राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगाः कोई भी शासकीय समारोह नहीं होंगे आयोजित
स्वर्गीय जोगी का राजकीय सम्मान के साथ 30 मई को गौरेला में होगा अंतिम संस्कार
अजीत जोगी के निधन से राजनीतिक जगत में शोक का माहौल है, शोक-संवेदनाओं का लगा तांता
इंडिया रिपोर्टर लाइव
रायपुर/ नई दिल्ली/ बिलासपुर 22-05-2020 करीब दो दशक पहले अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाले अजीत जोगी का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे। 9 मई को अजीत जोगी को कार्डियक अरेस्ट के बाद रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां उनकी हालत गंभीर होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। इसके 20 दिन बाद यानी आज अजीत जोगी ने अंतिम सांस ली।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है। जोगी का आज यहां एक निजी चिकित्सालय में इलाज के दौरान निधन हो गया। मुख्यमंत्री बघेल ने जोगी के निधन पर राज्य में आज से तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी शासकीय समारोह आयोजित नहीं किए जाएंगे। स्वर्गीय जोगी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ कल 30 मई को गौरेला में होगा।
मुख्यमंत्री बघेल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि जोगी का निधन छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने प्रदेश के विकास में जोगी के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि राज्य बनने के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के तीव्र विकास की रूपरेखा तैयार की और एक कुशल राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के रूप में राज्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद जोगी के नेतृत्व में बनी सरकार में केबिनेट मंत्री के रूप में कार्य करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि जोगी ने छत्तीसगढ़ राज्य में गांव, गरीब और किसानों के कल्याण के लिए काम करने की दिशा निर्धारित की।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वर्गीय जोगी के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें इस दुख की घड़ी को सहन करने की शक्ति प्रदान करने और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। ज्ञातव्य है कि जोगी बीते 9 मई से उपचार हेतु चिकित्सालय में भर्ती थे। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राध्यापक के रूप में कैरियर की शुरूआत की। पहले आई.पी.एस. के रूप में अपनी सेवाएं दी तत्पश्चात भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुए। अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान रायपुर सहित कई जिलों के कलेक्टर रहे। श्री जोगी सांसद, विधायक भी रहे। एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य बना तो वे राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बहुत प्रभावित थे जोगी
भारतीय प्रशासनिक सेवा की अपनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अजीत प्रमोद कुमार जोगी जिलाधिकारी से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले संभवत: अकेले शख्स थे। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के एक गांव में शिक्षक माता पिता के घर पैदा हुए जोगी को अपनी इस उपलब्धि पर काफी गर्व था और जब तब मौका मिलने पर अपने मित्रों के बीच वह इसका जिक्र जरूर करते थे। राजनीति में आने से पहले और बाद में भी लगातार किसी न किसी से वजह से हमेशा विवादों में रहे जोगी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बहुत प्रभावित थे और पत्रकारों तथा अपने नजदीकी मित्रों के बीच अक्सर एक किस्सा दोहराते थे।
‘डीएम और सीएम बनने का सौभाग्य केवल मुझे ही मिला’
उनकी इस पसंदीदा कहानी के मुताबिक अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रोबेशनर अधिकारी के तौर पर जब उनका बैच तत्कालीन प्रधानमंत्री से मिला तो एक सवाल के जवाब में इंदिरा गांधी ने कहा, “भारत में वास्तविक सत्ता तो तीन ही लोगों के हाथ में है – डीएम, सीएम और पीएम।” युवा जोगी ने तब से यह बात गांठ बांध रखी थी कि वो इन्हीं को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेंगे। जब वह मुख्यमंत्री बनने में सफल हो गए तो एक बार आपसी बातचीत में उन्होंने टिप्पणी की कि हमारे यहां (भारत में) “सीएम और पीएम तो कुछ लोग (एच डी देवेगौड़ा, पी वी नरसिंहराव, वी पी सिंह और उनके पहले मोरारजी देसाई) बन चुके हैं, पर डीएम और सीएम बनने का सौभाग्य केवल मुझे ही मिला है।”
अजीत जोगी की राजनीति में प्रवेश
बिलासपुर के पेंड्रा में 29 अप्रैल 1946 को जन्मे अजीत जोगी शुरू से राजनीति में नहीं थे। जोगी ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा हासिल की। अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी IAS की नौकरी की। इस दौरान वो मध्यप्रदेश के कई जिलों में डीएम के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसी दौरान अजीत जोगी की मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के दोस्ती हो गई। अर्जुन सिंह ने उन्हें राजनीति में आने का सुझाव दिया। जिसे मानते हुए जोगी राजनीति में आ गए।
जब राजीव गांधी से हुई थी अजीत जोगी की मुलाकात
अजीत जोगी ने अपने करियर की शुरुआत बतौर डीएम से की थी। जब अजीत जोगी इंदौर में डीएम थे तो तब वो तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के संपर्क में आ गए। कहा जाता है कि अर्जुन सिंह ने जोगी का जिक्र तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भी किया था। जिसके बाद अजीत जोगी की कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ती गईं और 1986 के आसपास जोगी ने कांग्रेस ज्व़ॉइन कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। इसके बाद जोगी का राजनीतिक सिक्का चमकने लगा, वह 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। इस दौरान वह कांग्रेस में अलग-अलग पद पर कार्य करते रहे। वहीं 1998 में जब लोक सभा का चुनाव हुआ तो जोगी रायगढ़ से चुनाव लड़े और लोकसभा सांसद चुने गए।
ऐसे बने छत्तीसगढ़ के राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री
1999 के दौरान कांग्रेस ने अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ क्षेत्र के लिए पार्टी का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया। इसी दौरान छत्तीसगढ़ राज्य बनने की मुहिम शुरू हो गई और कांग्रेस में दिग्वजिय खेमे ने राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री की वकालत की। शुक्ल-बंधुओं से कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की दूरी का फायदा, अजीत जोगी को मिला। साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, तो छत्तीसगढ़ वाले क्षेत्र में कांग्रेस के पास ज्यादा विधायक थे। वहीं दिग्विजय खेमा आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग कर रहा था। यही कारण रहा कि कांग्रेस ने बिना कुछ देरी के अजीत जोगी को ही राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया। जोगी 2003 तक छत्तीसगढ़ के सीएम रहे। हालांकि, उसके बाद जोगी की तबीयत खराब होती रही और उनका राजनीतिक ग्राफ भी गिरता गया।
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन से राजनीतिक जगत में शोक का माहौल है। देशभर से शोक-संवेदनाओं का तांता लगा हुआ है
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर लिखा है कि छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और कुशल प्रशासक थे। छत्तीसगढ़ राज्य और वहां के लोगों के विकास के लिए वे बहुत सक्रिय रहे। उनके परिवारजन, मित्रों और समर्थकों के प्रति मेरी शोक-संवेदनाएं!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जोगी के निधन पर दुख जताया है।
पीएम ने ट्वीट कर अजीत जोगी को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने लिखा कि अजीत जोगी का एकमात्र ध्येय जनसेवा था। वे गरीबों और खासकर आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयत्नशील रहे। मैं उनके निधन से बेहद दुखी हूं।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके ने लिखा कि छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन पर मुझे गहरा दुख हुआ। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हूं। उनके मृत्यु से प्रदेश को अपुरणीय क्षति पहुंची है। मैं उनके परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अजीत जोगी के निधन पर जताया दुख, रेणु जोगी से फोन पर की बात
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने लिखा कि आज प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के देहांत से ह्रदय को गहरा दुख पहुंचा है। उनका निधन प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है, आज श्री, अजीत जी के साथ प्रदेश का एक राजीनितक इतिहास समाप्त हो गया है। परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति और शोक-संतप्त प्रियजनों को धैर्य प्रदान करें।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगगी के निधन की खबर सुनकर मन बहुत द्रवित है। इस दुख की घड़ी को झेलने की शक्ति उनके परिवार, प्रियजनों और समर्थकों को मिले, मैं ऐसी कामना करता हूं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अजीत जोगी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अजीत जोगी के निधन से दुखी हूं। भगवान उनके परिजनों को संबल प्रदान करें।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी अजीत जोगी के निधन पर दुख व्यक्त किया है।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी अजीत जोगी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
एआईसीसी के महासचिव मोतीलाल वोरा ने गहरी संवेदनायें व्यक्त करते हुये कहा है कि यह अपूरणीय क्षति है। दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदनायें परिवार के साथ है।
छत्तीसगढ़ प्रभारी पी.एल. पुनिया ने गहरा दुख व्यक्त करते हुये कहा है कि जोगी जी अत्यंत संघर्षशील और लोकप्रिय नेता थे। उन्हें छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में हमेशा याद किया जायेगा।
आईसीसी के छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिव डॉ. चंदन यादव ने भी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुये श्रद्धांजलि अर्पित की है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने गहरा दुख व्यक्त करते हुये श्रद्धांजलि अर्पित की है। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में उनकी सेवाओं का स्मरण करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री प्रशासन रवि घोष, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला ने शोक व्यक्त किया एवं श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, राजेंद्र तिवारी सदस्य, रमेश वर्ल्यानी सदस्य, आर पी सिंह सदस्य, सुरेंद्र शर्मा सदस्य, सुशील आनंद शुक्ला सदस्य, किरणमयी नायक सदस्य, विभोर सिंह सदस्य, रउफ कुरैशी सदस्य, विकास दुबे सदस्य, संदीप साहू सदस्य, नितिन भंसाली सदस्य, अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव सदस्य, इंजीनियर अमित यदु सदस्य, क्रांति बंजारे सदस्य, नीना रावतिया सदस्य, अधिवक्ता मोहन निषाद सदस्य, ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रदेश प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी, धनंजय ठाकुर, विकास तिवारी, मोहम्मद असलम, एडवोकेट सुरेंद्र वर्मा, एम ए इकबाल, वंदना राजपूत, आलोक दुबे जगदलपुर, अभय नारायण राय बिलासपुर, जनार्दन त्रिपाठी सरगुजा, कमलजीत पिंटू राजनांदगांव, कृष्णकुमार मरकाम धमतरी, स्वपनिल मिश्रा, प्रकाशमणि वैष्णव, अशुंल मिश्रा ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।