इंडिया रिपोर्टर लाइव
मुंबई 08 मई 2021। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद भड़की हिंसा की निंदा की है। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद उन्मुक्त होकर अनियंत्रित तरीके से हुई हिंसा न केवल निंदनीय है, बल्कि पूर्व नियोजित भी है। उन्होंने केंद्र और बंगाल सरकार से यह आग्रह किया है कि वह राज्य में कानून और शांति का शासन सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाए। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि समाज की विघटनकारी शक्तियों ने महिलाओं के साथ घृणास्पद बर्बर व्यवहार किया। निर्दोष लोगों की क्रूरतापूर्वक हत्याएं की। घरों को जलाया, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और दुकानों को लूटा। हिंसा के चलते अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समेत हजारों लोग अपनी जान और सम्मान की रक्षा के लिए सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर हुए। कूच बिहार से लेकर सुंदरवन तक लोगों में भय का वातावरण है।
संघ ने कहा, सबसे दुखद पहलू प्रशासन का मूकदर्शक बने रहना
संघ ने कहा कि इस पाशविक हिंसा का सर्वाधिक दुखद पहलू यह है कि शासन और प्रशासन की भूमिका केवल मूकदर्शक की ही दिखाई दे रही है। संघ इस वीभत्स हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करता है। हमारा मत है कि चुनाव परिणामों के बाद बंगाल में अनियंत्रित रूप से चल रही हिंसा भारत के सह अस्तित्व और संविधान में अंकित जन और लोकतंत्र की मूल भावना के भी विपरीत है।
शासन-व्यवस्था कोई हो, शांति का वातावरण बनाएं
आरएसएस के सरकार्यवाह ने कहा, शासन व्यवस्था कोई भी हो और किसी भी दल की हो, उसका सबसे पहला दायित्व समाज में कानून-व्यवस्था के द्वारा शांति और सुरक्षा का वातावरण बनाना, अपराधी और समाजविरोधी तत्वों के मन में शासन का भय पैदा करना और हिंसा करने वालों को दंड सुनिश्चित करना होता है। चुनाव दल जीतते हैं, लेकिन निर्वाचित सरकार पूरे समाज के प्रति जवाबदेह होती है।
ऐसे में हम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार से आग्रह करते है कि शांति कायम करने के लिए हरसंभव कदम उठाएं और इस दिशा में उचित कार्रवाई करें। आरएसएस समाज के प्रबुद्धजनों, समाजिक-धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व का भी आह्वान करता है कि इस कठिन घड़ी में वे पीड़ित परिवार के साथ खड़े होकर उनमें विश्वास का वातावरण बनाएं। हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए शांति और सद्भाव का वातावरण बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
पश्चिम बंगाल में महिला हिंसा के हालात लगातार खराब हो रहे हैं। हिंसा और प्रशासन के असहयोगात्मक रवैये के कारण महिलाएं आश्रय स्थलों में रहने के लिए विवश हैं, उन्हें लगातार धमकियां मिल रहीम हैं। पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि उनके घरों को टीएमसी के कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़फोड़ करके आग के हवाले किया जा रहा है। इसके चलते वह न चाहते हुए भी सुरक्षा के लिए पलायन के लिए विवश हो रहे हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग के जांच दल ने शुक्रवार को अपने दो दिवसीय बंगाल दौरे के बाद इस हालात का सिलसिलेवार ढंग से जांच रिपोर्ट में खुलासा किया है।
आयोग ने बंगाल में महिलाओं के विरुद्ध हो रहे हिंसा के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट जारी कर दी है। आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने अपनी दो दिन की बंगाल यात्रा के दौरान विधानसभा चुनावों के बाद राज्य में महिलाओं के विरुद्ध हो रहे जघन्य अपराधों, दुष्कर्म और हत्या जैसा मामलों की जांच की। जांच टीम ने पाया की जिन आश्रय स्थलों पर इन महिलाओं को रखा गया है वहां उचित सुविधाओं का अभाव है। इन महिलाओं ने शिकायत की है कि उन्हें कोई सुविधा नहीं है पीने का पानी तो दूर चिकित्सा सुविधा स्वास्थ यहां तक की भोजन तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
कई महिलाओं ने अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और पलायन की बात कही। जांच टीम ने राज्यपाल के साथ बैठक करके उन्हें हालातों की जानकारी दी, और उनसे अविलंब हस्तक्षेप करने की गुजारिश की। इसके लिए तय किया गया की सभी शिकायतों का जिलेवार संकलन किया जाएगा। इतना ही नहीं राज्यपाल ने भी सुझाव दिया कि आयोग को ऐसी घटनाओं की विस्तृत जानकारी और प्राथमिकी की संख्याओं के साथ उनकी स्थिति के बारे में जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारियों को रिपोर्ट के साथ आयोग के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया जाना चाहिए।