केंद्र सरकार किसान व मजदूर विरोधी – हरिद्वार सिंह

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उद्योगपतियों के इशारे पर चलने वाली सरकार

इंडिया रिपोर्टर लाइव

अनूपपुर (मध्य प्रदेश) 01 मार्च 2021। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की विधानसभा परिषद कोतमा की मीटिंग 28 फरवरी 2021 को अनूपपुर जिले के सारंगढ़ निगवानी गांव में कामरेड दीप नारायण बर्मा के निवास पर कामरेड दीप नारायण वर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। बैठक में मार्गदर्शन के लिए सीपीआई के सहायक राज्य सचिव कामरेड हरिद्वार सिंह उपस्थित थे।

कामरेड हरिद्वार सिंह ने उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत के आजादी को बहुत बड़ा खतरा है। हजारों लाखों लोगों ने कुर्बानी देकर अंग्रेजों से इस देश को आजाद कराया था। व्यापार करने ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में आई थी हमारे देश के राजा महाराजाओं के आपस के झगड़े ने भारत में अंग्रेजों को शासन करने का मौका दिया। आजादी के 73 वर्षों में‌‌ देश ने बहुत दे, जिस देश में सुई बनाने का कारखाना नहीं था उस देश में कल कारखाने का जाल बिछ गया। जिस देश में 1966 में अमेरिका में सूअर को खाने वाले लाल गेहूं को खाने के लिए भगदड़ मच गई थी आज उस देश में अनाज का इतना ज्यादा भंडार है कि देशवासी भी आते हैं और साथ ही विदेशों में भी हम अनाज भेजते हैं। 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ जिस देश में 8 लाख करोड़ रुपए कुल बैंकों में जमा था 23 बैंक दिवालिया हो गए थे ऐसी स्थिति में जनता के दबाव में वामपंथियों के पहल पर इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। खदान का राष्ट्रीयकरण किया। स्टील का उत्पादन हुआ। और कौन सा ऐसा क्षेत्र है जहां विकास नहीं हुआ? एक समृद्ध भारत बनने की दिशा में हमारा देश चल पड़ा था लेकिन 2014 में जब से नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं तब से मजदूरों की खुशी किसानों की आत्मकथा छोटे व्यापारियों की खुशहाली मोदी जी को देखी नहीं गई। मोहब्बत में, प्यार में, समर्पण में व्यक्ति अंधा हो जाता है, गौतम अडानी एवं मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी एवं उनके परिवार के साथ नरेंद्र दामोदरदास मोदी की व्यक्तिगत मोहब्बत ने इनको अपने कर्तव्य से विमुख कर दिया है, अंधा कर दिया है। जिन करोड़ों किसानों मजदूरों ने वोट देकर के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी को बनाया है उन्हीं के खिलाफ हाथ जोड़कर के पीछे पड़े हैं। किसानों ने आंदोलन करके अथवा ज्ञापन देकर के सेमिनार करके सरकार से मांगा कि कृषि कानून में परिवर्तन करिए। सरकार ने आवश्यक खाद्य वस्तुओं का बड़े पैमाने पर भंडारण करने की इजाजत दे दी। जिससे जमाखोरी बढ़ेगी। किसानों का नुकसान होगा। जनता को अधिक दाम पर खरीदारी करनी पड़ेगी।

1986 में केंद्र सरकार ने एक कानून बनाया था कि आवश्यक वस्तुओं के एक सीमा से अधिक भंडारण की अनुमति नहीं होगी और इसे जमाखोरी कहा जाएगा। पकड़े जाने पर संबंधित व्यापारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मोदी सरकार ने कानून को बदल दिया। 27 सितंबर 2020 को कृषि कानून बिना विपक्ष के उपस्थिति के संसद में बिना बहस के कोविड-19 के समय पास कर दिया गया। लेकिन हरियाणा में मुकेश अंबानी का सोलह सौ एकड़ में गोदाम 2 साल पहले से बन रहा था आखिर क्यों? क्योंकि मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, एवं गौतम अदानी को मालूम है कि केंद्र सरकार उनके इशारे पर चलने वाली सरकार है और इसीलिए कानून बनने के पहले ही गोदाम बना लिया गया था। दूसरी तरफ कंपनी तय करेगी कि अपने खेत में किसान कौन सा अनाज बोएगा, उसी समय उसकी कीमत भी तय हो जाएगी। किंतु फसल आने के बाद साइज के नाम पर, कलर के नाम पर कोई ना कोई बहाना बनाकर के और निर्धारित फसल की कीमत नहीं दी जाएगी। किसानों को अपने जमीन को कंपनी के नाम से बंधक बनाना पड़ेगा। कंपनियां किसानों के उन जमीनों के बदले बैंकों से ऋण हासिल करेंगे और यदि कंपनियों ने ऋण नहीं चुकाया तो किसानों की जमीन नीलाम हो जाएगी और इस तरह से सरकार किसानों को भूमिहीन बनाने का एक रास्ता कानूनी तौर से तैयार कर ली है। किसान अपने जमीन का मालिक नहीं रहेगा। यह कहना कि किसान अपनी फसल को कहीं भी बेच लेगा, यह सरासर झूठ है किसान इतने ही अगर सक्षम होता तो देश के अलग-अलग राज्यों में फसल की अलग-अलग कीमत है किंतु अगहन में धान की कीमत कम हो जाती है और चैत्र मास में गेहूं की कीमत कम हो जाती है, किसान के सामने बेटी के शादी की समस्या है, बच्चों की पढ़ाई की समस्या है, बीमारी की हालत में महंगे इलाज का सामना करना है और इसीलिए यह जानते हुए भी 4 महीने बाद उसके अनाज की कीमत बढ़ जाएगी, ओने पौने दामों में बिचौलियों को अपना अनाज बेचना पड़ता है। किसान सरकार से एक ही बात कह रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून में प्रावधान होना चाहिए ताकि निर्धारित दर से नीचे अनाज खरीदने पर उस व्यक्ति को जेल की सजा हो। किसानों के हित में ढिंढोरा पीटने वाली केंद्र सरकार क्यों नहीं इस बात को मानती है क्योंकि गौतम अडानी, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी एवं अन्य धनाढ्य व्यापारियों के एहसान तले सरकार दबी है आखिर किसी सरकार को गिराने के लिए भाजपा की सरकार को बनाने के लिए यदि 35 करोड में एक एक विधायकों को खरीदना पड़े तो पैसा कहां से आएगा यह एक बड़ा सवाल है। इसी तरह से देश के सारे संपत्ति समूचे सार्वजनिक क्षेत्र को बेचकर और ईस्ट इंडिया कंपनी के तर्ज पर केंद्र सरकार गौतम अडानी एवं अंबानी बंधुओं को बेचकर भारत को फिर से गुलाम बनाना चाहती है। यही आर.एस.एस. का एजेंडा है उसी रास्ते पर केंद्र सरकार काम कर रही है।

कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा हमें किसानों एवं मजदूरों को संगठित करके सरकार के खिलाफ संघर्ष को तेज करना चाहिए। हम एक मजबूत कम्युनिस्ट पार्टी का निर्माण करना चाहिए। कम्युनिस्ट पार्टी ही इस देश की ऐसी किसानों एवं मजदूरों की क्रांतिकारी राजनीतिक पार्टी है जो बिना बिके, बिना टूटे, बिना झुके, अंतिम दम तक लड़ाई लड़ती रहेगी। उन्होंने कहा गंभीर चिंतन मंथन करने के लिए 13 नवंबर से 15 नवंबर 2021 को कोतमा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मध्यप्रदेश का राज्य सम्मेलन होना तय किया गया है। 13 नवंबर को विशाल आमसभा होगी जिसमें 25000 लोग शामिल होंगे। आमसभा के मुख्य अतिथि सीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड डीo राजा होंगे एवं मुख्य वक्ता जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष युवा तुर्क नौजवानों के धड़कन कामरेड कन्हैया कुमार होंगे। इनके साथ एटक की महासचिव ओजस्वी वक्ता कामरेड अमरजीत कौर एवं अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड अतुल कुमार भी आम सभा को संबोधित करेंगे।

आम सभा के बाद 13 नवंबर से 15 नवंबर तक मध्यप्रदेश के सारे जिलों से आए हुए प्रतिनिधियों के बीच गंभीर चिंतन मंथन कर एक रणनीति मनाई जाएगी जिससे किसानों और मजदूरों की लड़ाई को आगे बढ़ाया जा सके। बैठक में जिला सचिव कामरेड संतोष केवट, विधानसभा परिषद सचिव कामरेड भागवेंद्र तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता कामरेड शिवचरण केवट, अधिवक्ता कामरेड सुदामा केवट, वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता कामरेड विजय सिंह, कामरेड महमूद, कोषाध्यक्ष कामरेड डीके साहू, कामरेड दीप नारायण, कामरेड रामप्रसाद, कमलेश सूरज बली, कामरेड लालाराम, कमलेश सुरेंद्र, कामरेड राकेश गौतम, कामरेड राम गोपाल, कामरेड चंद्रिका यादव, कामरेड इंद्रपाल, कामरेड लीलाधर, कामरेड अर्जुन साहू एवं ढेर सारे कार्यकर्ता बैठक में मौजूद थे एवं विस्तार से अपने बातों को बैठक में रखा। कामरेड दीप नारायण ने सभा को समाप्त किया।

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