
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 20 अक्टूबर 2022। गाम्बिया में 69 बच्चों की मौत के बाद भारतीय कफ सिरप निर्माता कंपनी जांच के घेरे में है। भारत सरकार की ओर से इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि उसके द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी एटिओलॉजी (रोग व मृत्यु का कारण पता करने वाला वैज्ञानिक अध्ययन) का निर्धारण करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में भारत के औषधि महानियंत्रक ने इस संबंध में अधिक क्लीनिकल जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।
दरअसल, बच्चों की मौतों के बाद डब्ल्यूएचओ ने 13 अक्तूबर को भारत सरकार को एक पत्र लिखा था। इसमें उसने कफ सिरप निर्माता कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स के खिलाफ अब तक की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था।
कमेटी की पहली बैठक में नहीं मिला पर्याप्त डेटा
भारत के औषधि महानियंत्रक ने डब्ल्यूएचओ को लिखे पत्र में कहा है कि इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की तकनीकी विशेषज्ञों की समिति ने जांच की। पहली बैठक में सामने आया कि डब्ल्यूएचओ द्वारा अब तक साझा की गई क्लीनिकल जानकारी एटिओलॉजी का निर्धारण करने के लिए अपर्याप्त है। भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि बीमारी का विवरण, संकेत व लक्षण, प्रयोगशालाओं में की गई जांच के परिणाम, रोगियों के नैदानिक नमूनों, मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने से पहले व बाद उसको दिए गए उपचार, दवाइओं, उनके निर्माता व एक्पायरी की जानकारी इस मामले में आवश्यक है।
डीसीजीआई ने मांगे अधिक जैविक नमूने
इस संबंध में डीसीजीआई ने डब्ल्यूएचओ से बच्चों की ऑटोप्सी रिपोर्ट, मल के नमूने जैसे अन्य जैविक नमूनों के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही पत्र में नमूनों के परीक्षण के लिए अपनाई गई परीक्षण पद्धति का विवरण भी मांगा गया है। दरअसल, डब्ल्यूएचओ ने पांच अक्टूबर को अपनी ब्रीफिंग में चार कफ सिरप – प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मकॉफ बेबी कफ सिरप, और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप पर चेतावनी जारी की थी। ये सभी कफ सिरप मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित थे।