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नई दिल्ली 09 अक्टूबर 2024। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को आयुर्वेद के नाम पर झूठे और भ्रामक दावे करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में लोगों की अटूट आस्था का फायदा उठाकर निर्दोष नागरिकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आयुर्वेद को बनाए रखने के लिए अनुसंधान में निवेश, औषधियों की गुणवत्ता में निरंतर सुधार और आयुर्वेद के अध्ययन से जुड़े शिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। यह बात उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के आठवें स्थापना दिवस समारोह के दौरान कही।
‘आयुर्वेद की छवि खराब करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई’
मुर्मू ने कहा, हमारी पीढ़ी दर पीढ़ी का आयुर्वेद में अटूट भरोसा रहा है। कुछ लोग इस भरोसे का फायदा उठाकर नागरिकों की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं और आयुर्वेद की छवि को खराब करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि आयुर्वेदिक उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाया जाना चाहिए, ताकि इन्हें बिना किसी रुकावट के निर्यात किया जा सके।
‘आयुर्वेद और योग ने दुनिया को अपनी ओर किया आकर्षित’
उन्होंने कहा, हम अपने आयुर्वेदिक ज्ञान भंडार को साक्ष्य आधारित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ वैश्विक स्तर पर मान्यता दिला सकते हैं। राष्ट्रपति ने बताया कि आयुर्वेद दुनिया की सबसे प्राचीन प्रणालियों में से एक है और भारत के लिए एक अनमोल उपहार है। उन्होंने आगे कहा, दुनिया भारत में इस बात को माना जा रहा है कि स्वस्थ रहने के लिए मन और शरीर दोनों का स्वस्थ होना जरूरी है। आयुर्वेद और योग के बारे में जानने की इच्छा ने लोगों को भारत की ओर आकर्षित किया है। राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि एआईआईए विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर आयुर्वेद को एक साक्ष्य आधारित विज्ञान के रूप में मजबूत करने के लिए कई एकीकृत अनुसंधान परियोजनाएं चला रहा है।