मोदी कैबिनेट के जरिए दक्षिण भारत को साधने की कोशिश, जातीय समीकरणों का भी रखा खास ख्याल

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 11 जून 2024। मोदी कैबिनेट में 71 मंत्रियों को शामिल किया गया है। एन.डी.ए. में भाजपा के बाद सबसे बड़े दो दलों तेलुगु देशम पार्टी (टी.डी.पी.) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को कैबिनेट में केवल दो-दो ही स्थान मिले हैं। जानकारों की मानें तो यह इस बात का संकेत हैं कि भाजपा पर सहयोगी दलों का कोई ज्यादा दबाव नहीं था और न ही कोई ज्यादा सौदेबाजी हुई। चुनाव के नतीजे आने के बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स बता रही थी कि भाजपा के सहयोगी दल हर तीन सांसद पर एक मंत्री पद मांग रहे हैं, लेकिन शपथ ग्रहण के बाद यह तस्वीर भी बिलकुल साफ हो गई कि ऐसे किसी फार्मूले पर विचार नहीं हुआ है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा भविष्य में दक्षिणी भारत में अपनी जड़े जमाना चाहती हैं इसलिए कैबिनेट में दक्षिण भारत को खास तरजीह देते हुए इस बार 11 लोगों को मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा कैबिनेट के गठन में देश के जातीय समीकरणों का भी ख्याल रखा गया है और 28 सामान्य वर्ग के सांसदों को कैबिनेट में जगह दी है। इसके अलावा 7 महिला सांसदों को भी मंत्री पद से नवाजा गया है, इनमें से छह भाजपा सांसद हैं।

दक्षिणी भारत के हर राज्य को नेतृत्व
भाजपा दक्षिण भारत में पैर जमाने की लगातार कोशिशें कर रही हैं, लेकिन उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है। इस बार के चुनाव नतीजे भाजपा के लिए उत्साहवर्धक है। वामपंथ के गढ़ केरल में भाजपा पहली बार कोई सीट जीत पाई है। वहीं कर्नाटक में उसकी सीटें 25 से घटकर 17 रह गई हैं, तो तेलंगाना में सीटों की संख्या 4 से बढ़कर 8 हो गई हैं। लेकिन दक्षिण के सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु में भाजपा को कोई सफलता नहीं मिली है। इसके बाद भी भाजपा ने कैबिनेट में दक्षिण भारत को भरपूर जगह दी है। केरल से दो, तमिलनाडु से दो, तेलंगाना से दो, आंध्र प्रदेश से एक और कर्नाटक से 4 लोगों को कैबिनेट में जगह दी गई है।

सभी जाति वर्गों को कैबिनेट में मिला स्थान
पी.एम. मोदी की तीसरी सरकार में भाजपा ने जातीय समीकरणों का भी खास ख्याल रखा है। मंत्रिमंडल में सामान्य वर्ग के 28 सदस्य हैं। इनमें 8 ब्राह्मण और 3 राजपूत शामिल हैं। इनके अलावा भूमिहार, यादव, जाट, कुर्मी, मराठा, वोक्कालिगा समुदाय से दो-दो मंत्री बनाए गए हैं। सिख समुदाय के दो लोगों को मंत्री बनाया गया है। कर्नाटक के लिंगायत समुदाय के साथ-साथ निषाद, लोध और महादलित वर्ग के एक-एक व्यक्ति को मंत्री बनाया गया है। बंगाल के प्रभावशाली मतुआ समाज को भी जगह दी गई है। इनके अलावा अहीर, गुर्जर, खटिक, बनिया वर्ग को भी एक-एक बर्थ दी गई है। सवर्ण वर्ग को भाजपा का कोर वोटर माना जाता है। इसलिए उनको प्रमुखता से कैबिनेट में जगह दी गई है। वहीं चुनाव में लगे झटके के बाद भाजपा ने बाकी वर्गों को भी जगह देने की कोशिश की है।

कम मिली महिलाओं को कैबिनेट में जगह  
इस बार के चुनाव में 74 महिलाएं जीतकर संसद पहुंची हैं। ये महिलाएं भाजपा, टी.एम.सी. और कांग्रेस समेत 14 दलों के टिकट पर मैदान में थीं। इनमें से 43 पहली बार चुनाव जीती हैं। सबसे अधिक 31 महिलाएं भाजपा के टिकट पर जीती हैं। इसके अलावा कांग्रेस की 13, टी.एम.सी. की 11 और सपा की पांच महिला सांसद हैं। 18वीं लोकसभा में केवल 13.6 फीसदी महिला सांसद हैं। यह महिला आरक्षण के लिए बने कानून से काफी कम हैं, हालांकि यह कानून अभी लागू नहीं हुआ है। मोदी कैबिनेट में सात महिलाओं को मंत्री बनाया गया है। इनमें निर्मला सीतारमण, अन्नपूर्णा देवी, रक्षा खड़से, सावित्री ठाकुर, अनुप्रिया पटेल, नीमूबेन बमभानिया और शोभा करंदलाजे शामिल हें। इनमें से अनुप्रिया पटेल को छोड़ सभी भाजपा की सदस्य हैं। भाजपा ने अपनी 31 महिला सांसदों में से छह को मंत्रिमंडल में जगह दी है। यह संख्या 20 फीसदी से भी कम है।

मंत्रिमंडल में एक भी मुसलमान नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में पांच अल्‍पसंख्‍यकों को शामिल किया गया है, लेकिन इनमें कोई मुसलमान नहीं है। जानकारों का कहना है कि यह देश की करीब 20 फीसदी आबादी को अनदेखा जैसा करना है।भाजपा और उसे समर्थन दे रहे दलों से भी कोई मुसलमान उम्मीदवार लोकसभा चुनाव नहीं जीता है। इसके अलावा इन दलों का राज्यसभा में भी कोई मुसलमान सदस्य नहीं है। यह तब है जब लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुसलमान को मुद्दा चर्चा में रहा हो।

हार के बाद यू.पी.में जड़ें मजबूत करने की कवायद
भाजपा उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों से सबसे ज्यादा परेशान है। उत्तर प्रदेश में मिली हार का असर इस कैबिनेट में दिखाई दिया है। राज्य में 2026-2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। यही वजह है कि हार के बावजूद मोदी कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से 10 मंत्रियों को शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश से एन.डी.ए. का हर तीसरा सासंद मंत्री बना है। इससे पहले 2019 में भाजपा को जब 80 में से 62 सीटें मिली थीं, तो यू.पी. से 12 लोगों को मंत्री बनाया गया था।

पुराने मंत्री इस लिए हुए बाहर
भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण अपने कुछ पुराने मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर भी रखना पड़ा है।इनमें नारायण राणे, परषोत्तम रूपाला और अनुराग ठाकुर को जीत के बावजूद मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। इन लोगों को जबकि मोदी की पिछली सरकार से 17 मंत्री चुनाव हार गए हैं। हारे हुए मंत्रियों में से केवल एल मुरुगन को ही मंत्री बनाया गया है। वो मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं, वह तमिलनाडु की नीलगिरी (सुरक्षित) सीट से लोकसभा हार गए थे।

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