इंडिया रिपोर्टर लाइव
काबुल 21 अगस्त 2021। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की स्थिति दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। तालिबानी लड़ाके हिंसक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। इसी बीच बड़ी खबर आ रही है कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी का भाई हशमत गनी तालिबान में शामिल हो गया है। हशमत गनी ने तालिबान को समर्थन करने का एलान किया है। हशमत गनी के तालिबान में शामिल होने की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। तालिबान के साथ हशमत गनी के आने से आतंकी संगठन को मजबूती मिलने के आसार हैं। सूत्रों की मानें तो हशमत गनी अशरफ गनी का भाई है और वह अफगानिस्तान की राजनीति और कूटनीति को अच्छी तरह से जानता है। इसका फायदा सीधे-सीधे तालिबान को मिलेगा। बताया जा रहा है कि हशमत गनी पहले से ही तालिबान को समर्थन देने का फैसला कर चुका था और जैसे ही अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ कि वह आतंकी संगठन के साथ जुड़ गया। हालांकि, अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसको लेकर तालिबान के नेताओं के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। बताया जा रहा है कि मुल्ला बरादर को पहले तालिबान राष्ट्रपति बनाना चाहता था, लेकिन आतंकी संगठन के भीतर ही बरादर के खिलाफ आवाज उठने पर उसे राष्ट्रपति नहीं बनाया गया।
यूएई में शरण लिए हुए हैं अशरफ गनी
बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद 15 अगस्त को अशरफ गनी अपने परिवार के साथ चार्टर्ड विमान से देश छोड़कर भाग गए थे। फिलहाल अशरफ गनी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई ) में शरण लिए हुए हैं। सूत्रों की मानें तो अशरफ गनी ने सबसे पहले अमेरिका में शरण मांगी थी, लेकिन अमेरिका ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया। उसके बाद यूएई ने उन्हें शरण दी। संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि वह मानवता के आधार पर अशरफ गनी की मेजबानी कर रहा है। देश छोड़ने के बाद अशरफ गनी ने कहा था कि “तालिबान जीत गया” और उन्हें “रक्तपात की बाढ़” को रोकने के लिए अफगानिस्तान को छोड़ना पड़ा ।