इंडिया रिपोर्टर लाइव
गुवाहाटी 09 जनवरी 2025। असम के पास दीमा हसाओ जिले में कोयला खदान में फंसे आठ श्रमिकों को बचाने की कवायद तेज कर दी गई है। राज्य और केंद्र की कई एजेंसियों ने गुरुवार को चौथे दिन भी श्रमिकों को खोजने के लिए बचाव अभियान शुरू किया। रात भर खदान से पानी निकाला गया। इसके बाद सुबह से सेना और अन्य एजेंसियों ने बचाव अभियान शुरू किया। इसके साथ ही रिमोट से चलने वाले वाहन (आरओवी) को खदान के अंदर भेजा गया। इसके साथ ही पानी को तेजी से निकालने के लिए कोल इंडिया ने महाराष्ट्र से उच्च क्षमता का पंप मंगाया है। दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो के तीन किलो क्षेत्र में कोयला खदान में सोमवार को 300 फीट गहरी खदान में अचानक पानी भर गया था। इस खदान में नौ श्रमिक फंस गए थे। इसके बाद भारतीय सेना और स्थानीय अधिकारियों की संयुक्त टीम ने त्वरित और प्रभावी तरीके से बचाव अभियान की शुरुआत की थी। इसके बाद से लगातार सेना, असम राइफल्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, नौसेना और पुलिस की टीम श्रमिकों को तलाश रही है। बुधवार को खदान में 85 फुट नीचे से एक श्रमिक का शव बरामद किया था। जिसकी पहचान नेपाल के उदयपुर जिले के गंगा बहादुर श्रेष्ठो के रूप में हुई। अन्य आठ श्रमिकों की तलाश के लिए गुरुवार सुबह भी एजेंसियों ने अभियान शुरू किया।
काला हो गया है खदान के अंदर का पानी
असम पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि खदान के अंदर भेजे गए आरओवी को कुछ भी पता नहीं चला है। बेहद मुश्किल भरी स्थिति के बीच यह फंसे हुए श्रमिकों की तलाश कर रहा है। खदान के अंदर का पानी पूरी तरह से काला हो गया है और कुछ भी ढूंढने में दिक्कत हो रही है। वहीं नौसेना के चार गोताखोर भी गहराई में फंसे हुए श्रमिकों को खोजने के लिए खदान के अंदर गए हैं। श्रमिकों का पता लगाने के लिए नौसेना, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, ओएनजीसी, कोल इंडिया और जिला प्रशासन की टीम काम कर रही है।
कोल इंडिया ने मंगाया पंप
अधिकारी ने बताया कि कोल इंडिया ने महाराष्ट्र से 500 गैलन प्रति मिनट की क्षमता वाला भारी दबाव पंप मंगाया है। यह कछार जिले के सिलचर हवाई अड्डे पर पहुंच गया है। जहां से एमआई-17 हेलीकॉप्टर से पंप के हिस्सों को 2-3 बार में लाया जाएगा। फिर इसे यहां साइट पर तैयार किया जाएगा। पहले से ही 5-6 पंप काम कर रहे हैं, लेकिन पानी में भारी गाद पंपों के लिए समस्या पैदा कर रही है। इसलिए भारी सबमर्सिबल पंप व्यवस्था की जा रही है।
अवैध थी खदान
असम पुलिस के अधिकारी ने पुष्टि की कि खदान अवैध है और प्रतिबंध के बाद भी इसमें काम हो रहा था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 2014 में रैट होल खदानों पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि पूर्वोत्तर में अभी भी इस खतरनाक तरीके से कोयला निकाला जाता है। उन्होंने कहा कि खदान 310 फीट गहरी है। इसमें रैट होल तकनीक के माध्यम से कई चैनल बनाए गए थे। हमें लगता है कि चैनलों में से एक की दीवार टूट गई थी और पूरी खदान में पानी भर गया था। ऐसी भी संभावना है कि एक चैनल पास की किसी अप्रयुक्त खदान तक पहुंच गया हो, जिसमें पहले से ही पानी भरा हुआ था। दूसरी संभावना यह है कि एक चैनल भूमिगत जलाशय तक पहुंच गया हो और अचानक पानी बह निकला हो। इनकी हम अभी पुष्टि नहीं कर सकते हैं।