
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 07 अप्रैल 2025। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत के एक हालिया बयान ने देश की राजनीति और समाज में हलचल मचा दी है। वाराणसी में दिए गए उनके भाषण में उन्होंने कहा कि संघ किसी की पूजा पद्धति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमान भी RSS में शामिल हो सकते हैं—लेकिन इसके लिए उन्हें “भारत माता की जय” का नारा स्वीकार करना होगा और भगवा झंडे का सम्मान करना होगा।
संघ का दरवाजा सभी के लिए खुला
भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ केवल हिंदुओं के लिए नहीं है। उन्होंने कहा, “संघ का दरवाजा हर जाति, संप्रदाय और धर्म के लिए खुला है। चाहे वह हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख हो या ईसाई—हर कोई शामिल हो सकता है।” लेकिन उन्होंने एक चेतावनी भी दी—“जो खुद को औरंगजेब का वारिस समझते हैं, उनके लिए संघ में कोई जगह नहीं है।” यह बयान कहीं न कहीं यह संकेत देता है कि RSS भले ही हिंदुत्व की विचारधारा से जुड़ा हो, लेकिन वह ऐसे मुस्लिमों को स्वीकार करने को तैयार है जो भारत की संस्कृति को अपनाते हैं और राष्ट्रवाद में विश्वास रखते हैं।
‘भारत माता की जय’ और भगवा झंडे का सम्मान अनिवार्य
मोहन भागवत के इस बयान की सबसे बड़ी शर्त यही रही कि संघ में आने वाले लोगों को “भारत माता की जय” का नारा लगाना होगा और भगवा झंडे का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति अलग-अलग पंथों में बंटी हो सकती है, लेकिन मूल संस्कृति एक है। जो इस मूल संस्कृति का आदर करेगा, वह संघ का हिस्सा बन सकता है।” इस शर्त को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ गई है। कुछ इसे संघ की समावेशी सोच मान रहे हैं, तो कुछ इसे सांस्कृतिक एकरूपता थोपने की कोशिश बता रहे हैं।