहम साबित होगा।

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