इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 31 अक्टूबर 2021। तालिबान का सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा पहली बार अपनी सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज कराई है। अखुंदजादा ने दक्षिणी अफगान शहर कंधार में अपने समर्थकों को संबोधित किया। अधिकारियों ने रविवार को इसकी जानकारी दी। अखुंदज़ादा 2016 से इस्लामी आंदोलन के आध्यात्मिक प्रमुख रहा है। लेकिन अगस्त में उसके समूह द्वारा अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के बावजूद वह लोगों के सामने नहीं आया। हैबतुल्लाह अखुंदजादा अभी तक लो प्रोफाइल रहा है। इस वजह से तालिबान सरकार में उसकी भूमिका पर अटकलें लगाई जा रही थीं। यहां तक कि अखुंदजादा की मौत की अफवाहें भी सामने आईं।
तालिबान अधिकारियों के अनुसार, शनिवार को अखुंदजादा ने दारुल उलूम हकीमा मदरसे में अपने सैनिकों और लड़ाकों से बात की। कार्यक्रम में कड़ी सुरक्षा थी और कोई तस्वीर या वीडियो सामने नहीं आया, लेकिन तालिबान के सोशल मीडिया अकाउंट्स द्वारा दस मिनट की ऑडियो रिकॉर्डिंग साझा की गई।
अखुंदजादा ने तालिबान नेतृत्व के लिए अल्लाह का आशीर्वाद मांगा
अखुंदजादा जिसे ‘अमीरुल मोमिनीन’ या वफादार कमांडर के रूप में जाना जाता है और वह धार्मिक संदेश देता है। हालांकि असने अपने भाषण में राजनीति को नहीं छुआ, लेकिन तालिबान नेतृत्व के लिए अल्लाह का आशीर्वाद मांगा।
अफगानिस्तान में सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति है अखुंदजादा
तालिबान का सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा इस समय अफगानिस्तान में सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति है। इसके बावजूद अभी तक वह लोगों से दूर परछाई की तरह रहता है। उसके बारे में कहा जाता है कि तालिबान के ही कई लोगों ने उसे कभी नहीं देखा है और बहुत कम लोग ही उससे मिल पाते हैं। इसके साथ ही वह सार्वजनिक रूप से भी जनता के सामने कभी नहीं आया था। तालिबान के सत्ता से बाहर रहने के दौरान हिबतुल्ला के पाकिस्तान के क्वेटा में रहने की खबरें सामने आई थीं। लेकिन अब कहा जा रहा है कि वह कांधार में रह रहा है।
2016 में संभाली थी तालिबान की कमान, हाल ही में गया कांधार
उल्लेखनीय है कि हिबतुल्ला अखुंदजादा ने तालिबान की कमान मई 2016 में इसके पूर्व प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर की एक ड्रोन हमले में मौत हो जाने के बाद संभाली थी। राजनीतिक, सैन्य और धार्मिक मामलों में उसका आदेश अंतिम माना जाता है। इस रिपोर्ट के अनुसार कांधार के रहने वाले 22 वर्षीय जबीउल्लाह का कहना है कि अखुंदजादा दो सप्ताह पहले ही शहर में आया था। तालिबान के अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल कर लेने के बाद इस इलाके में उसकी यह पहली यात्रा बताई जा रही है। इस दौरान उसके साथ कई सुरक्षा कर्मी भी थे।