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नई दिल्ली 23 जुलाई 2022। देश की बहुचर्चित रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ कोरोना महामारी काल में बड़ी काम आई। इसके जरिए महामारी काल में रिकॉर्ड तोड़ पैमाने पर रोजगार मुहैया कराया गया। कोरोना पूर्व के काल व इसके बाद के समय में ग्रामीण आबादी के लिए यह बड़ी सहारा बनी। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि 2019 में कुल 260 करोड़ मानव रोजगार दिवस सृजित किए गए थे, जबकि 2021 में यह संख्या 390 करोड़ हो गई। दरअसल, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून या मनरेगा, एक श्रमिक कानून व सामाजिक सुरक्षा योजना है। इसका मकसद रोजगार के अधिकार की गारंटी देना है। चर्चा में मौजूद शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए इस योजना को एक प्रमुख योजना के रूप में लागू करने का आह्वान किया।
येल विश्वविद्यालय के मैकमिलन सेंटर में दक्षिण एशिया अर्थशास्त्र अनुसंधान की निदेशक चैरिटी ट्रॉयर मूर ने कहा कि योजना महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सीधे आकार दे सकती है। यहां तक कि महिलाओं को श्रम क्षेत्र में शामिल होने से रोकने वाली बाधाओं को भी खत्म कर सकती है। पुरुष अपनी पत्नियों के काम करने को सामाजिक कलंक का अनुभव करते हैं। यह धारणा है कि अगर पत्नी घर से बाहर काम करती है तो संबंधित व्यक्ति गरीब माना जाता है।
येल विश्वविद्यालय में आर्थिक विकास केंद्र की निदेशक रोहिणी पांडे ने कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाओं का औसत कोरोना काल में पांच में से एक रह गया था, जबकि इसके पूर्व हर तीन में से एक था।
बता दें, संप्रग काल में तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने मनरेगा योजना लागू की थी। बाद में इसे रोजगार गारंटी कानून का रूप दे दिया गया। मोदी सरकार ने भी इसे जारी रखा और इसका बजट भी बढ़ाया।