राजीव गांधी किसान न्याय योजना से सिर्फ खेती किसानी को ही मजबूती नहीं मिली, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सहारा भी मिला है : मोहन मरकाम

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

रायपुर, 19 अगस्त 2021। गुरुवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने राजीव भवन निर्माण समिति के प्रभारी और प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन, प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल और कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी की उपस्थिति आयोजित प्रेसवार्ता के प्रमुख बिन्दु…

1.सबके साथ न्याय कांग्रेस के लिये मूलभूत सिद्धांत है।
2. न्याय सिर्फ राजनैतिक पदयात्रा नहीं या सिर्फ योजना का नाम नहीं।
3. न्याय के लिये हम सिर्फ यात्रायें नहीं करते न्याय का अर्थ सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं थ। न्याय का अर्थ मजदूर गरीब महिलाओं सबको लाभ पहुंचाना है जो आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार कर रही है।  
4. प्रदेश की राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने यहां के किसानों को मजबूती देने के साथ पूरे देश को बता दिया कि परिस्तिथियां कितनी भी गम्भीर क्यो न हो ग्राम सुराज के माध्यम, गांव के माध्यम से, किसानों के माध्यम से गरीब महिलाओं सबको लाभ मिलता है।
5. हम सबके साथ न्याय करके ही देश को सशक्त कर सकते है।
6. नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी सिर्फ एक नारा नहीं था, छत्तीसगढ़ के विकास का संपूर्ण दर्शन है।

राजीव जी का नाम प्रतीक बन गया है, बड़े बदलाव का
राजीव जी के नाम की योजना में ला रही प्रदेश में क्रांति

1. राजीव गांधी किसान न्याय योजना से खेती किसानी को मजबूती तो मिली ही, पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मंडी के दौर में सहारा मिला। 9000 रू. प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि।
2. जब पूरे देश में कोविड संक्रमण के हालत गंभीर थी।
3. मंडी की विकट समस्या का सामना देश की अर्थव्यवस्था कर रही थी।
4. बेरोजगारी के कारण नौजवान दुखी एवं निराशा था।
5. ऐसे समय में राजीव गांधी किसान न्याय योजना, के माध्यम से खेती करने वाले किसानों को।
6. गोधन न्याय योजना के माध्यम से पशुपालकों को।
7. मछली पालन को खेती का दर्जा दिये जाने से मत्स्य कृषकों को लाभ मिला।
8. मनरेगा – महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना में छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्य बना है।
9. तेलघानी विकास बोर्ड का गठन हुआ है। चर्म शिल्पकार बोर्ड, लौह शिल्पकार बोर्ड, रजककार विकास बोर्ड के गठन की प्रक्रिया जारी है।

पूरे देश में जब मंदी थी, छत्तीसगढ़ ने प्रगति की राह दिखाई। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था न्याय योजनओं के द्वारा ही प्रगति की राह में गतिशील रही। CMIE की रिपोर्ट ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में 2018 में जो बेरोजगारी 22.2 प्रतिशत थी अब वो 3.4 प्रतिशत हो गई है।
राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर रोजगार को लेकर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने जुलाई 2019 और जून 2020 तक श्रम बल सर्वेक्षण पर तीसरी वार्षिक रिपोर्ट जारी की। इसमें कोरोनाकाल और लाकडाउन के असर का भी जिक्र है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में लोगो की नौकरियां तथा रोजगार प्रभावित हुआ। खनन उत्खनन, निर्माण, वित्तीय सेवा, रियल एस्टेट, उत्पादन, होटल, परिवहन, संचार और लोक प्रशासन जैसी सेवाएं प्रभावित रही। कोरोना काल में आर्थिक गतिविधियो के ठप हो जाने से नौकरियों में छत्तीसगढ़ में जो बेरोजगारी आई थी, उसकी भरपाई कृषि वानिकी व मछली से जुड़ी सेवाओं ने काफी हद तक की। इसके बावजूद खेती, वानिकी और मछलीपालन तथा इनसे जुड़े कारोबारों से प्रदेश के लोगो को रोजी-रोटी मिलती रही। इनसे लोगो के आर्थिक हालात ठीक रहे और छत्तीसगढ़ मंदी की गिरफ्त में भी नहीं रहा।

प्रदेश में बेरोजगारी दर कई राज्यों से कम

1. बेरोजगारी दर छत्तीसगढ़ में औसतन 10.1 फीसदी थी। जबकि आंधप्रदेश की 17.1, अरूणाचल प्रदेश की 23.8, असम की 27.5 और बिहार में 17.6 फीसदी थी।
2. सात साल से ऊपर साक्षरता की दर प्रदेश में 76.1 फीसदी थी। जबकि इसी अवधि में सर्वे में आंध्र प्रदेश की 63.2, अरुणाचल प्रदेश की 81.9 व असम की 87.9 व बिहार की 62.4 फीसदी थी।
3. 15 से 29 साल के लेबर फोर्स की दर सीजी में ग्रामीण व शहरी इलाकों में 51.9 थी। जबकि आंध्र प्रदेश की 47.4, अरुणाचल प्रदेश की 30.1 असम की 34.7 व बिहार की 26.9 प्रतिशत थी।
4. भारत में लेबर फोर्स दर 40 फीसदी औसतन थी, जबकि सीजी में 51.9 औसतन थी। इसी तरह देश में वर्कर पापुलेशन औसतन 38.2 फीसदी थी, जबकि सीजी में यह औसतन 46.6 रही।

आज तीन साल का समय भी नहीं बीता है लेकिन खेती की, किसान की, मजदूर की, महिलाओं की, नौजवानों की स्थिति में छत्तीसगढ़ में बड़ा फर्क आया है। किसान कर्ज मुक्त हो गये है। 9000 करोड़ की कर्जमाफी कृषि ऋण माफी हमने की, जिसके लिये गंगाजल उठाया था।
फसलों की समर्थन मूल्य में खरीद से किसानों को लाभ मिल रहा है। भाजपा की रमन सिंह सरकार में 15 साल तक धान की सिर्फ 50 लाख टन औसत खरीद की गयी। आज कांग्रेस सरकार में 90 लाख टन धान से अधिक की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। समर्थन मूल्य पर खरीद के साथ-साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ प्रदेश के 18.38 लाख किसानों 22 लाख 5628 करोड़ दिये गये। 2020-21 में 22 लाख किसानों को 5595 करोड़ जिसकी पहली किस्त 21 मई 2021 को किसानों के खातों में अंतरित दी जा चुकी है। दूसरी किस्त 20 अगस्त को किसानों को दी जायेगी। गोधन न्याय योजना 2रू. किलो में गोबर खरीदकर गोठान समितियों द्वारा वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट 9950 गोठान स्वीकृत, 5590 गोठान निर्मित अभी तक 96 करोड़ की राशि वितरित 1,68,531 लाभार्थी को मिला लाभ।
अब खेतिहर मजदूरों को भी न्याय योजना का लाभ मिलेगा। बिजली बिल हाफ योजना से 27 महिनें में 40 लाख उपभोक्ताओं (39.63) को 1822 करोड़ रू. की राहत पहुंचाई गयी। 5.85 लाख किसानों को 5 हार्स पावर पंपों के लिये मुक्त बिजली दी गयी। गरीबी रेखा के नीचे निवास करने वाले 18 लाख परिवारों को 30 यूनिट बिजली प्रतिमाह निःशुल्क में दी गयी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि ढाई साल की उपलब्धियों की चर्चा आज हमने आपसे की है। और भी बातें होती है। ढाई-ढाई साल की। कांग्रेस में मुख्यमंत्री कौन हो, यह फैसला विधायकों की राय से पार्टी हाईकमान द्वारा लिया जाता है। यह फैसला दिसंबर 2018 में ही लिया जा चुका है। अब तो ढाई नहीं दो-तीन माह बाद नवंबर-दिसंबर में तो तीन साल हो जायेंगे। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सभी वर्गो के के सर्वांगीण विकास के लिये अच्छा काम कर रही है और करती रहेगी।

राजीव गांधी ग्रामीण मजदूर न्याय योजना
1 सितंबर से 30 नवंबर तक होगा पंजीयन

भूमिहीन कृषि मजदूरों के साथ साथ गांव के पौनीपसारी व्यवस्था से जुड़े भूमिहीन चरवाहा बढ़ई लोहार मोची नाई धोबी पुरोहित परिवारों को मिलेगा लाभ। 10 लाख परिवारों को सालाना ₹6000 की आर्थिक मदद। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सीधे हितग्राहियों तक पहुंचा रही है। इससे न सिर्फ हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है, बल्कि गांव, गरीब, मजदूर और किसान समृद्ध हो रहे है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, तेंदूपत्ता की बेहतर दर पर खरीदी, लघु वनोपज के दामों में वृद्धि से भूपेश सरकार ने जहां कोरोना संकट के विपरीत समय पर आर्थिक संबल प्रदान किया। वही ग्रामीणों, किसानों, आदिवासियों को सीधा लाभ पहुंचा, जिससे मजदूर और किसान ही नहीं सभी वर्ग के लोग समृद्ध हो रहे है। मजदूर और किसानों के हाथों में पैसे आने से व्यापार व व्यवसाय बढ़ रहा है इससे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण अंचल के भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों को राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत प्रतिवर्ष 6000 रूपए की आर्थिक मदद दिए जाने की घोषणा की है। सरकार भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना लागू करने जा रही हैं। इस योजना के लिए इस अनुपूरक में 200 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।

बस्तर


1. मैं बस्तर से आता हूं। बस्तर में आज हालात 15 साल के भाजपा शासनकाल की तुलना में बहुत बेहतर है।
2. बस्तर के हालात में बड़ा परिवर्तन आया है।
3. बस्तर में स्वास्थ और शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार जारी है।
4. आदिवासियों के खिलाफ  प्रकरणों में दोष मुक्ती और प्रकरण वापसी के उपरांत 944 आरोपियों को अभी तक लाभांवित किया जा चुका है।
5. बस्तर में मलेरिया कुपोषण एनीमिया के खिलाफ जंग जारी है। 1,40,000 बच्चों को कुपोषण, 80000 माताओं को एनीमिया से मुक्त कराया जा चुका है। मलेरिया की प्रभावशाली रोकथाम की गयी है।
6. सारकेगुड़ा, पेद्दागेलूर, ऐड़समेटा, सोनकू बिजलु हत्याकांड, झलियामारी, फर्जीमुठभेड़े, फर्जी आत्मसमर्पण बस्तर में माओवाद के खिलाफ लड़ाई नहीं भाजपा सरकार फर्जीवाड़े में संलिप्त थी।
7. इसी कारण माओवाद दक्षिण बस्तर के तीन ब्लाकों से 14 जिलो तक फैला।
8. बस्तर में टाटा संयत्र के लिये अधिग्रहित 5 हजार एकड़ से अधिक भूमि किसानों को वापस की गयी।
9. वनअधिकार पट्टा देने में छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्य है। व्यक्तिगत पट्टे 4,28,000 रकबा 3,58,777 हेक्टेयर वितरित हो चुके है। सामुदायिक पट्टे 44,300 वितरित हो चुके है।
10. आज अशिक्षा के खिलाफ, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की लड़ाई लड़ी जा रही है।
11. वनोपज की खरीद, तेंदुपत्ता की खरीद से बस्तरवासियों की आर्थिक स्थिति मजबूत।
12. तेंदुपत्ता तोड़ने की दरें ही नहीं बढ़ी है।
13. 2018 में 11,48528 और 2021 में 12,14,372 संग्रहको को लाभ मिला है।
14. वनोपज संग्रहण में छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्य है।

वनोपज संग्रहण में देश में अव्वल

कार्यवर्ष 2018वर्ष 2021वृद्धि
संग्रहित वनोपज मात्रा5400 क्विंटल6,21,176 क्विंटल115 गुना
संग्रहित वनोपज का मूल्य3.81 करोड़156.91 करोड़41 गुना
लघु वनोपज संख्या7527.5 गुना
लघु वनोपज संग्राहकों की संख्या1,50,0006,00,6643 गुना
लघु वनोपज विक्रय3.69 करोड़50.20 करोड़13 गुना
संग्रहण केन्द्रों की संख्या (स्व सहायता समूह)निरंक 47854785
हर्बल उत्पादों का विक्रय1.37 करोड़3 करोड़2 गुना
निर्मित हर्बल उत्पादों का मूल्य1.28 करोड़7.44 करोड़5 गुना

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