यूक्रेन शिखर सम्मेलन में शामिल होगा भारत? भागीदारी के स्तर पर अब तक नहीं हुआ फैसला

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 04 जून 2024। रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग को रोकने के लिए स्विट्जरलैंड में शांति शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसका मकसद संकट को खत्म करना और क्षेत्र में शांति लाना है। हालांकि, भारत की ओर इस सम्मेलन में भागीदारी के स्तर पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। नाम न छापने की शर्त पर मामले से जुड़े करीबी लोगों ने कहा कि 15-16 जून के दौरान लेक ल्यूसर्न के ऊपर बर्गेनस्टॉक होटल में होने वाले यूक्रेन शिखर सम्मेलन में भारत के शामिल होने की उम्मीद है। हालांकि, नई दिल्ली का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित शीर्ष नेताओं के द्वारा नहीं किया जाएगा। 

लोगों ने कहा, शांति शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी 2022 के बाद से कोपेनहेगन, जेद्दा, माल्टा और दावोस में आयोजित वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों और राजनीतिक सलाहकारों की चार पिछली बैठकों के समान स्तर पर होने की उम्मीद है। इनमें से ज्यादातर बैठकों का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) या उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा किया गया था।  राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सऊदी अरब द्वारा पिछले साल अगस्त में जेद्दा में आयोजित बैठक में भाग लिया था। उनके स्विट्जरलैंड जाने की संभावना नहीं है। इस सम्मेलन में भारत की भागीदारी सुनिश्चित है, इसके लिए पिछले महीने स्विट्जरलैंड के विदेश सचिव अलेक्जेंडर फासेल को नई दिल्ली भेजा गया था। फासेल ने मीडिया को बताया था कि भारत और ब्रिक्स समूह के अन्य देश रूस और पश्चिम के बीच मध्यस्थ के रूप में काम कर सकते हैं। 

सम्मेलन में रूस को आमंत्रित नहीं किया गया है। भारत की मुख्य चिंता यह है कि इसे एक ऐसी पहले के हिस्से के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, जहां पश्चिमी देशों का एक समूह बिना रूस की भागीदारी के यूक्रेन में युद्ध को खत्म करने के लिए भविष्य की वार्ता के लिए एक रोडमैप तैयार करता है। 

भारत ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की अब तक सार्वजनिक रूप से आलोचना नहीं की है। हालांकि, इसने दोनों पक्षों से शत्रुता को खत्म करने और समाधान ढूंढने के लिए बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत उन सभी महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलनों में शामिल होगा, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के एजेंडे को बढ़ावा देते हैं। 

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