पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इजाजत दी तो भगवान माफ नहीं करेंगे

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नई दिल्‍ली। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुरी रथ यात्रा पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि जनहित और लोगों की सुरक्षा को देखते हुए हम इस साल रथ यात्रा की अनुमति नहीं दे सकते। श्री जगन्‍नाथ मंदिर से यह यात्रा इस साल 23 जून से निकलनी थी। नौ दिन तक चलने वाली रथ यात्रा में हर साल 7 लाख से ज्‍यादा श्रद्धालु हिस्‍सा लेते हैं। इस दौरान हजारों की संख्‍या में पुलिस और सुरक्षा बल तैनात रहते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को देखते हुए यात्रा पर रोक लगाई गई है क्‍योंकि सोशल डिस्‍टेंसिंग फॉलो करा पाना संभव नहीं हो पाता। इससे पहले तय हुआ था कि श्रद्धालुओं के बिना 23 जून को रथ यात्रा निकाली जाएगी।

नौ दिन तक चलती है यह रथ यात्रा
पूरी दुनिया में प्रसिद्ध पुरी की रथ यात्रा आषाढ़ महीने के शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया से शुरू होती है। भगवान जगन्‍नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अलग-अलग रथों पर सवार होकर ‘श्री गुंडिचा’ मंदिर के लिए प्रस्‍थान करते हैं। नौ दिन तक चलने वाली इस रथ यात्रा के लिए तीन रथ बनते हैं। भगवान जगन्‍नाथ के लिए लाल और हरे का रथ बनता है जिसका नाम ‘तालध्‍वज’ होता है। सुभद्रा के लिए नीले और लाल रंग का ‘दर्पदलन’ या ‘पद्म रथ’ बनता है। भगवान जगन्‍नाथ की खातिर पीले और लाल रंग का ‘नदीघोष’ या ‘गरुड़ध्‍वज’ नाम का रथ बनाया जाता है। रथों का बनना अक्षय तृतीया से शुरू होता है।

एक एनजीओ ने लगाई थी याचिका
भुवनेश्‍वर के NGO ओडिशा विकास परिषद से सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि इससे कोरोना फैलने का खतरा बहुत ज्‍यादा है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि अगर दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगाई जा सकती है तो रथ यात्रा पर क्‍यों नहीं। ओडिशा सरकार ने 30 जून तक सभी तरह के धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक लगा रखी है। ऐसे में मंदिर प्रबंधन में बिना श्रद्धालुओं के रथ यात्रा निकालने का फैसला कर लिया था।

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