22 मई 2020 को एटक, एचएमएस, इन्टक, सीटू मिलकर एसईसीएल के सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपकर सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का करेंगे विरोध – हरिद्वार सिंह

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ब्यूरो रिपोर्ट
इंडिया रिपोर्टर लाइव

केन्द्र सरकार की नजर गेवरा, कुसमुंडा और दीपका पर – हरिद्वार सिंह

SECL General Secretary Haridwar Singh

बिलासपुर/कोरबा 17 मई 2020। आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कई सेक्टर की मजबूती के लिए नीतिगत बदलाव की जरूरत है. वित्त मंत्री ने 8 सेक्टर के लिए बड़े ऐलान किए. इन क्षेत्रों में माइनिंग, खनिज, विमानन और डिफेंस शामिल है. सरकार के ऐलान से एसईसीएल के केंद्रीय महासचिव हरिद्वार सिंह बेहद नाखुश नजर आए. उन्होंने ने इंडिया रिपोर्टर लाइव से कहा कि केन्द्र सरकार पूंजीपतियों के साथ में है अदानी,अंबानी के नाम पर संभू को बिक्री करना चाहती है उसी प्लानिंग के साथ यह षडयंत्र है कोयला मजदूर इसको बर्दास्त नहीं करेगा। ये फैसला श्रमिकों और छत्तीसगढ़ के हित में नहीं है।

मध्यप्रदेश राज्य एटक के प्रांतीय अध्यक्ष एवं संयुक्त कोयला मजदूर संघ (एटक) एसईसीएल के केंद्रीय महामंत्री कामरेड हरिद्वार सिंह ने इंडिया रिपोर्टर लाइव को बताया है कि 22 मई 2020 को एटक, एचएमएस, इन्टक, सीटू मिलकर एसईसीएल के सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपकर भारत सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध करेंगे। कामर्शियल माइनिंग, खदानों के लीज स्थानांतरण, 50 कोल ब्लॉक का आवंटन, कारपोरेट घराना को लाभ पहुंचाने का षड्यंत्र, श्रम कानून में परिवर्तन कर 12 घंटे काम की अवधि तक काम कराने के अध्यादेश तथा संस्थानों में 16 घंटे तक काम करने की बाध्यता को वापस करने, प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित सरकारी संसाधन से उनके घर पहुंचाने, रास्ते में दुर्घटना या बीमारी से मारे गए समस्त मजदूरों के परिवार को 50-50 लाख रुपए का मुआवजा देने, जिनके मां-बाप दुर्घटना में मारे गए हैं उनके बच्चों की पालन पोषण एवं शिक्षा एवं रोजगार की गारंटी शासन करें, प्रवासी मजदूरों को प्रतिमाह 8 किलो चावल 5 किलो आटा 3 किलो दाल 2 किलो चना तथा 7500 प्रतिमाह उनके खाते में डाला जाए, सरकार के घोषणा के अनुरूप करोना के कारण उद्योग में काम से बैठे समय का मजदूरी का भुगतान उद्योग या संस्थान करें, जिन मजदूरों चाहे कोयला उद्योग के मजदूर हो, दूसरे उद्योगों में कार्यरत मजदूर हो, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशाकर्मी, उषा, रसोईया हो यदि काम किए हैं तो उन्हें सम्मानजनक प्रोत्साहन राशि दिया जाए, इस बीच यदि उनमें से किसी की मौत हो जाती है तो 50 लाख की बीमा राशि दिया जाए, मनरेगा की अवधि साल में 200 दिन गांव एवं शहरी क्षेत्र दोनों में निर्धारित दरों तथा मजदूरी प्रतिदिन ₹500 करने, रक्षा क्षेत्र में एफडीआई 49 से 74 प्रतिशत करने के खिलाफ इत्यादि मांगो के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा है कि भारत सरकार कोविड-19 की आड़ में देश के मजदूर वर्ग पर प्रहार कर रहा है और
देश के पूंजीपतियों को लाभ पहुंचा रहा है। भारत सरकार देश के सरकारी एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को पूंजीपतियों के हाथ बेचना चाह रहा है। यह सरकार देश की सरकारी एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को बर्बाद करने पर आमादा है। देश की वर्तमान मोदी सरकार मजदूर विरोधी है, पूंजीपति पक्षीय है। लेकिन कोयला मजदूर इनकी मजदूर विरोधी नीतियों को सफल नहीं होने देंगे। जमकर मुकाबला किया जाएगा। इसीलिए पूरे देश में 22 मई 2020 को देश के केंद्रीय श्रमिक संगठनों के द्वारा विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है। एसईसीएल में भी
एटक, एचएमएस, इन्टक, सीटू मिलकर एसईसीएल के सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपकर भारत सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध करेंगे।

सरकार की नजर गेवरा, कुसमुंडा और दीपका पर

हरिद्वार सिंह ने कहा कि कोयला का सबसे ज्यादा कोल उत्पादन करने वाला क्षेत्र गेवरा है. गेवरा, कुसमुंडा और दीपका से पूरे हिन्दुस्तान का 20 फीसदी से ज्यादा कोयला उत्पादन होता है. सरकार की नजर इन तीन क्षेत्रों पर है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इन तीन क्षेत्रों को निजी हाथों में देना चाहती है. 4 हजार करोड़ से ज्यादा रॉयल्टी छत्तीसगढ़ को एसईसीएल से मिलती है।

लीज ट्रांसफर करने से सब निजी हाथों में जाएगा

उन्होंने कहा कि सरकार की सारी गंभीरता अरबतियों, पूंजीपतियों और कारोबारियों को मालामाल करने पर है. इससे देश और छत्तीसगढ़ का भला नहीं होगा. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ कोयला उत्पादन का बहुत बड़ा हब है. इससे लोगों को नौकरी मिलती है, छोटे-छोटे उद्योग धंधे फलते-फूलते हैं, लीज ट्रांसफर करने से सब चौपट हो जाएगा. इससे सोशल सिक्योरिटी खत्म हो जाएगी।

ये फैसला बर्बाद करने वाला

उन्होंने कहा कि 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार ने कहा था कि पब्लिक सेक्टर को बजटीय सपोर्ट नहीं देंगे. कोयला खदान समेत सारे पब्लिक सेक्टर ने अपने पैरों पर खड़े होकर मजदूरों को अच्छी सैलरी, घर और सारी सुविधाएं दी. उन्होंने कहा कि कोल इंडिया करीब 3 लाख लोगों का पेट पाल रहा है, वो भी सही तरीके से, लेकिन ये फैसला बर्बाद करने वाला है।

केंद्र सरकार की कोयला उद्योग को अलग- अलग कर बर्बाद करने की मुहिम : वीएस मनोहर (सीटू)

सीटू के महासचिव वीएस मनोहर ने इंडिया रिपोर्टर लाइव से कहा कि सरकार ने अनाप शनाप खर्च कर अपनी आर्थिक स्थिति पहले ही बहुत खराब कर ली है। अब उसे तत्काल बड़े पैमाने पर पैसे की आवश्यकता है । सरकार को पैसा इक्कट्ठा करने का कोई जरिया नजर नहीं आ रहा है । तब प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने यह योजना आगे बढ़ाई है इसीलिए अभी दो चार दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने यह इशारा किया था कि उनकी सरकार कोल ब्लॉकों की नीलामी के नियम सुगम करने और बदलने वाली है । इस योजना के तहत जल्द से जल्द कोल ब्लॉकों की नीलामी से बड़ी रकम इक्कट्ठा करने की साजिश है इस पोस्ट को लगभग लिख चुका था तभी वित्तमंत्री निर्मल सीतारमन ने अपने दैनिक धारावाहिक में घोषणा भी कर दी कि सरकार की योजना 50 कोल ब्लॉकों के नीलामी और कोयले पर सरकारी नियंत्रण खत्म करने की है।
इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में जो योजना तैयार की गई है उसमें यह फैसला किया गया है कि चूँकि CMPDI और MECL दोनों ही ड्रिलिंग का काम कर रहे हैं इसलिए पहले MECL का CMPDI में विलय कर लिया जाय । उसके बाद CMPDI को कॉल इंडिया से अलग कर उसे निजी कोयला ब्लॉकों की ड्रीलिंग करने का काम बोली लगाकर कम से कम कीमत पर कराया जा सके
मोदी सरकार ने जब 2014 में सत्ता संभाली थी तभी उन्होंने कोल ब्लॉकों के आबंटन के नियमों में परिवर्तन कर सरकार को बड़ी बड़ी रकम दिलाने की घोषणा की थी । कोल ब्लॉकों की नीलामी आसानी से हो सके इसके लिए 2014 में ही COAL MINES (SPECIAL PROVISIONS ORDINANCE) लेकर आई जो 2015 में वह अधिनियम बन गया था । लेकिन अबतक सरकार कोयला ब्लॉकों की नीलामी में असफल रही है । अब वह इस काम को आज के परिस्थिति का फायदा उठाते हुए कम से कम कीमत पर कोयला ब्लॉगों का आबंटन किये जा सके इसका प्रयास कर रही है। सरकार ड्रीलिंग कार्य को सीमित कर कोयले की ड्रीलिंग के बदले पेट्रोलियम कम्पनियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही तकनीक के प्रयोग पर जोर दे रही है ताकि कम समय मे कोल ब्लॉकों का जियोलॉजिकल डाटा इक्कट्ठा कर, उनकी कीमत का आकलन कर उन्हें तुरंत नीलामी पर चढ़ाया जा सके । अभी आंकड़ों के अनुसार 50 कोल ब्लॉकों की नीलामी पर हैं जल्दी ही इसकी संख्या बहुत बढ़ने की संभावना है।
MECL का CMPDI में विलय कर उसे कोल इंडिया से अलग करने की योजना भी इसी योजना का एक हिस्सा है। बहुत कम समय मे बहुत अधिक ड्रीलिंग करवा कर कोल ब्लॉकों की नीलामी के बाद CMPDI को अपनी मौत मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा इसमें कोई शक नहीं है।
इस विलय से CMPDI पर बोझ बढ़ेगा । कोल इंडिया से अलग करते ही इस बढ़े बोझ को CMPDI किसी भी तरह संभाल नहीं पायेगा । सरकार के इस कदम के बाद अनुमान है कि कर्मियों को 2-3 महीने के बाद वेतन देने की क्षमता भी CMPDI की नहीं बचेगी ।

सीएमपीएफ के इपीएफ में विलय पर फिर झुकी सरकार – वीएस मनोहर (सीटू)

इंडिया रिपोर्टर लाइव से सीटू के महासचिव वीएस मनोहर ने कहा कि सीएमपीएफ का इपीएफ में विलय के मुद्दे पर सरकार फिर घबराई । कोशिश तो कोयला मंत्रालय ने की थी कि कोरोना में हुए लॉक डाउन का फायदा उठाते हुए जिस तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी श्रम कानूनों को 3 साल के निष्प्रभावी बना दिया, जिस तरह गुजरात और मध्यप्रदेश सरकार ने काम के घण्टो को 8 से बढ़ाकर 12 कर दिया उसी तरह से कोयला मंत्रालय सीएमपीएफ को चुपचाप इपीएफ में विलय करा देने की । लेकिन यह कोयला मजदूर है । अभी तो सोशल मीडिया पर यूनियन ने आंदोलन के निर्देश जारी कजिये ही थे कि सरकार को समझ मे आ गया कि देश का ऊर्जा संकट अब बस बढ़ाने ही वाला है । पहले से देश की अर्थव्यवस्था को खस्ताहाल बना चुकी सरकार ने हड़बड़ी में सीएमपीएफ कमिश्नर को आदेश जारी कर कहा कि संबंधित कमिटी को भंग करने का आदेश निकालो और तुरन्त अखबार में बयान देकर खंडन करो ।
आदेश में अपनी कारगुजारी छुपाने के लिए Confusion शब्द का प्रयोग किया गया है । लेकिन हकीकत तो यह है कि कोई Confusion कभी नही था तभी तो निकाले गए आदेश को वापस लेने का निर्देश दिया गया है ।

कोल इंडिया के निजीकरण होने से कोल कर्मियों को वेतन तक नहीं मिल पाएगी : नाथूलाल पाण्डेय

हिंद खदान मजदूर फैडरेशन (एचएमएस) के अध्यक्ष नाथूलाल पाण्डेय ने इडिया रिपोर्टर लाइव से कहा कि कमर्शियल मायनिंग के पहले भी घोषणा हो चुकी है पहले भी हम लोगों ने विरोध किया था। लाकडाउन के स्थिति में भी कोल इंडिया ने इतना अधिक कोयल उत्पादन किया है कि इनके सभी पॉवर हॉउस में कोयला सरपल्स है एक छटाक कोयले की भी कमी देश को नहीं होने दी। यहां तक कि विदेश से भी कोयला आने वाला है उसे भी रोकने की कोशिश कर रहे हैं जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी उन्होंने एक बात की है कि लीज ट्रांसफर जैसे कि गेवरा माइंस चल रही है इतने सक्सेज फूल माइंस है कि विश्व की वनआपदि बेस्ट माइंस मानी गई है। इस बार भी करेंगे कोरोना की आड़ में इस तरह की घोषणा दुर्भाग्यपूर्ण है अभी तो केवल प्रवासी मजदूरों के हितों के लिए राहत की घोषणा होनी चाहिए थी। उनका कहना है कि सरकार कि इस निर्णय से लाखों कोयल कर्मी प्रभावित होंगे कोल सेक्टर के निजीकरण होने से कर्मियों को वेतन तक नहीं मिल पाएगा कोल इंडिया सरकार को अच्छी खासी फायदा दे रही है। इसके बाद भी घाटा बताकर निजीकरण की कवायद की जा रही है। कोल इंडिया के उत्पादन के कारण ही कोयला आयात भी बंद कर दिया गया है सरकार के इस निर्णय के विरोध में केन्द्रीय स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। संयुक्त रूप से ज्ञापन देंगे और 22 मई को गांधी की सामाधि में बैठकर एक दिन का उपवास कर रहे हैं। और कामर्शियल मायनिंग का घोर निंदा करते हैं और इसका विरोध में हैं और सभी ट्रेड यूनियन ने इसका विरोध किया है।

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