नई शिक्षा नीति पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में नई नीति को लेकर पैदा रहे उलझनों पर स्थिति स्पष्ट की कहा- किसानों-मजदूरों का सम्मान करना सीखे

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नई शिक्षा नीति को किसी वर्ग से यह सवाल नहीं उठा कि कहीं भेदभाव हुआ है

मोदी ने 10+2 की जगह नए सिस्टम से लेकर नई शिक्षा नीति के औचित्य पर विस्तार से बात की

उन्होंने अपने संबोधन में नई नीति को लेकर पैदा रहे उलझनों पर स्थिति स्पष्ट की

इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली, 07 अगस्त 2020 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को हायर एजुकेशन पर हुए कॉन्क्लेव में नई शिक्षा नीति पर बात की। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी किसानों-मजदूरों का सम्मान करना सीखे, इसके लिए डिग्निटी ऑफ लेबर पर ध्यान दिया गया है। अब वॉट टू थिंक नहीं बल्कि हाऊ टू थिंक पर फोकस किया जा रहा है। 3-4 साल के व्यापक विचार-विमर्श और लाखों सुझावों के बाद एजुकेशन पॉलिसी मंजूर की गई है। देश के किसी भी वर्ग से यह बात नहीं उठी कि किसी तरह का भेदभाव हुआ है। ये एक इंडिकेटर भी है कि लोग वर्षों से चली आ रही शिक्षा व्यवस्था में जो बदलाव चाहते थे, वो उन्हें मिले हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की महत्वपूर्ण बातें –

बदलाव के लिए पॉलिटिकल विल जरूरी

मोदी ने शिक्षा नीति बनाने वाले एक्सपर्ट से कहा कि यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इतना बड़ा रिफॉर्म जमीन पर कैसे उतारा जाएगा। इस चैलेंज को देखते हुए व्यवस्थाओं को बनाने में जहां कहीं कुछ सुधार की जरूरत है, वह हम सभी को मिलकर करना है। आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में सीधे तौर पर जुड़े हैं। इसलिए आप सब की भूमिका बहुत अहम है। जहां तक पॉलिटिकल विल की बात है, मैं पूरी तरह कमिटेड हूं, आपके साथ हूं।

नेशनल वैल्यूज के साथ लक्ष्य तय किए

हर देश अपनी शिक्षा व्यवस्था को नेशनल वैल्यूज के साथ जोड़ते हुए और नेशनल गोल्स के अनुसार रिफॉर्म्स करते हुए आगे बढ़ता है, ताकि देश का एजुकेशन सिस्टम वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों का फ्यूचर तैयार कर सके। भारत की पॉलिसी का आधार भी यही सोच है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की फाउंडेशन तैयार करने वाली है।

नई नीति में स्किल्स पर फोकस

21वीं सदी के भारत में हमारे युवाओं को जो स्किल्स चाहिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस पर विशेष फोकस है। भारत को ताकतवर बनाने के लिए, विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए इस एजुकेशन पॉलिसी में खास जोर दिया गया है। भारत का स्टूडेंट चाहे वो नर्सरी में हो या फिर कॉलेज में, तेजी से बदलते हुए समय और जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा तो नेशन बिल्डिंग में कंस्ट्रक्टिव भूमिका निभा पाएगा।

अब इनोवेटिव थिंकिंग पर जोर

बीते कई साल से हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव नहीं हुए, जिससे समाज में क्यूरोसिटी और इमेजिनेशन की वैल्यू को प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को बढ़ावा मिलने लगा था। कभी डॉक्टर तो कभी इंजीनियर तो कभी वकील बनाने की होड़ लगने लगी। इससे बाहर निकलना जरूरी था। जब तक शिक्षा में पैशन और परपज ऑफ एजुकेशन नहीं हो, तब तक हमारे युवाओं में क्रिटिकल और इनोवेटिव थिंकिंग डेवलप कैसे हो सकती है?

आज होलिस्टिक अप्रोच की जरूरत

बीते कई साल से हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव नहीं हुए, आज गुरुवर रबींद्रनाथ की पुण्यतिथि भी है। वे कहते थे, ‘उच्च शिक्षा हमारे जीवन को सद्भाव में लाती है।’ राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बड़ा लक्ष्य इसी से जुड़ा है। इसके लिए टुकड़ों में सोचने की बजाय होलिस्टिक अप्रोच की जरूरत है। शुरुआती दिनों में सबसे बड़े सवाल यही थे कि हमारी शिक्षा व्यवस्था युवाओं को क्यूरोसिटी और कमिटमेंट के लिए मोटिवेट करती है या नहीं? दूसरा सवाल था कि क्या शिक्षा व्यवस्था युवाओं को एम्पावर करती है? देश में एक एम्पावर सोसाइटी बनाने में मदद करती है? पॉलिसी बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम हुआ।

बदलते दौर में हम 10+2 से आगे निकले

एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है। एक नया स्टैंडर्ड भी तय हो रहा है। इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था। स्कूल करिकुलम के 10+2 से आगे बढ़ना इसी दिशा में एक कदम है। हमें अपने स्टूडेंट्स को ग्लोबल सिटीजन भी बनाना है, साथ ही ध्यान रखना है कि वे जड़ों से भी जुड़े रहें। घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक होने से सीखने की गति बेहतर होगी। जहां तक संभव हो 5वीं तक बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाने पर सहमति दी गई है। इससे उनकी नींव मजबूत होगी और आगे की पढ़ाई के लिए बेस भी मजबूत होगा।

अब हाउ टू थिंक पर जोर

अभी तक की व्यवस्था में वॉट यू थिंक पर फोकस रहा है, जबकि नई नीति में हाऊ टू थिंक पर जोर दिया जा रहा है। हर तरह की जानकारी आपके मोबाइल पर है, लेकिन जरूरी ये है कि क्या जानकारी अहम है। नई नीति में इस बात पर ध्यान रखा गया है। ढेर सारी किताबों की जरूरत को खत्म करने पर जोर दिया गया है। इन्क्वायरी, डिस्कवरी, डिस्कशन और एनालिसिस पर जोर दिया जा रहा है। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी। हर छात्र को यह मौका मिलना ही चाहिए कि वह अपने पैशन को फॉलो करे।

रीस्किल-अपस्किल से प्रोफेशन बदल सकेंगे

अक्सर ऐसा होता है कि कोई कोर्स करने के बाद स्टूडेंट जॉब के लिए जाता है तो पता चलता है कि जो पढ़ा वो जॉब की जरूरतों को पूरा नहीं करता। इन जरूरतों का ख्याल रखते हुए मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का ऑप्शन दिया गया है। स्टूडेंट वापस अपने कोर्स से जुड़कर जॉब की जरूरत के हिसाब से पढ़ाई कर सकता है। कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे में एडमिशन लेना चाहे तो यह भी संभव है। हायर एजुकेशन को स्ट्रीम से मुक्त कर देना, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के पीछे लंबी दूरी की सोच के साथ हम आगे आए हैं। उस युग की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां कोई व्यक्ति जीवनभर किसी एक प्रोफेशन में नहीं टिका रहेगा। इसके लिए उसे लगातार खुद को रीस्किल और अपस्किल करते रहना होगा।

रिसर्च और एजुकेशन का गैप खत्म होगा

कोडिंग पर फोकस हो या फिर रिसर्च पर ज्यादा जोर, ये सिर्फ एजुकेशन सिस्टम ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की अप्रोच को बदलने का जरिया बन सकता है। वर्चुअल लैब जैसे कंसेप्ट लाखों साथियों के पास बेहतर शिक्षा को ले जाने वाला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति रिसर्च और एजुकेशन के गैप को खत्म करने में भी अहम भूमिका निभाने वाली है। आज इनोवेशन और एडेप्शन की जो वैल्यू हम समाज में निर्मित करना चाहते हैं वो हमारे देश के इंस्टीट्यूशंस से शुरू होने जा रही है।

टीचर सीखेंगे तो देश बढ़ेगा

भारत का टैलेंट भारत में ही रहकर आने वाली पीढ़ियों का विकास करे, इस पर जोर दिया गया है। टीचर्स ट्रेनिंग पर बहुत फोकस है। आई बिलीव वेन ए टीचर लर्न, ए नेशन लीड। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ एक सर्कुलर नहीं है, इसके लिए मन बनाना होगा। भारत के वर्तमान और भविष्य को बनाने के लिए यह एक महायज्ञ है। 21वीं सदी में मिला बहुत बड़ा अवसर है। हमारे प्रयासों से पूरी शताब्दी को दिशा मिलने वाली है।

नई शिक्षा नीति का शिक्षकों के जीवन पर क्या असर?

एक प्रयास ये भी है कि भारत का जो टैलेंट है, वो भारत में ही रहकर आने वाली पीढ़ियों का विकास करे। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति में टीचर पर बहुत जोर है, वो अपनी स्किल्स लगातार अपडेट करते रहें, इस पर बहुत जोर है। शिक्षा व्यवस्था में बदलाव, देश को अच्छे स्टूडेंट्स, अच्छे प्रफेशनल्स और उत्तम नागरिक देने का बहुत बड़ा माध्यम आप सभी शिक्षक ही हैं, प्रफेसर ही हैं। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की प्रतिष्ठा का भी विशेष ध्यान रखा गया है।’

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