इंडिया रिपोर्टर लाइव
काठमांडू 20 दिसम्बर 2020। नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने ओली सरकार की सिफारिश को स्वीकार करते हुए देश की संसद को को भंग कर दिया। नेपाल में अब मध्यावधि चुनावों की घोषणा हो चुकी है। अप्रैल में दो चरणों में चुनाव होंगे। राष्ट्रपति के अनुसार तीस अप्रैल और दस मई को चुनाव होना तय हुआ है। इस फैसले को जारी करते हुए राष्ट्रपति भवन ने एक विज्ञ्पति भी साझा की है जिसमें फ़ैसले के लिए संवैधानिक परंपराओं का हवाला दिया गया है।
इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मी ओली सदन को भंग करने की सिफारिश की थी। रविवार सुबह मंत्रिमंडल की एक आपात बैठक में सदन को भंग करने के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश भेजना का फैसला किया था।
राष्ट्रपति भवन से जारी नोटिस में कहा गया है कि राष्ट्रपति बिद्या भंडारी ने केपी शर्मा ओली की संसंद भंग करने की सिफारिश को मंजूर कर लिया। नेपाल के संविधान के आर्टिकल 76 (1) और (7) ,आर्टिकल 85 के तहत इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बता दें कि नेपाल की संसद को भंग करने की राष्ट्रपति से सिफारिश के बाद प्रधानमंत्री केपी ओली की सरकार ने देश की राजधानी काठमांडू में सुरक्षा के कड़े प्रबंध कर दिए हैं। राजधानी के मुख्य चौकों में पुलिस की भारी संख्या में मौजूदगी है।
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, ओली की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री बरशमैन पुन ने कहा, “आज की कैबिनेट की बैठक ने सदन को भंग करवे के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश भेजने का फैसला किया है।”
ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था जो कि उन्होंने मंगलवार को जारी किया था। उसी दिन राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी।
रविवार को जब कैबिनेट की आपात बैठक सुबह 10 बजे बुलाई गई थी, तो काफी हद तक उम्मीद की जा रही थी कि यह अध्यादेश को बदलने की सिफारिश करेगी। लेकिन इसके बजाय, मंत्रिमंडल ने सदन को भंग करने की सिफारिश की।
ओली ने शनिवार को अपने साथी और पार्टी के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल के साथ-साथ सचिवालय के सदस्य राम बहादुर थापा और शाम को राष्ट्रपति भंडारी के साथ कई दौर की बैठकें की थी।