इंडिया रिपोर्टर लाइव
बिलासपुर 12/06/2020 अमित जोगी यह कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है। अजीत जोगी जी का केवल मैं जन्म पुत्र हूं। लेकिन सही मायने में यह उनकी सबसे सगी और प्यारी संतान पेंड्रा मरवाही और गौरेला के लोग हैं। आज पापा के जाने के बाद अगर किसी के कंधे पर अपना सिर रख के रो सकता हूं तो वह मरवाही गौरेला पेंड्रा के लोग हैं।
यह राजनीति की बातें करने का कोई समय नहीं है। केवल मैंने ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ ने अपना पिता खो दिया है। हम सब शोकाकुल हैं।कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी मुझे मेरे पिताजी द्वारा लिखी एक कविता याद आती है। जब भी मेरा मन विचलित होता है, इस प्रकार की खबरें सुनने को मिलती है, तो उन्होंने मेरे जन्मदिन पर एक कविता लिखी थी, उसी को मैं पढ़ता हूं :
“शंखनाद हो चुका है,
युद्ध प्रारम्भ है,
मैं सारथी बनकर,
तुम्हारा रथ चला रहा हूँ,
वत्स,
ऐसे बाण चलाना,
शत्रु बच ना पाये,
विजयश्री हमारे चरण चूमें,
आज आशीर्वाद लो,
बढ़ चलो,
रूकना मत,
सफर लम्बा है,
युद्ध कठिन है,
ऐसा कौशल दिखाना,
सब परास्त हो जाय।”
- राजनीति के प्रश्नों का जवाब मैं नहीं दूंगा। अभी मेरी सारी भावनाएं हैं इस ओर केंद्रीत है कि मेरे पिताजी द्वारा लिखित उनकी आत्मकथा का प्रकाशन जल्द से जल्द करा सकूं। जोगी जी की जो विचारधारा है, जो उनकी छत्तीसगढ़ के प्रति सोच है, छत्तीसगढ़ीयों के प्रति जो उनका अपार प्यार है, उसको कैसे गांव-गांव तक मैं पहुंचा सकूं, अब यही मेरे लिए प्राथमिकताएँ हैं।
- मरवाही से कोई और नहीं केवल और केवल मरवाही के कमिया नंबर 1 अजीत जोगी जी ही चुनाव लड़ेंगे। वे अमर हैं। उनकी जगह कोई और नहीं ले सकता। इससे ज्यादा मैं और कुछ नहीं कह सकता।