
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 07 दिसंबर 2024। दक्षिण भारतीय परिवार में जन्मी विद्या बालन, को जब शुक्रवार को कोलकाता निवासियों ने देखा तो एक बारगी तो वे भूल ही गए कि वह बंगाली नहीं हैं। उन्होंने जिस तरह से साड़ी पहन रखी थी, उनका व्यक्तित्व बिल्कुल एक बंगाली महिला जैसा लग रहा था। उनकी बोली में भी बांग्ला भाषा की मिठास झलक रही थी। 30वें कोलकाता अंतरराष्ट्री फिल्म महोत्सव (KIFF) में वे संगीता दास के साथ विशेष सत्र में बातचीत कर रही थीं। जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ती गई, उनके फिल्मी जीवन की कठिनाइयों और चुनतियों को से धीरे-धीरे पर्दा उठने लगा। जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, उन फिल्मकारों को याद कर भावुक हुईं, जिन्होंने उनका साथ तब दिया, जब कुछ ने वायदे कर, वायदा नहीं निभाया था। खास कर गौतम हलदार, जिन्हें प्यार से गौतम दा कहते थे, को याद कर वे रूआंसी हो गईं। उन्होंने बताया कि आज वे गौतम दा की दी हुई साड़ी पहनकर ही कार्यक्रम में पहुंची हैं। उन्होंने कहा, बंगाल और कोलकाता से उनका खास लगाव है। कहती हैं, साड़ी पहनना उनको भाता है। उन्होंने बचपन से ही अपनीं मां और दूसरी महिलाओं को साड़ी में देखा।
बंगाल से कैसे प्यार और आशीर्वाद मिला
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, अगर आज जो भी हैं, वे उसके लिए अपने माता-पिता को श्रेय देती हैं। बीच-बीच में खिलखिलाकर हंसते हुए, अपने बेyeक अंदाज में विद्या ने फिल्मी जीवन की चुनौतियां और संघर्ष की कहानी को आगे बढ़ाया। विद्या ने यह भी बताया कि उनको बंगाल से कैसे प्यार और आशीर्वाद मिला। उन्होंने बताया कि दक्षिण भारतीय फिल्में उनसे दूर हो रही थीं। विज्ञापन का ही जीवन में सहारा रह गया था। कुछ सुझ नहीं रहा था। कइयों ने वायदे किए, लेकिन निभाया नहीं। इसी बीच, एक दिन अचानक निर्देशक गौतम हलदार का उनको फोन आया और काम के लिए ऑफर दिया। उन्हें ‘भालो थेको’ फिल्म में कास्ट किया।
निर्देशकों ने उनके बंगाली उच्चारण को सही किया
गौतम दा उनका नाम हमेशा अपनी तरह से लेते थे, बिद्दा। उनको आज भी छोटी-छोटी सी बात याद है। उनकी मां बोली बंगाली नहीं थी, इसलिए निर्देशकों ने उनके बंगाली उच्चारण को सही किया। वे हर किसी का धन्यवाद करना नहीं भूलतीं।
असमिया भाषा में भी फिल्म करेंगी
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, वे असमिया भाषा में भी फिल्म करना चाहती हैं, लेकिन उनको अभी तक किसी ने ऑफर नहीं दिया। अगर कोई उनको इसके लिए कहता है, तो वे असमिया भाषा में भी फिल्म करेंगी। उन्हें उस वक्त का इंतजार रहेगा। उन्होंने कहा, इसके बाद उनको निर्देशक प्रदीप सरकार ने मौका दिया, परिणीता में। उसके बाद सुजॉय घोष की ‘कहानी’ आई, जिसमें निर्देशक और सह-अभिनेता दोनों ही बंगाली थे। कोलकाता में लंबी शूटिंग हुई।
बंगाली फिल्मों में काम करने के लिए तैयार
विद्या की हालिया ब्लॉकबस्टर ‘भूल भुलैया 3’ में उन्होंने ‘मंजुलिका’ का किरदार निभाया है। कोलकाता से अपने गहरे रिश्ते को खुले दिल से स्वीकार कर विद्या कहती हैं कि उनके कामों में हर तरह से बंगाल का जुड़ाव है।’ उन्होंने केवल सिर्फ बंगाली भाषा के शब्द ही नहीं बोले, बल्कि राहुल देव बर्मन का गाना भी गाया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, उनका मन है कॉमेडी फिल्म करने का। लेकिन अगर बंगाली निर्देशक चाहें तो वह जरूर बंगाली फिल्मों में काम करने के लिए तैयार हैं।