इंडिया रिपोर्टर लाइव
जन धन की कीमत दस हजार
जन धन से जान जोखिम में
मध्यप्रदेश के भिंड शहर के बीटी आई इलाके के संतोष नगर की रहने वाली गीता शाक्य ने सपने में नहीं सोचा होगा कि जनधन योजना के तहत मिलने वाले 500 के बदले 10000 चुकाने होंगे ! दरअसल गीता उन 39 जनधन योजनाधारी महिलाओं में शामिल थी जो योजना के तहत मिले 500 निकालने बैंक गई थी लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उन समस्त महिलाओं पर सोशल डिस्टेंडिंग का उल्लंघन का आरोप लगाकर धारा 151 के तहत जेल में डाल दिया ! इनमें गीता शाक्य को 10000 का मुचलका भरकर रिहाई मिली ! वर्तमान समय में यह हाल प्रधानमंत्री जन धन योजना का देश भर में है l जब से जनधन योजना में केंद्र सरकार ने इन खातों में 500 डाले हैं तब से बैंकों के बाहर सैकड़ों खाताधारक लाइनों में खड़े हैं! एक लाइन में खड़े कई लोगों के खातों में पैसे तक नहीं आये इस वजह से लोगों की भीड़ होने से सोशल डिस्टेंडिंग का उल्लंघन भी हो रहा है ! देखा जाए तो सरकार डिजिटल इंडिया के बड़े-बड़े दावे कर रही है लेकिन इस समय जब डिजिटल इंडिया की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी तो सरकार इस पेैदान पर फेल है जन धन योजना में क्रेडिट हुए 500 की अधिकांश लोगों तक कोई मैसेज द्वारा सूचना नहीं पहुंची अगर यह सूचना समय पर पहुंचती तो यह भीड़ से अफरा-तफरी का माहौल निर्मित नहीं होता गौरतलब है कि 2014 में जब पहली बार केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी तब पीएम मोदी ने बृहत स्तर पर देश भर में प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खाते खुलवाए थे ! यह खाते गरीब असहाय लोगों के थे आंकड़ों के अनुसार देशभर में करीब 20 करोड जनधन के खाते खुले थे ! इन खातों को लेकर उस समय बड़ी बड़ी बातें की गई थी 2014 मैं खुले इन खातों मैं 2020 मैं कोरोना आपातकाल के दौरान पहली बार 500 डाले गए पैसे डालने की वजह गरीबों की सहायता राशि बताया जा रहा है सरकार की फौरी राहत में भी कई कमियां देखने को मिल रही है कहने को तो 20 करोड़ खातों में पैसे डाले गए लेकिन हकीकत है कि इनमें से बहुत सारे खाते या तो बंद हो गए हैं या इन खातों में पैसे ही नहीं पहुंचे हैं यहां सवाल उठता है कि सरकार जो राहत के लिए कदम उठा रही है क्या सरकार का दायित्व नहीं बनता कि वह हकीकत को पहचाने ! सिर्फ घोषणाये करके और औपचारिकता पूरी करके कार्य के परिणाम की कल्पना नहीं की जा सकती है कोरोना वायरस के कारण आई समस्या में राहत देने के लिए, केंद्र और राज्य सरकारें कई योजना चलाकर लोगों को मदद कर रही है लेकिन हकीकत में यह योजनाएं हितग्राहियो तक नहीं पहुंच पा रही है ! केवल योजना चालू करने भर से सफलता नहीं पाई जा सकती ! मॉनिटरिंग करना बहुत आवश्यक है सरकार का दायित्व बनता है वह जो भी राहत दे रही है सब तक पहुंच रही है या नहीं इसका पता भी लगाना होगा मध्यप्रदेश की ही बात की जाये तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस घड़ी में गरीबों असहायों हेतु कई कल्याणकारी घोषणाये की है ! राशन बांटा जा रहा है भूखों को खाना बांटा जा रहा प्रदेश के बाहर फंसे मजदूरों को आर्थिक मदद पहुंचाने की बात की जाए लेकिन देखने में आ रहा है कि बहुत सारे लोगों को सरकार की मदद का लाभ नहीं मिल रहा है ! सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह हर एक नागरिक जो मदद का वाकई में हकदार है उसे मदद दिलवानना चाहिए । जहां तक प्रधानमंत्री जन धन योजना की बात की जाए तो केंद्र सरकार ने योजना के इन खातों में जो 500 की राशि जमा कराई है वह ना काफी है हम कल्पना कर सकते हैं कि एक परिवार के लिए 500 क्या जरूरत पूरी कर सकती है योजना के तहत आगामी तीन माह तक यह राशि जमा होगी, मतलब 1500 मिलेंगे इस सब के बीच लॉक डाउन में सबसे प्रभावित गरीब वर्ग है यही वह वर्ग है! जिसे वाकई में आर्थिक मदद की जरूरत है सिर्फ 500 की मदद से समस्या हल नहीं होगी! यदि इस मदद में भी प्रशासन का डंडा चलेगा तो स्थिति चिंतनीय है ! चिंता की बात यह भी है कि 500 के लिए लोग जान जोखिम में डालकर लाइनों में लगे हैं !जो घटना भिंड में हुई वह घटना अन्य शहरों कस्बों की भी है ! जनधन मैं खाताधारकों की ऐसी स्थिति है, सरकार को ऐसी स्थिति निर्मित ना हो इस पर विचार करना चाहिए ।