इंडिया रिपोर्टर लाइव
इंंदौर 09 मई 2022। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा शहर में संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति समेत अन्य राज्यों के मुख्य न्यायाधीश शामिल हुए। इस संगोष्ठी का विषय ‘न्यायालय की तकनीक और न्याय तक पहुंच- बदलते दृष्टिकोण’ था। मुख्य रूप से इस बात पर चर्चा की गई कि न्यायालय में प्रकरणों की बढ़ती हुई संख्या को देखते तकनीकी का बेहतर उपयोग कर लंबित प्रकरणों का निराकरण किया जा सकता है। इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेशन सेंटर में आयोजित इस संगोष्ठी में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एमए खानविलकर, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी, मप्र हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ, तेलंगाना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एससी शर्मा, कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव, आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा और दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे राजेंद्र मेनन सहित मप्र हाई कोर्ट की विभिन्न पीठों में पदस्थ न्यायमूर्तिगण शामिल हुए।
न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि महामारी के दौरान हमने देखा है कि तकनीक ने किस तरह से न्यायालयों की मदद की है। ऑनलाइन सुनवाई की वजह से मामलों की सुनवाई हो सकी। युवा वकीलों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हमें तकनीक के साथ चलना होगा। तकनीक वक्त बचाने के साथ-साथ पारदर्शिता भी लाती है। हम तकनीक के साथ नहीं चलेंगे तो पीछे रह जाएंगे। न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा कि किसी भी बदलाव को लागू करना आसान नहीं होता। जैसे ही बदलाव होता है, लोग उस पर हंसते हैं। बदलाव में खामियां निकाली जाती हैं। जब कुछ नहीं होता तो धीरे-धीरे लोग बदलाव को स्वीकारने लगते हैं।
ई-कोर्ट मामले में मप्र देश में पहले नंबर पर
तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एससी शर्मा ने कहा कि नई तकनीक अपनाने में मध्य प्रदेश हमेशा आगे रहा है। दूसरे प्रदेशों से लोग यहां सीखने आते हैं। यह कंप्यूटर की तकनीक का ही कमाल है कि एक क्लिक पर पलक झपकते ही फाइल एक से दूसरी जगह पहुंच जाती है। कुछ साल पहले तक जब हाई कोर्ट की काज लिस्ट ऑनलाइन नहीं होती थी। तब वकीलों को सुनवाई के लिए लगे प्रकरणों की जानकारी के लिए परेशान होना पड़ता था, लेकिन अब एक क्लिक पर जानकारी मिल जाती है। ई-कोर्ट मामले में मप्र देश में पहले नंबर पर है। तकनीक के साथ चलने से समय और मानव संसाधन दोनों बचते हैं। मप्र हाई कोर्ट में सत्यापित नकल के लिए चक्कर नहीं लगाना पड़ते, लेकिन दूसरे प्रदेशों में ऐसा नहीं है।
केस लगते ही सीधे तारीख मांगना गलत
जस्टिस जेके माहेश्वरी ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब हमें न्यायालयों में तकनीकी के उपयोग के बारे में सोचना चाहिए उन्होंने कहा कि जो भी नए अभिभाषक आए हैं उन्हें इस बारे में ज्यादा चिंता करना चाहिए। न्यायालयों में बढ़ते हुए प्रकरणों को कम करने का यही एक विकल्प हो सकता है जिससे जल्द न्याय दिलाया जा सकता है। मप्र हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने कहा कि हम तकनीक पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। लैपटॉप, कम्प्यूटर, मोबाइल वगैरह खरीद रहे हैं। वकील भी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन मैं सुनवाई के दौरान देखता हूं कि वकील सुनवाई के दिन बहस करने के बजाय तारीख लेने पर ही जोर देते हैं। वास्तविक कारण हो तो तारीख लेने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन केस लगते ही सीधे तारीख मांगना गलत है। मेरा निवेदन है कि वकील इस प्रथा को बंद करें। हम कितनी भी तकनीक अदालतों में ले आएं, लेकिन अगर मंशा केस को जल्दी खत्म करने की नहीं होगी तो तकनीक का कोई मतलब नहीं है।
पहली बार दिल्ली के बाहर हुई इस तरह की संगोष्ठी
आयोजन में जबलपुर से जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव, वीरेंदर सिंह, ग्वालियर से जस्टिस आनंद पाठक, भोपाल से विधि सचिव बीके द्विवेदी शामिल हुए। दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे जस्टिस राजेंद्र मेनन भी कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में न्यायाधीश गण अभिभाषक और विधि के छात्र-छात्राएं शामिल हुए। स्टेट बार काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य रामेश्वर नीखरा, राधेलाल गुप्ता, जय हार्डिया, विवेक सिंह, सुनील गुप्ता, नरेंद्र जैन सहित अन्य सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस जेके माहेश्वरी का माला पहनाकर स्वागत किया। वकीलों की ओर से सीनियर एडवोकेट अविनाश सिरपुरकर ने जस्टिस खानविलकर का स्वागत किया। संयोजक और बीसीआई सदस्य प्रताप मेहता ने बताया कि इस तरह की संगोष्ठी पहली बार दिल्ली से बाहर हुई है।