आरबीआई: जल्द खुद की डिजिटल करेंसी ला सकता है केंद्रीय बैंक, डिप्टी गवर्नर ने बताया प्लान

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 23 जुलाई 2021। देश-विदेश में डिजिटल करेंसी का क्रेज बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ समय से बाजार में डिजिटल करेंसी (जैसे-बिटक्वाइन, डॉजक्वाइन, आदि) में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। अब डिजिटल करेंसी पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से बड़ा बयान आया है। केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा है कि आरबीआई चरणबद्ध तरीके से अपनी खुद की डिजिटल करेंसी पेश करने की रणनीति पर काम कर रहा है। आरबीआई पायलट आधार पर थोक और खुदरा क्षेत्रों में इसे पेश करने की प्रक्रिया में है। 

सोच- विचार के स्तर से काफी आगे बढ़ा केंद्रीय बैंक

केंद्रीय बैंक सोच- विचार के स्तर से काफी आगे बढ़ चुका है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई केंद्रीय बैंक इस दिशा में काम कर रहे हैं। आगे आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि उपभोक्ताओं को उन डिजिटल करेंसी में अस्थिरता के भयावह स्तर से बचाने की जरूरत है, जिन्हें कोई सरकारी गारंटी प्राप्त नहीं है। कई देशों के केंद्रीय बैंक सीबीडीसी की संभावना तलाशने में लगे हैं। कुछ देशों ने विशिष्ट उद्देश्य के लिए सीबीडीसी को लागू किया है। अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई भी काफी समय से सीबीडीसी की विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रहा है।  टी रवि शंकर ने ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ के ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान कहा कि हो सकता है कि सीबीडीसी को लेकर विचार क्रियान्वयन के करीब है। वित्त मंत्रालय द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति ने नीति और कानूनी ढांचे का परीक्षण किया है। उसने देश में सीबीडीसी को डिजिटल मुद्रा के रूप में पेश करने की सिफारिश की है।

कानूनी बदलाव की जरूरत

शंकर ने कहा, ‘निकट भविष्य में इसे थोक और खुदरा क्षेत्रों में पायलट आधार पर लागू किया जा सकता है।’ हालांकि इसके लिए कानूनी बदलाव की जरूरत होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत मौजूदा प्रावधान मुद्रा को भौतिक रूप से ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप सिक्का अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में भी संशोधन की आवश्यकता होगी।

क्या है डिजिटल करेंसी?

डिजिटल करेंसी का पूरा नाम है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है। जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है, इसे उसी देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है। भारत के मामले में आप इसे डिजिटल रुपया भी कह सकते हैं। यह दो तरह की होती हैं- खुदरा और थोक। खुदरा डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं। वहीं थोक डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाएं करती हैं।

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