इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली । निर्भया के लिए न्याय की घड़ी अब फाइनल होने वाली है। 2012 के निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में आज पटियाला हाउस कोर्ट से नया डेथ वॉरंट जारी हो सकता है। अब इस मामले में फांसी की जो नई तारीख तय होगी, वह अंतिम होगी। ऐसा इसीलिए क्योंकि फांसी से बचने के लिए अब इन चारों के पास कोई विकल्प नहीं बचा। दिल्ली सरकार बिना वक्त गंवाए बुधवार को ही अपनी अर्जी लेकर अदालत पहुंची और निर्भया मामले में चारों दोषियों की फांसी की नई तारीख तय करने का अनुरोध किया। इस पर दोषियों को आज अपना जवाब अदालत में देना है।अडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने चारों दोषियों को गुरुवार तक अपना-अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से सरकारी वकील इरफान अहमद ने अदालत में यह आवेदन दिया। कहा कि दोषियों के लिए सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं और अब कानूनी उपचार का कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने अदालत से कहा कि दोषियों को नोटिस देने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार के इस तर्क से अदालत सहमत नहीं हुई। दोषियों को नोटिस जारी करते हुए सेशन जज राणा ने कहा कि प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हिस्सा है और दूसरे पक्ष को सुने जाने को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इससे पहले दिन में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में फांसी की सजा का सामना कर रहे दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ठुकरा दी है। अदालत ने सोमवार को दोषियों की फांसी अगले आदेश तक के लिए टाल दी थी। उन्हें मंगलवार को फांसी दी जानी थी।
तिहाड़ में पूरी है तैयारी
निर्भया गैंगरेप के चार दोषियों में शामिल पवन गुप्ता की भी दया याचिका राष्ट्रपति के पास से खारिज होने के बाद अब तिहाड़ जेल प्रशासन उन्हें फांसी पर लटकाने के लिए नई तारीख का इंतजार कर रहा है। उनका कहना है कि फांसी पर लटकाने के लिए तैयारी पूरी है। बटर लगी 10 रस्सी तिहाड़ की जेल नंबर-3 में सुरक्षित रखवा दी गई हैं। इन रस्सियों पर ट्रायल भी किया जा चुका है।
खुद को घायल करने से भी नहीं बचेंगे
जेल अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह से पिछले दिनों विनय शर्मा ने अपने आप को घायल करने की कोशिश की थी अगर कोई कैदी यह सोचता है कि इस तरह से खुद को घायल कर लेने या हाथ-पैर तोड़ लेने से इनकी फांसी रुक जाएगी तो यह रणनीति गलत है। जेल मैनुअल में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि इस तरह की कंडिशन में कैदी को फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता। अगर कोई कैदी मामूली रूप से जख्मी भी है, तो उसे फांसी पर लटकाने में कोई कानूनी अड़चन सामने नहीं आएगी।
बढ़ा दी गई निगरानी
दोषियों की निगरानी और अधिक बढ़ा दी गई है। निगरानी केवल इसलिए बढ़ाई जाती है कि कहीं इन चारों में से कोई एक या चारों कानूनी रूप से फांसी पर लटकाने से पहले अपने आप आत्महत्या न कर लें या फिर जेल से भागने की कोशिश न करें। मामूली चोट लगने या इस तरह की दूसरी समस्या होने से फांसी नहीं रोकी जाएगी।
नहीं होगी दोषियों के हेल्थ की जांच, याचिका रद्द
दिल्ली हाई कोर्ट ने चारों दोषियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच कराने और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को हस्तक्षेप करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।