देश में 350 बिलियन टन कोयला का भंडार है इस दृष्टि से भारत विश्व के तीसरे नंबर में है
कोयला मंत्रालय ,पर्यावरण और वन मंत्रालय ने कोल ब्लॉकों की नीलामी के लिए बनाया नया नियम
देश की जितनी जनसंख्या है इसे देखते हुए विदेश में कोयला निर्यात करना देशहित में नही है
भारत की भूमि से निकले कोयले पर हर नागरिक का अधिकार है, क्या यह देश-विदेश के उद्योगपतियों की निजी संपत्ति है ?
इंडिया रिपोर्टर लाइव
बिलासपुर (छ.ग.) 09-06-2020। कोरोना महामारी के संकट से उबरने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 लाख करोड़ पैकेज की घोषणा के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 16 मई 2020 को केन्द्र सरकार के 20 लाख करोड़ रुपए की चौथी किस्त का ऐलान किया, जिसमे वित्त मंत्री कीओर से बड़ा ऐलान कोयला क्षेत्र में कामर्शियल माइनिंग ,सरकार का कोयला क्षेत्र एकाधिकार खत्म करने, कम कीमत पर ज्यादा कोयला मुहैया कराने तथा 50 कोल ब्लॉकों को खनन के लिए नीलामी करने और माइनिंग लीज का ट्रांसफर करने आदि के मामले में वित्तमंत्री की इस घोषणा से कोयला सेक्टर में सरकार का एकाधिकार खत्म होगा। इसका मतलब यह है कि अब कोयला का निर्धारण सिर्फ सरकार ही तय नहीं करेगी, अब कोयला उत्पादन करने वाली देश -विदेश की निजी कंपनियां किसी भी कोल ब्लॉक के लिए बोली लगा सकती हैं और अपने उपयोग के बाद बचे हुए कोयला का मूल्य निर्धारण कर खुले बाजार में बेच सकती हैं। जिसकी शुरुआत 11 जून को छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल के राज्यों में स्थित कोल ब्लॉकों की नीलामी के पहले दौर में होगी। इससे विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड़ और इसकी सहयोगी 7 कंपनियों की चली आ रही मोनोपॉली खत्म हो जाएगी। देश में 350 बिलियन टन कोयला का भंडार है, देश की जितनी जनसंख्या है इसे देखते हुए कोयला विदेश में निर्यात करना देशहित में नही हैं। भारत की भूमि से निकले कोयला पर प्रत्येक नागरिक का अधिकार है, यह देश-विदेश के उद्योगपतियों की निजी संपत्ति नही है? मोदी सरकार भारत के कोल ब्लॉकों को देश एवं विदेश की बड़ी कंपनियों के हवाले कर रही हैं, जिसे जानकार सूत्र इसे देश के सबसे बड़े कोयला घोटाले के रुप में देख रहे हैं। “इंडिया रिपोर्टर लाइव” प्रधानमंत्री एवं कोयला मंत्री से आग्रह करता है कि कामर्शियल माइनिंग के फैसले को देशहित व जनहित में वापस लें। “इंडिया रिपोर्टर लाइव “ विभिन्न स्त्रोतों और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देशहित व जनहित में भागवत जायसवाल का विशेष रिपोर्ट प्रस्तुत हैं।
अब कोल ब्लॉकों के लिए देश-विदेश के उद्योगपति लगा सकते हैं बोली , लॉक डाउन के बीच 11 जून को होगी नीलामी
केन्द्र सरकार कोयला खदानो की नीलामी करने जा रही हैं। कोयला मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश के अनुसार नीलामी 11जून 2020 को होगी। नीलामी प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए कोल मंत्रालय ने प्रोजेक्ट मेनेजमेन्ट पार्टनर कि नियुक्त करने के लिए 26 मई 2020 को अधिसूचना जारी किया है। प्रोजेक्ट मेनेजमेन्ट पार्टनर (पीएमपी) की नियुक्त करने के लिए फिक्की , सीआईआई, एसओएचएम, तथा पीएचडी चेम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इंड्रस्टी से वित्तीय कोटेशन आमंत्रित किया है। मंत्रालय ने उक्त संस्थाओं से कुछ पात्रताएं निर्धारित किया है जिसके तहत आवेदक को इंडस्ट्री चेम्बर या एसोसिएशन होना चाहिए इसके साथ उन्हे कोल सेक्टर में पोलिसी एडवोकेसी का अनुभव होना चाहिए। इनका वार्षिक टन ओवर पिछले 3 वर्षो यानि 2019-20, 2018-19, तथा 2017-18 में 50 करोड़ रुपए औसत होना चाहिए । पीएमपी के पास 500 कंपनियों की न्यूनतम सदस्यता होनी चाहिए । इसके अलावा कोल माइनिंग सेक्टर तथा युजर इंडस्ट्री से भी सदस्य होना चाहिए । पात्रता में यह भी कहा गया है कि पीएमपी का उन क्षेत्रो में कार्यालय भी होना चाहिए जहां नीलामी से संबंधित हो । आवेदकों को पिछले 3 वर्षो में स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन आयोजित करने का भी अनुभव भी होना चाहिए , विशेषकर कोल माइनिंग / प्राकृ तिक संसाधन के क्षेत्र में । इसके अलावा पीएमपी को जीओआई मंत्रालय के साथ सीधे कार्य करने का अनुभव भी होना चाहिए । यही नही पीएमपी के पास एक समर्पित टीम होना चाहिए तथा पर्याप्त मेन पॉवर होना चाहिए जिसमें अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक पर्याप्त संख्या में हो। मालूम हो कि पिछले वर्ष सरकार ने सहायक प्रक्रियाकमक इंफ्रास्ट्रक्चरसहित कोल माइनिंग गतिविधियों के लिए आटोमेटिेक रूट के अंर्तगत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी।
कार्य क्षेत्र :-
कोयला मंत्रालय ने प्रोजेक्ट मेनेजमेंट पार्टनर यानी पीएमपी के कार्य- क्षेत्र कि विस्तार से विज्ञप्ति के माध्यम से बताया है जो निम्नानुसार है:
कांफ्रेंस सेटिंग एवं सुविधाएं :-
पीएमपी कि जिम्मेदारी होगी कि वे आवश्यकता अनुसार स्थान/ कांफ्रेंस हाल की व्यवस्था करे। यह हाल समान्यत: रायसिना रोड़ , नई दिल्ली स्थित नेशनल मिडिया सेंटर में है। इस कांफ्रेंस हाल में डाइस पोडियम स्थापित करना होगा। आडियों विजुअल सुविधाएं जिसमें एलईडी स्क्रीन हो । इसके अलावा आमंत्रितो का पंजीयन जिसमें मेलिंग व प्रि-रजिस्ट्रेशन इवेंट के लिए एंट्री बैजेस की सुविधा इनवाईटी किट्स , कोल माइन्स नीलामी पर कोल वाऊचर , पूरी प्रक्रिया की फोटोग्राफी करनी होगी। इसके अलावा अतिथ्य प्रबंधन जैसे – इवेंट के दौरान चाय/ काफी / मिनिरल वाटर / रिफ्रेशमेंट तथा इवेंट के बाद लंच का प्रबंध करना होगा।
सक्रिय भागीदारी:-
पीएमपी के कार्य क्षेत्र में स्टेक होल्डर्स जैसे माइनिंग कंपनियो के प्रमुखों, विदेशी निवेशकों के साथ अधिक से अधिक संख्या में लांच को लेकर समन्वय स्थापित करना होगा ।
1. नीलामी में भाग लेने वालों की सूची बनाना तथा मंत्रालय में उनकी मंजूरी लेना
2. आमंत्रण भेजना।
3. भाग लेने वाली कंपनियो के साथ फोन पर नियमित चर्चा करना तथा ई-मेल भेजना।
4. विडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सतत संपर्क बनाए रखना।
शार्ट – आडियो -विजुअल मूव्ही:-
कोयला मंत्रालय के कोल माइनिंग नीलामी की योजना के प्रचार-प्रसार के लिए लघु फिल्म कि निर्माण करने की अपेक्षा है। इस विडियो का प्रसारण इवेंट के दौरान तथा इवेंट के बाद सोशल मीडिया चैनलों तथा वेबसाईट के जरिए करना होगा। इस संबंध में कुछ दिशा निर्देश जारी किया गया है जो निम्नानुसार है :-
1. कामर्शियल कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया पर लगभग 10 मिनट का एचडी क्वालिटी का लघु फिल्म बनाना।
2. इस फिल्म में कोयला मंत्री का इंटरव्यू, इसके साथ कोल सचिव व इनके कुछ अन्य शीर्ष उद्योगपतियों , राज्य के प्रतिनिधियों से इंटरव्यू भी शामिल होंगे।
मीडिया कवरेज :-
लांच इवेंट के दौरान मीडिया कवरेज – पीएमपी को लांच इवेंट के घटनाक्रम का न्यूज कवरेज, इवेंट के दौरान प्रेस मीडिया मेनेजमेंट सुनिश्चित करना। रचनात्मक रिपोर्ट के रुप में न्यूज कवरेज सुनिश्चित करना होगा। इसके अलावा मीडिया आमंत्रण के साथ दूरदर्शन / पीआईबी तथा अन्य मीडिया हाऊस के साथ समन्वय सुनिश्चित करना होगा। इवेंट का वेब प्रसारण भी करना होगा।
सोशल मीडिया :-
पीएमपी को इवेंट के पूर्व तथा इवेंट के दौरान व इवेंट के बाद स्टेक होल्डर के बीच कोल माइन्स नीलामी के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाना होगा। इसमें निम्न तौर -तरीके को शामिल किया जा सकता है:
* सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्वीटर लिंक्ड इन तथा यू-टयूब पर लांच इवेंट कि तिथि तक नियमित रुप से पोस्ट करके अभियान चलाना होगा।
* लांच इवेंट यानि नीलामी के बाद यानि नीलामी बिड जमा करने कि प्रक्रिया के खत्म होते ( बिड के 30 दिनों के बाद ) तक पोस्ट लांच इवेंट का अभियान चलाना होगा।
वर्चुअल स्टेक होल्डर परामर्श:-
पीएमपी को स्टैक होल्डर्स के लिए वर्चुअल डिसएमिनेशन (आभासी प्रसार) इवेंट का आयोजन करना आवश्यक होगा। इसमें इन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है:-
* तीन वर्चुअल डिसएमिनेशन (आभासी प्रसार) इवेंट का आयोजन
* इस इवेंट को बिड बंद होने के बाद 2 माह के अंतराल में विशेष रुप से पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ में स्टैक होल्डर्स के लिए आयोजित करना है।
रिपोर्ट जमा करना-
पीएमपी को कोयला मंत्रालय के पास प्रत्येक इवेंट में फाइनल रिपोर्ट तथा साझेदारी की सूची जमा करना होगा। इसमें निम्न बातो को शामिल किया गया है:-
* सभी पूर्ण हुए इवेंट का इवेंट रिपोर्ट
* प्रत्येक इवेंट के लिए भाग लेने वालो की सूची
* इवेंट का फोटोग्राफ तथा वीडियो
* इवेंट का प्रेस कवरेज
बिड सेक्युरिटी- इसके लिए किसी भी तरह कि बिड सेक्युरिटी की राशी नही रखी गई है।
विदेशी कंपनियों के निवेश में बढ़ावा ,देश में 350 बिलियन टन कोयले का भंडार है।
कोयला मंत्रालय के अनुसार देश में 350 बिलियन टन कोयले का भंडार है जो कि विश्व में तीसरा सबसे बड़ा भंडार है इसके बावजूद कोयले की मांग का 25 प्रतिशत हमें आयात करना पड़ता है। भारत सरकार कोल माइंस में बड़ी संख्या में नीलामी में भागीदारी सुनिश्चित करने कोल माइनिंग का निजीकरण करने की दिशा में काम कर रही है। इसी वर्ष इस संबंध में सरकार ने जनवरी में मिनरल लॉ (संशोधन) अध्यादेश 2020 लाया गया था जिसके तहत कोयले के अंतिम उपयोग पर प्रतिबंध को हटा दिया गया था। इस कड़ी में पिछले वर्ष सरकार ने सहायक प्रक्रियाकमक इंफ्रास्ट्रक्चरसहित कोल माइनिंग गतिविधियों के लिए आटोमेटिेक रूट के अंर्तगत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी। मुख्य सेक्टर में कोयले की भारी जरूरत को देखते हुए कोल ब्लॉकों को नीलामी करने का फैसला लिया गया है। सरकार का कहना है कि इस से जिस राज्यों में कोयला है वहॉ की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी तथा कोयला के क्षेत्र में उछाल आएगा। और इसीलिए सरकार कोयला मंत्रालय के तहत कोल ब्लॉक की नीलामी के पहले दौर में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल को शामिल किया गया हैं। सरकार 11 जून को कोल ब्लॉक की नीलामी करने जा रही है।
26 मई 2020 को कोयला मंत्रालय द्वारा कोल ब्लॉको की 11 जून को नीलामी करने के लिए 5 पृष्ठों में जारी अधिसूचना
कोल ब्लॉकों की नीलामी के लिए प्रत्येक ग्रेड के कोयला का मूल्य निर्धारण
कोयला मंत्रालय ने कोल माइंस की नीलामी हेतु प्रत्येक ग्रेड के कोयले का मूल्य निर्धारित किया हैं। इसकी अधिसूचना कोयला मंत्रालय ने 4 जून 2020 को जारी की है उसके अनुसार मूल्य निर्धारण की तकनीक को भारतीय सांख्यिकीय संस्थान कोलकाता ने विकसित किया है। नीलाम होने वाले सभी खदानों के राजस्व हिस्सेदारी की गणना इसी मूल्य (Representative Price) के आधार पर होगी। यह मूल्य (RP) प्रत्येक बिक्री चैनल्स जैसे कोल इंडिया (डब्ल्यूसीएल एवं एससीसीएल को छोडक़र), की अधिसूचित मूल्य, कोल इंडिया के नीलामी मूल्य, कोयला की लिंकेज नीलामी तथा आयात मूल्य से कोयलों के मूल्य का भारित औसत है। यह RP उन मूल्यों के आधार पर गणना की गई है जो माह विशेष में प्रचलित है । अलग- अलग ग्रेड के कोयले की नीलामी के लिए निर्धारित की की गई दरें (weight) इस प्रकार है-
कोयला मंत्रालय द्वारा दिनॉक 4 जून 2020 को 3 पन्नो में जारी किए गए अधिसूचना की प्रति –
कोयला खदानों के निजीकरण, सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने और मजदूर विरोधी फैसलों के खिलाफ 10 व 11 जून को एचएमएस, एटक, बीएमएस, इंटक, सीटू ने पूरे एसईसीएल में मनाया जाएगा विरोध दिवस
केंद्रीय श्रम संगठनों के आह्वान पर भारत सरकार के उद्योग विरोधी एवं मजदूर विरोधी फैसलों- कोयला उद्योग का निजीकरण, कॉमर्शियल माइनिंग, निजी क्षेत्रों को कोल ब्लॉक आवंटन, सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने इत्यादि के खिलाफ 10 व 11 जून को दो दिवसीय देशव्यापी विरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है। इसी कड़ी में एचएमएस, एटक, बीएमएस, इंटक, सीटू यूनियन की एसईसीएल स्तर की बैठक ज़ूम एप्प के जरिए दिनांक 05 जून 2020 को संपन्न हुई। बैठक मे एचएमएस के महामंत्री नाथूलाल पांडेय, एटक केमहामंत्री कामरेड हरिद्वार सिंह, बीएमएस के नेता महेन्द्र प्रताप सिंह, सीटू के महामंत्री कामरेड जे.एस.सोढ़ी, इंटक के महामंत्री पी के राय उपस्थित रहे।
बैठक में कोयला उद्योग का निजीकरण, कामर्शियल माइनिंग, निजी क्षेत्रों को कोल ब्लॉक आवंटन, सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने, श्रम कानूनों में संशोधन, ठेका मजदूरों को एचपीसी वेज भुगतान, 1-1- 2017 से ग्रेज्युटी 20 लाख रुपए का भुगतान, राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता 8 और 9 में वर्णित 9.3.0, 9.4.0, 9.5.0 के प्रावधानों को राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता 10 में भी लागू करने तथा आश्रितों को रोजगार शैक्षणिक योग्यता के अनुसार देने, कोविड़-19 अवधि के दौरान सभी असंगठित श्रमिक बल को प्रतिमाह कम से कम 7500 रुपए उनके बैंक खाते में जमा करने, मनरेगा के तहत दोनों ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में 200 दिन के रोजगार सुनिश्चित करने तथा निर्धारित मजदूरी दर प्रतिदिन 500 रुपए करने इत्यादि मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। तत्पश्चात भारत सरकार के उद्योग विरोधी एवं मजदूर विरोधी फैसलों के खिलाफ 10 व 11 जून को पूरे एसईसीएल में विरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है।
10 जून 2020 को जुलूस, धरना, गेट मीटिंग एवं माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार को संबोधित ज्ञापन एसईसीएल बिलासपुर में महाप्रबंधक (कार्मिक/प्रशासन) को एवं एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में क्षेत्रीय महाप्रबंधक के समक्ष सौंपा जाएगा तथा 11 जून 2020 को काला दिवस मनाया जाएगा, जिसके तहत कोयला मजदूरों के द्वारा काला फीता लगाकर ड्यूटी जाना, खदान द्वार (मुहाडे) पर खड़े होकर खदानों की निजी एजेंसियों को नीलामी के खिलाफ नारा लगाकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इस संबंध में मांग पत्र भी तैयार किया गया।
सभी नेताओं ने कहा है कि भारत सरकार कोविड-19 की आड़ में मजदूर विरोधी, उद्योग विरोधी, पूंजीपतियों के हित में फैसले कर रहा है। यह सरकार देश के पब्लिक सेक्टर को तबाह करना चाहती है। यदि भारत सरकार कोयला खदानों की नीलामी रद्द नहीं करती है तो यह संपूर्ण कार्यक्रम आने वाले समय में बड़े संघर्ष हेतु एक जन जागरण हो जाएगा। इसके बाद बड़े स्तर पर आंदोलन की तैयारी की जाएगी। हम श्रमिक संगठन भारत सरकार की मजदूर विरोधी मंसूबे का जमकर विरोध करेंगे। सभी नेताओं ने कोयला मजदूरों से भी आहवान किया है कि 10 व 11 जून को दो दिवसीय देशव्यापी विरोध दिवस को सफल बनाएं एवं कोल इंडिया को बचाने के लिए आगे की लड़ाई के लिए तैयार रहें। मालूम हो कि केन्द्र सरकार द्वारा लिए गए मजदूर विरोधी अनेक फैसले और कॉमर्शियल माइनिंग के फैसले के खिलाफ 22-05-2020 को संयुक्त कोयला मजदूर संघ (एटक) के केंद्रीय महामंत्री कामरेड हरिद्वार सिंह के नेतृत्व में एटक, एचएमएस, इन्टक, सीटू यूनियन के द्वारा प्रधानमंत्री, भारत सरकार को संबोधित ज्ञापन महाप्रबंधक (कार्मिक/प्रशासन) एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर को सौपा। कुसमुंडा क्षेत्र का नेतृत्व वी एम मनोहर सीटू के नेता ने किया । इसी प्रकार एसईसीएल के सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधकों गेवरा, दीपका,कोरबा, बैकुंठपुर, चिरमिरी, सोहागपुर, हसदेव, विश्रामपुर, रायगढ़, जोहिला, जमुना, कोतमा, भटगांव आदि कार्यालय में चारों यूनियन ने संयुक्त रूप से राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री भारत सरकार के नाम से ज्ञापन सौंपा, और सभी फैसले वापस लेने की मांग की थी।
पॉचो मजदूर यूनियन द्वारा संयुक्त रूप से 5 जून 2020 को दो पन्नो में जारी किए गए पत्र
कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण और कोल इंडिया लिमिटेड का गठन एवं प्रगति
1970 में राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के तहत दो चरणों में कोयला खदानों का नियंत्रण सरकार ने अपने हाथ में लिया। 16 अक्टूबर 1971 को सरकार ने कोकिंग कोल माइन्स अधिनियम लागू किया। इस नियम के तहत कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1 मई 1972 को सभी 226 कोकिंग कोल खदानों का प्रबंधन अपने हाथ लेकर इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया। भारत कोकिंग कोल लिमिटेड का जन्म हुआ। इसी तरह 31 जनवरी 1973 को केंद्र सरकार ने सभी 711 गैर-कोकिंग कोल माइन्स का प्रबंधन भी अध्यादेश जारी करते हुए अपने हाथ में ले लिया।
1 मई 1973 से राष्ट्रीयकरण का दूसरा चरण प्रभावी हुआ तथा इन गैर कोकिंग खदानों के प्रबंधन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोयला खान प्राधिकरण लिमिटेड का गठन हुआ। नवंबर 1975 में इन दोनों कंपनियों का विलय हुआ और कोल इंडिया लिमिटेड का गठन हुआ। धीरे-धीरे कोल इंडिया लिमिटेड ने अपना विस्तार किया। अपनी स्थापना के समय वर्ष में 79 मिलियन टन (एमटी) के मामूली उत्पादन करने वाला कोल इंडिया लिमिटेड आज दुनिया का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक कंपनी है। भारत के 8 राज्यों में फैले 7 पूर्ण स्वामित्व वाली कोयला उत्पादक सहायक अनुषंगी कंपनी के माध्यम से 83 खनन क्षेत्रों का संचालन करने वाली और एक माइन प्लानिंग एवं परामर्शी कंपनी के साथ कोल इंडिया लि. एक शीर्ष निकाय के रूप में स्थापित है। सीआईएल मोजाम्बिक में कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा नामक एक विदेशी कंपनी का भी मालिक है । सीआईएल वर्कशॉप, अस्पताल इत्यादि जैसे 200 अन्य प्रतिष्ठानों का भी प्रबंधन करती है । इसके अलावा, यह 26 तकनीकी एवं प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थानों और 102 व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान केन्द्रों का संचालन करता है । भारत में सबसे बड़ा कॉर्पोरेट प्रशिक्षण संस्थान – भारतीय कोयला प्रबंधन संस्थान (आईआईसीएम) कोल इंडिया के अधीन संचालित है और यह अत्याधुनिक प्रबंधन प्रशिक्षण केन्द्र सेंटर ऑफ एक्सीलेंस है जो बहु-अनुशासनात्मक प्रबंधन विकास कार्यक्रम आयोजित करता है। वित्तीय और अन्य आवश्यक शर्तें पूरा करने के पश्चात महारत्न कंपनी के रूप में सीआईएल को अप्रैल 2011 को मान्यता दी गयी है । यह अपने को सशक्त करने के लिए अपना विस्तार करने तथा वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने हेतु अपने संचालन को बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदत्त एक विशेषाधिकार है ।
कोल इंडिया कॉरपोरेट संरचना और अनुषंगी कंपनियॉं
कोल इंडिया पूर्ण स्वामित्व कोयला उत्पादक अनुषंगी कंपनियों और एक माइन प्लानिंग एवं परामर्शी कंपनी के साथ एक होल्डिंग कंपनी है। इसमें कोयला भंडार की पहचान, विस्तृत अन्वेषण के पश्चात डिजाइन और कार्यान्वयन तथा अपनी खदानों से समुचित कोयले की निकासी की विभिन्न पहलू शामिल हैं।
कोयला उत्पादक कंपनियॉं निम्नवत हैं :-
1 भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), धनबाद, झारखंड
2 सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), रॉंची, झारखंड
3 ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल), सैंक्टोरिया, दिशरगढ़, पश्चिम बंगाल
4 महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल), जागतीरा बिहार, सम्बलपुर, ओड़ीसा
5 नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल), सिंगरौली, सीधी मध्यप्रदेश
6 साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), बिलासपुर, छत्तीसगढ़
7 वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) सिविल लाइंन, नागपुर महाराष्ट्र
8 सेन्ट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल), परामर्शी कंपनी रॉंची झारखंड में है।
9 कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा, मोजाम्बिक ( करोड़ों रूपये खर्च होने के बाद भी कोयला नहीं मिला )
कोल इंडिया लिमिटेड के कोयला उत्पादन में लगातार वृद्धि
कोल इंडिया में 2015-16 में कोयला उठान व कोयला उत्पादन :- 2014-15 में कोयला उत्पादन की 6.9 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने के विरूद्ध, कोल इंडिया ने 2015-16 में कोयला उत्पादन में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सीआईएल का गतिशील डायनेमिक उत्पादन साक्षी है कि 2008-09 के 400 मि.ट. से बढक़र 2015-16 में 538.75 मि.ट. की सीमा और 2016-17 में 554.14 मि.टन 2017-18 में 567.36 मि.टन तक पहुँच गया है। 2018-19 में 606.89 तथा इसी तरह वर्ष 2019-20 में 602.15 मिलियन टन और 2020-21 में 710 मिलियन टन (एमटी) तक कोयला उत्पादन को करने और पहुँचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारत में कोयला खनन का इतिहास 245 वर्ष पुराना है
भारत में वाणिज्यिक कोयला खनन का इतिहास लगभग 245 वर्ष पुराना है जिसकी शुरूआत दामोदर नदी के पश्चिमी तट पर स्थित रानीगंज कोलफील्ड में ईस्ट इंडिया कंपनी के मैसर्स सुमनेर और हीटली द्वारा 1774 को की गयी थी। तथापि, एक शताब्दी तक भारतीय कोयला खनन का विकास मांग की कमी के कारण मंदा रहा, लेकिन 1853 में वाष्पचलित रेलगाड़ी के आने से इसे बढ़ावा मिला। थोड़े ही समय में औसतन उत्पादन बढक़र 1 मिलियन टन (एम.टी.) वार्षिक हो गया और भारत वर्ष 1900 तक 6.12 मिलियन टन प्रतिवर्ष और वर्ष 1920 तक 18 मिलियन टन प्रतिवर्ष उत्पादन करने लगा। प्रथम विश्व युद्ध के समय उत्पादन में अचानक तेजी आई, लेकिन तीस के दशक के शुरू में इसमें मंदी आ गई। वर्ष 1942 में उत्पादन 29 मिलियन टन और वर्ष 1946 में 30 मिलियन टन के स्तर तक पहुंच गया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ-साथ देश में 5 वर्षीय विकास योजनाएं प्रारंभ की गई। पहली योजना के प्रारंभ में वार्षिक उत्पादन 33 मिलियन टन तक बढ़ गया। पहली योजनावधि के दौरान ही कोयला उद्योग के क्रमिक और वैज्ञानिक विकास से कोयला उत्पादन को कुशलतापूर्वक बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। अपने एक केन्द्र के रूप में रेलवे के स्वामित्व वाली कोलियरियों सहित वर्ष 1956 में भारत सरकार के उपक्रम राष्ट्रीय कोयला विकास निगम (एन.सी.डी.सी.) की स्थापना भारतीय कोयला उद्योग के सुनियोजित विकास की ओर पहला बड़ा कदम है। सिंगरौली कोलियरी कंपनी लि. (एससीसीएल) जो वर्ष 1945 से भारत में दो सरकारी कोयला कंपनियां थीं। सिं.को.कं.लि. अब आंध्र प्रदेश सरकार और भारत सरकार का संयुक्त उपक्रम है, जिसमें उनकी इक्विटी भागीदारी 51: 49 के अनुपात में हैं।
कोयला मंत्रालय ने 13 अप्रैल 2020 को अधिसूचना जारी कर कोल ब्लॉको की नीलामी के लिए पुराने नियमों में बदलाव कर नए नियम बनाया जिसका कुछ अंश।
पर्यावरण और वन मंत्रालय ने पुराने नियमों में भारी बदलाव करने के लिए 23 मार्च 2020 को अधिसूचना जारी कर 95 पृष्ठों में नए नियम बनाया जिसका प्रथम पृष्ठ।
“छत्तीसगढ़ रिपोर्टर ” ने 11 से 17 जून 2018 के अंक में कामर्शियल माइनिंग को लेकर किया था बड़ा खुलासा। पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट
कामर्शियल माइनिंग को लेकर भागवत जायसवाल का विशेष खोजी रिपोर्ट छत्तीसगढ़ रिपोर्टर ने 11 से 17 जून 2018 के अंक में कोल ब्लॉकों की 31 ई-नीलामी और 53 आवंटन से देश को 3.94 लाख करोड़ रुपए का फायदा , फिर निजीकरण क्यों? के शीर्षक से 9 पृष्टों में बड़ा खुलासा किया था । इस रिपोर्ट को पढऩे के लिए लॉग इन करें। http://chhattisgarhreporter.com/?p=301