कीमतों पर दबाव अस्थाई, वित्त मंत्रालय बोला- एहतियाती कदमों और फसलों की नई आवक से मिलेगी राहत

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 22 अगस्त 2023। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को देश में खाद्य पदार्थों की महंगाई को अस्थायी बताया है। मंत्रालय ने कहा कि खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अस्थायी रह सकती है क्योंकि सरकार के एहतियाती उपायों और नयी फसलों के आने से कीमतों में नरमी आएगी। हालांकि मंत्रालय ने यह भी कहा कि वैश्विक अनिश्चितता और घरेलू व्यवधानों से आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति का दबाव बना रह सकता है। जुलाई की मासिक आर्थिक समीक्षा में मंत्रालय ने कहा कि आने वाले समय में घरेलू खपत और निवेश मांग से वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है, लेकिन चालू वित्त वर्ष में सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय के लिए प्रावधान बढ़ाए जाने से अब निजी निवेश में तेजी आ रही है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई 2023 में बढ़कर 15 महीने के उच्च स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई। हालांकि कोर मुद्रास्फीति 39 महीने के निचले स्तर 4.9 प्रतिशत पर रही। अनाज, दालों और सब्जियों की वृद्धि दर जुलाई में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दहाई अंक में रही। घरेलू उत्पादन में व्यवधान ने भी मुद्रास्फीति पर दवाब बढ़ा दिया। कर्नाटक के कोलार जिले में सफेद मक्खी रोग के कारण टमाटर की आपूर्ति शृंखला में रुकावट और उत्तरी भारत में मानसून के तेजी से आगमन के कारण टमाटर की कीमतों में उछाल आया। मंत्रालय ने कहा कि खरीफ सत्र 2022-23 में कम उत्पादन के कारण तुअर दाल की कीमत भी बढ़ी है। 

महंगई पर सरकार और आरबीआई की ओर से अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत

मंत्रालय ने कहा, “सरकार ने खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए पहले ही एहतियाती कदम उठाए हैं, जिससे ताजा स्टॉक के आने के साथ ही बाजार में कीमतों का दबाव जल्द कम होने की संभावना है।” रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता और घरेलू व्यवधान आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ा सकते हैं, जिस पर सरकार और आरबीआई की ओर से अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत होगी। हालांकि जुलाई में खाद्य मुद्रास्फीति 2014 में नई सीपीआई शृंखला शुरू होने के बाद से शायद तीसरी सबसे अधिक रीडिंग पर है। केवल 48 प्रतिशत खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से अधिक है, और इसमें दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति के साथ 14 खाद्य पदार्थ शामिल हैं। टमाटर, हरी मिर्च, अदरक और लहसुन जैसी वस्तुओं की महंगाई दर 50 प्रतिशत से अधिक रही।

कुछ विशिष्ट वस्तुओं की कीमतों में असामान्य वृद्धि के कारण जुलाई 2023 में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति बनी। मंत्रालय के अनुसार अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में ताजा स्टॉक आने से टमाटर की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है। इसके अलावा, अरहर दाल के आयात में वृद्धि से दालों की मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है। हाल के सरकारी प्रयासों के साथ ये कारक जल्द ही आने वाले महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी ला सकते हैं। प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में शुष्क परिस्थितियों के साथ-साथ रूस की ओर से  काला सागर अनाज सौदे को समाप्त करना फैसला भी मूल्य वृद्धि का कारण बना। जबकि सफेद मक्खी रोग और असमान मानसून वितरण जैसे घरेलू कारकों ने भारत में सब्जियों की कीमतों पर दबाव डाला।

एमपीसी ने आने वाले महीनों में सब्जियों के कीमतों में सुधार की उम्मीद जताई

रिजर्व बैंक की ब्याज दर निर्धारण समिति ने इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया था। एमपीसी ने यह सुनिश्चित करने के लिए समायोजन को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित किया था कि मुद्रास्फीति विकास का समर्थन करते हुए लक्ष्य के साथ उत्तरोत्तर संरेखित हो। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आने वाले महीनों में सब्जियों की कीमतों में सुधार की उम्मीद जताई है, लेकिन अचानक मौसम की घटनाओं अगस्त और उसके बाद नीनो की स्थिति और वैश्विक खाद्य कीमतों में मजबूती के कारण घरेलू खाद्य मूल्य दृष्टिकोण पर अनिश्चितताओं की उपस्थिति को चिह्नित किया। इस संदर्भ में एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.1 प्रतिशत से संशोधित कर 5.4 प्रतिशत कर दिया। इस साल के दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान 18 अगस्त 2023 तक संचयी वर्षा लंबी अवधि के औसत की तुलना में लगभग छह प्रतिशत कम रही है। 18 अगस्त 2023 तक, किसानों ने 102.3 मिलियन हेक्टेयर में बुवाई की है, जो पिछले साल की इसी अवधि के स्तर के समान है और पिछले पांच वर्षों के औसत से 1.1 प्रतिशत अधिक है। 

वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की मासिक रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मानसून और खरीफ बुवाई में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ कृषि क्षेत्र गति पकड़ रहा है। गेहूं और चावल की खरीद अच्छी तरह से चल रही है, जिससे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्नों के बफर स्टॉक के स्तर में वृद्धि हुई है।

पूंजीगत व्यय पर जोर देने से आने वाले वर्षों में विकास को मिलेगी गति

निवेश के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के पूंजीगत व्यय पर लगातार जोर देने से आने वाले वर्षों में वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024 के बजट में केंद्र सरकार ने पूंजीगत परिव्यय में 33.3 प्रतिशत की वृद्धि की, जिससे कुल व्यय में पूंजीगत व्यय का हिस्सा 2017-18 में 12.3 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 (बजट अनुमान) में 22.4 प्रतिशत हो गया।  केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए उपायों ने राज्यों को अपने पूंजीगत व्यय को बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित किया। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में राज्यों के पूंजीगत व्यय में सालाना आधार पर 74.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो इसी तिमाही में केंद्र के पूंजीगत व्यय में 59.1 प्रतिशत की वृद्धि का पूरक है।

पूंजीगत व्यय बढ़ने से निजी निवेश में भी हो रहा इजाफा

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय के लिए बढ़ाए गए प्रावधान से अब निजी निवेश में भी इजाफा हो रहा है। कई हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स और इंडस्ट्री रिपोर्ट्स इस बात की पुष्टि करते हैं। मासिक समीक्षा में आगे कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर औद्योगिक नीतियों के सक्रिय अनुसरण के मद्देनजर संभावनाओं को और मजबूत करने के लिए बाहरी क्षेत्र को निगरानी की आवश्यकता है। सेवा क्षेत्र का निर्यात लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और ऐसा जारी रहने की संभावना है क्योंकि दूरस्थ कार्य के लिए प्राथमिकता बेरोकटोक बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार मध्यम अवधि के नजरिए से यह महत्वपूर्ण है कि भारतीय सेवाओं के निर्यात की मांग पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई प्रौद्योगिकियों के प्रभाव और रोजगार पर इसके असर की निगरानी की जाए।

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