इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव राज्य में महज सरकार बनाने की जद्दोजहद भर नहीं है, यह मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में सबसे बड़े कद के नेता के रूप में जगह बना चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को और मजबूत करने के साथ दूसरे नेताओं के लिए कद्दावर बनने की लड़ाई भी है। जी-20 की अध्यक्षता वाले वर्ष में आठ दिसंबर का जनादेश तय करेगा कि पीएम मोदी के आभामंडल को गुजरात की जनता ने और कितनी चमक दी। साथ ही, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पता चलेगा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक हसरतें कितनी परवान चढ़ेंगी।
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के लिए जंग में उल्लेखनीय सफलता के जरिये पार्टी में खुद को साबित करने का मौका होगा। पीएम मोदी की छवि मजबूत विश्व नेता के रूप में स्थापित हुई है। गुजरात चुनाव के दौरान जी-20 की अध्यक्षता ने उनकी राजनीतिक चमक और बढ़ा दी है। इस संदर्भ में राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, भाजपा को पता है कि यदि गुजरात में भाजपा की सीटें कम भी हो गईं तो पीएम मोदी की न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक छवि पर भी आंच आएगी। 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर भी तरह-तरह की व्याख्या शुरू हो जाएगी। इसलिए, भाजपा ने गुजरात का पूरा चुनाव ही पीएम मोदी के नाम पर लड़ा। मोदी ने भी राज्य में सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी।
भाजपा : गुजराती अस्मिता का पासा
जानकार बताते हैं कि भाजपा ने सोमवार को दूसरे चरण के मतदान के दिन राज्य के मतदाताओं से ‘गुजराती अस्मिता’ और पीएम मोदी के चेहरे पर मतदान की अपील की। कम वोटिंग की आशंका के बीच पीएम मोदी मतदान पूर्व संध्या पर फिर पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने प्रदेश कार्यालय पहुंचे। वह पहले भी एक बार वहां जा चुके हैं। भाजपा, सातवीं जीत हासिल कर मोदी के कद के कवच को बनाए रखने के लिए अंतिम क्षण तक दांव चलती नजर आई।
कांग्रेस : सीटें बढ़ना भी प्रतिष्ठा की होगी बात
गुजरात चुनाव को कांग्रेस ने किस तरह प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया, यह समझने लायक है। अहमदाबाद में शिक्षक व स्थानीय पत्रकार डॉ. प्रतिमा राय कहती हैं,भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे राहुल गांधी हिमाचल चुनाव में शामिल नहीं हुए। लेकिन गुजरात आए। कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी तेवर में नजर आए। वह कहती हैं, मजबूत नेताओं द्वारा कांग्रेस छोड़ने के बावजूद राज्य कांग्रेस ने पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी है। अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने या ज्यादा सीटें जीतने की स्थिति में भी कांग्रेस नेतृत्व के कद में इजाफा ही होगा।
आप : सीट संख्या से तय होगा कद
तीसरी मुख्य खिलाड़ी आप रही। राज्य में सत्ता विरोधी भावनाओं का फायदा उठाने का काम जिस तेवर से आप ने उठाने का प्रयास किया, उस तरह मुख्य विपक्षी कांग्रेस करती नजर नहीं आई। आप ने सीएम चेहरा देकर चुनाव लड़ा। यदि आप गुजरात की सफलता से राष्ट्रीय दर्जा ही हासिल करने में सफल रही तो भी उसके लिए बड़ी उपलब्धि से कम न होगी। ऐसा होने पर केजरीवाल 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ी चुनौती बनने की कोशिश करेंगे। आप सूरत नगर चुनाव में मुख्य विपक्षी का दर्जा पाने में सफल रही थी।