इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली। गलवां घाटी में हिंसक झड़प के बाद चीन को कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक क्षेत्र में चौतरफा घेरने की रणनीति बनाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक सरकार इस बारे में शनिवार तक अहम घोषणा कर सकती है। आर्थिक मोर्चे पर इसकी शुरुआत कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक सरकार के रणनीतिकार यह तय कर रहे हैं कि चीन को किस मोर्चे पर कैसे अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि भारत फिलहाल विवाद और तनाव कम करने के लिए शीर्ष स्तर पर आधिकारिक वार्ता से परहेज बरतेगा। भारत की कोशिश है कि शीर्ष स्तर की वार्ता शुरू करने से पहले एलएसी पर पूर्व स्थिति बहाल हो। चीन नो मेंस जोन सहित उन क्षेत्रों से पीछे हटे जो हिस्सा फिलहाल विवाद और बातचीत के दायरे में है। सूत्रों का कहना है कि चीन की ओर से बातचीत के प्रस्ताव हैं, मगर भारत ने फिलहाल इस पर अपनी अनिच्छा जाहिर की है। गौरतलब है कि बुधवार को भी दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत में भारत ने सख्त रुख अपनाया था।
भारत की दो टूक-अपनी सीमा के अंदर गतिविधियां करे चीन
गलवां घाटी में हिंसक झड़प के बाद जारी तनातनी के बीच भारत ने दो टूक लफ्जों में कहा है कि चीन अपनी गतिविधियां वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी सीमा के अंदर ही सीमित रखे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन को एलएसी में किसी तरह का बदलाव न करने की नसीहत देते हुए कहा, भारत अपनी अखंडता और संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हालात के मुताबिक हर कार्रवाई को तैयार
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सीमा पर शांतिपूर्ण और स्थिर माहौल का हिमायती है। हम बातचीत के जरिए मतभेदों को सुलझाने के पक्षधर हैं। दोनों देश छह जून को बनी सहमति पर आगे बढ़ने पर सहमत हैं। हालांकि जैसा प्रधानमंत्री ने बुधवार को कहा था कि हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए हम हालात के मुताबिक हर तरह की कार्रवाई के लिए तैयार रहते हैं।
भारत अपने रुख पर कायम, सैन्य कमांडरों की बातचीत बेनतीजा
गलवां घाटी में खूनी झड़प के बाद भारत और चीन के बीच लगातार तीसरे दिन सैन्य कमांडरों की वार्ता बेनतीजा रही। मेजर जनरल स्तरीय वार्ता में भारत ने अपना पुराना रुख दोहराते हुए स्पष्ट किया कि तनाव टालने के लिए एलएसी पर पूर्व की स्थिति बहाल हो। सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को तीन घंटे से ज्यादा हुई बातचीत में भारत ने हिंसक झड़प के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया।भारत ने कहा, एलएसी पर पूर्व स्थिति बहाल करने के बाद तनाव खत्म करने पर बातचीत शुरू होनी चाहिए। वहीं, चीनी पक्ष ने एलएसी के उल्लंघन से इनकार करते हुए कहा कि गलवां घाटी में भारतीय सेना ने एलएसी पार की। इसके बाद बातचीत बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। इस दौरान भविष्य में सैन्य स्तर की बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी।
अब भी जारी है दोनों देशों में बातचीत
श्रीवास्तव ने कहा, भारत और चीन के बीच संपर्क अभी टूटा नहीं है। अलग-अलग स्तर पर बातचीत जारी है। सैन्य स्तर के अलावा कूटनीतिक स्तर पर भी बातचीत चल रही है। इनमें सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए गठित कार्यसमिति की बैठक भी शामिल है। श्रीवास्तव ने बताया कि 21 जून को प्रस्तावित भारत-रूस-चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री शामिल हाेंगे। रूस की मेजबानी में हो रही बैठक में कोरोना से निपटने पर चर्चा होगी।