इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी नाथ जायसवाल ने कई प्रदेश में श्रम कानुन को खत्म करने का किया कड़ा विरोध

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 13 मई 2020। कोरोना संकट में मजदूरों को शोषण का बहाना नहीं हो सकता श्रम कानून संशोधन से भड़के राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक अध्यक्ष स्वामी नाथ जायसवाल ने इंडिया रिपोर्टर लाइव से कहा कि 01 मई 1886 को अमेरिका में मजदूरों का एक बड़ा आन्दोलन शुरू हुआ। उस दिन करीब 2 लाख 80 हजार मजदूरों ने अपने कार्य का बहिष्कार कर सामूहिक हड़ताल कर दी। मजदूरों की मांग थी कि उनका शोषण बंद हो और उनको मानवौचित अधीकार दिये जाए। फलस्वरूप तीन साल पश्चात 1889में अमेरिका में श्रम सुधार कानून बने। आन्दोलन के फलस्वरूप अमेरिका की सरकार पलटी और फ्रेंकलिन डी रुजवेल्ट देश के नए राष्ट्रपति चुने गए। रुजवेल्ट मजदूर हितेषी थे और उन्होंने मजदूरों के हित में कई कानून बनाये। परिणामत वे लगातार तीन बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए। (हांलांकि अमेरिकी संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति दो बार ही राष्ट्रपति चुना जा सकता है।

अंग्रेजी राज में भारत में मजदूरों के हालात दयनीय थे। मजदूरों से मशीनों की तरह काम लिया जाता था उनसें प्रतिदिन 16 घंटे से अधिक तक काम कराया जाता था और मजदूरी के नाम पर वे केवल जिंदा रहने योग्य पा सकते थे।

भारत देश की आजादी के बाद जब डॉ अम्बेडकर को श्रम विभाग (Labour Department) का मंत्री बनाया गया तो उन्होंने भारतीय मजदूरों की दशा सुधारने के लिए अमेरिका के मजदूर सुधार कानून को मध्यनजर रखते हुए कई नियम कानून बनाए जिसके तहत काम की समयावधि नियंत्रित करते हुए अधिकतम 8 घंटे करदी। इसके अतिरिक्त मजदूरों के सुरक्षा उपाय, उनके लिए आवश्यक अवकाश और कम्पनियों की मजदूरों के प्रति जवाबदेयता सुनिश्चित की। इस प्रकार श्रम सुधार से संबंधित कानूनों के अंतर्गत श्रमिक के गरीमा पूर्ण जीवन की गारंटी तय की। इसके फलस्वरूप भारत के औद्योगिक विकास में एक क्रान्ति आई और भारत विकास के पथ पर आगे बढ़ा साथ ही श्रमिकों के जीवन में भी कुछ सुधार आया।

कोरोना महामारी के दौरान श्रम कानून और श्रमिकों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है। जहां लोकडाउन और वैश्विक मंदी के कारण रोजगार के साधन घटे हैं वहीं कुछ राज्य सरकारों ने मजदूरों पर वज्रपात करने का षड्यंत्र शुरू कर दिया है। और संवैधानिक श्रम कानूनों को तीन साल के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा है।
जिसमें श्रमिक से काम लेने की समयावधि 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करना, बिना आवश्यक सुविधाओं के काम पर लगाना, मालिक की इच्छानुसार कार्य से मुक्त कर देना व कई अन्य श्रमिक विरोधी सुझाव है। जबकि वैश्विक मंदी के दौर में रोजगार के अवसर बहुत कम हो जायेंगे ऐसी स्थिति में सरकार को कार्य अवधि 2 घंटे कम अर्थात् 8 से घटाकर 6 घंटे कर देने चाहिए ताकि 25% अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके व बेरोजगारी की समस्या कम की जा सके।

हम सब मजदूर परिवारों से हैं और हम में से जिन थोड़े-बहुत लोगों ने शिक्षा प्राप्त की है और अपने जीवन में थोड़ा सा सुधार किया है वो सब इस मेहनत मजदूरी के बूते ही है। आज श्रमिक मजदूरों में 99% लोग बहुजन समाज से ही है। और इस समाज के जीवन सुधार के लिए श्रम कानून श्रमिक हित में होने अत्यावश्यक है।

साथियों वर्तमान भारत पुनः औपनिवेशिक काल में प्रवेश कर रहा है। उन गोरी चमड़ी वालों की जगह इन काले अंग्रेजों ने लेली है। अपने जीवन को बेहतर बनाना है और अपनी आने वाली पीढ़ी को बेहतर भविष्य देना है तो अपनी आवाज को बुलंद किजिए। और भारत में अमेरिका के 1886 के मजदूर आंदोलन को दोहरा दिजिए। अन्यथा हमारे पूर्वजों का बलिदान व्यर्थ जायेगा और आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ़ नहीं करेगा मजदूरों के साथ छलावा बंद करे सरकार नहीं तो हम आंदोलन का रूप देंगे पूरे भारत में हड़ताल एवं चक्का जाम किया जाएगा राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक।।

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