सभी मंत्री विधायक आंदोलन में होंगे शामिल
केजरीवाल सरकार ने भाजपा के फैसले को बताया तानाशाही
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 16 मार्च 2021। दिल्ली में शासन करने की शक्तियों को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार में खींचतान जारी है। इस बीच दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के अलोकतांत्रिक फैसले और तानाशाही के खिलाफ आम आदमी पार्टी सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी। इसके लिए बुधवार को दोपहर दो बजे से जंतर-मंतर पर दिल्ली के सभी कैबिनेट मंत्री और ‘आप’ के विधायक, पार्षद और कार्यकर्ता राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन (संशोधन) विधेयक 2021 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। राय ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे। इससे पहले दिन में, AAP सांसदों ने इस बिल के खिलाफ गांधी प्रतिमा पर संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सोमवार को इस बिल को लेकर केंद्र पर निशाना साधा था। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था, ”दिल्ली की जनता (विधानसभा में 8 सीटें, एमसीडी उपचुनावों में 0 सीटें) द्वारा नकारे जाने के बाद, भाजपा आज लोकसभा में एक बिल के माध्यम से निर्वाचित सरकार की शक्तियों को कम करना चाहती है। यह बिल संविधान पीठ के फैसले के विपरीत है। हम भाजपा के इस असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी कदम की निंदा करते हैं।
केजरीवाल ने कहा कि यह बिल संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ है जिसमें कहा गया था कि फाइलें एलजी को नहीं भेजी जाएंगी। निर्वाचित सरकार सभी फैसले लेगी और केवल फैसले की प्रति एलजी को भेजेगी।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) बिल 2021 लोकसभा में पेश किया। इस बिल में दिल्ली के उपराज्यपाल की कुछ भूमिका और अधिकारों को परिभाषित करने का प्रस्ताव किया गया है।
बिल के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, इस बिल में दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में ‘सरकार का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा। इसमें दिल्ली की स्थिति संघ राज्य क्षेत्र की होगी जिससे विधायी उपबंधों के निर्वाचन में अस्पष्टताओं पर ध्यान दिया जा सके। इस संबंध में धारा 21 में एक उपधारा जोड़ी जाएगी।
बिल में कहा गया है कि बिल में यह भी सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है कि उपराज्यपाल को आवश्यक रूप से संविधान के अनुच्छेद 239क के खंड 4 के अधीन सौंपी गई शक्ति का उपयोग करने का अवसर मामलों में चयनित प्रवर्ग में दिया जा सके।
बिल के उद्देश्यों में कहा गया है कि उक्त विधेयक विधान मंडल और कार्यपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का संवर्द्धन करेगा तथा निर्वाचित सरकार एवं राज्यपालों के उत्तरदायित्वों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप परिभाषित करेगा।