
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 15 मार्च 2022। किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले संयुक्त किसान मोर्चे में दरार नजर आने लगी है। हाल ही में एक मीटिंग के दौरान ऐसा कुछ हुआ जो काफी हैरान करने वाला था। यह मीटिंग एमएसपी गारंटी पर किसानों के आंदोलन का अगला चरण तय करने के लिए की गई थी। इस मीटिंग के दौरान एसकेएम के दो धड़ों ने एक ही स्थान पर दो अलग-अलग मीटिंग्स कीं। द ट्रिब्यून के मुताबिक गांधी पीस फाउंडेशन, जिसमें मोर्चे के नेता दर्शन पाल, हन्नन मोल्ला, जगजीत सिंह, जोगिंदर सिंह, युद्धवीर सिंह और योगेंद्र यादव हैं मीटिंग से बाहर बैठे। यह लोग मोर्चे के उन लोगों का विरोध कर रहे थे जिन्होंने हाल ही में विधानसभा चुनाव लड़ा था। इन नेताओं का कहना था कि मीटिंग में शामिल नेताओं ने राजनीतिक पार्टी बना ली है। यह लोग अब संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा नहीं हैं।
हम किसान, जमीन पर बैठकर खुश
इस मामले पर बोलते हुए योगेंद्र यादव ने कहाकि प्रदर्शन के दौरान भी हमने किसी राजनीतिक दल के साथ मंच साझा नहीं किया। हम किसान हैं और हमें जमीन पर बैठने में खुशी है। यादव ने चुनाव लड़ने बलबीर राजेवाल की तरफ इशारा करते हुए कहाकि जिन लोगों ने चुनाव लड़ा वह कुर्सियों पर बैठें। वहीं राजेवाल ने कहाकि कुछ मुद्दों पर ही विरोध हैं। उन्होंने कहाकि बहुत से लोग योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत भी पहले चुनाव लड़े हैं और हारे हैं। राजेवाल ने यह भी दावा किया कि उन्हें आम आदमी पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का पद ऑफर किया गया था।
भारत बंद के समर्थन का ऐलान
गौरतलब है कि राजेवाल की संयुक्त समाज मोर्चा चुनाव में खाली हाथ रह गई थी। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि 11 अप्रैल से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी लीगल गारंटी सप्ताह का देशव्यापी कैंपेन चलेगा। इसके अलावा 21 मार्च को लखीमपुर घटना में सरकार के रोल व किसानों से किया वादा पूरा न करने पर प्रदर्शन होगा। वहीं 28 और 29 मार्च को ट्रेड यूनियन के भारत बंद के समर्थन का भी ऐलान किया गया।