
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 22 अक्टूबर 2022। अंतरिक्ष को कीटाणु मुक्त बनाने को लेकर दुनियाभर में चल रहे शोध में अब भारत भी शामिल हुआ है। अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत का ध्यान रखते हुए नए शोध के लिए भारत के शीर्ष संस्थानों को मौका मिला है। अलग-अलग संस्थानों ने मिलकर शोध शुरू कर दिए हैं, ताकि धरती पर वापस लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को विभिन्न बीमारियों से बचाया जा सके। नासा और इसरो के अलावा भारत के आईआईटियन अंतरिक्ष में मौजूद स्टेशन को कीटाणु मुक्त बनाने के लिए अध्ययन में काम कर रहे हैं। दरअसल, धरती, हवा और पानी में मौजूद रहने वाले माइक्रोब्स अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन पर भी हैं। इनमें से कुछ इंसानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
क्लेबसिएला निमोनिया ने बढ़ाई चिंता
भारत के अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिकों ने बताया कि हाल में क्लेबसिएला निमोनिया नामक रोगाणु की पहचान अंतरिक्ष में हुई थी, जिसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही थी। अमेरिका और यूरोप के अलावा कई देश इस तरह के वैज्ञानिक शोध में जुटे हुए हैं।
अंतरिक्ष यात्रा में बढ़ेगी सुरक्षा
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (डीएसटी) की एक वैज्ञानिक समिति के सदस्य ने बताया, आईआईटी मद्रास और नासा जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी ने मिलकर शोध शुरू किया है, ताकि अंतरिक्ष यात्रा में सुरक्षा बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशनों में पाए जाने वाले माइक्रोब्स की परस्पर प्रतिक्रिया की जानकारी मिल सके। कोरोना महामारी के बाद यह जरूरी हो गया है कि दुनियाभर में माइक्रोब्स पर भी नजर रखी जाए। इस अध्ययन के जरिये अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर कीटाणुओं के संभावित प्रभाव कम करने में मदद मिलेगी।
तीन उड़ानों से लिए माइक्रोब्स के सैंपल
रॉबर्ट बॉश सेंटर फॉर डाटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर डॉ. कार्तिक रमन ने बताया, इस शोध के लिए अंतरिक्ष में मौजूद सात अंतरराष्ट्रीय स्टेशन पहुंचीं तीन अलग-अलग उड़ानों पर मौजूद माइक्रोब्स के सैंपल एकत्रित किए हैं, जिनका विश्लेषण अभी चल रहा है।