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नई दिल्ली 02 दिसम्बर 2021 । आजकल बाजार में कई तरह के कुकिंग ऑयल बिकने लगे हैं. ऐसे में हम समझ नहीं पाते कि कौन सा कुकिंग ऑयल इस्तेमाल करना चाहिए. जो भी विज्ञापनों में देखते हैं, या अपने आसपास के लोगों से सुनते हैं, उसे ही घर में खाना बनाने के लिए यूज करने लगते हैं. कई लोग तो खाना रिफाइंड में बनाते हैं, जो कि सेहत के लिहाज से ठीक नहीं होता. खाना बनाने के लिए हमेशा अच्छे कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल करना चाहिए.
अच्छे कुकिंग ऑयल के रूप में जैतून के तेल और सरसों के तेल को गिना जाता है. चूंकि जैतून का तेल काफी महंगा पड़ता है, ऐसे में हर किसी के लिए इसे इस्तेमाल करना संभव नहीं होता. इसलिए सरसों के तेल को बेस्ट माना जाता है. सरसों का तेल पुराने समय से घरों में खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होता आ रहा है. किफायती होने के साथ इस स्मोक लेवल भी कुकिंग के अनुरूप होता है. यहां जानिए सरसों के तेल के ढेरों फायदों के बारे में.
कुकिंग के अनुरूप स्मोक पॉइंट
कौन सा तेल कुकिंग के लिए बेस्ट है, इसका निर्धारण उसके स्मोक पॉइंट से किया जाता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के डाटा के अनुसार सरसों के तेल का स्मोक पॉइंट 249 डिग्री सेल्सियस होता है, ये एक अच्छे कुकिंग ऑयल का स्कोर माना जाता है. स्मोक पॉइंट ही ये तय करता है कि आपको तेल को पकाना कब बंद कर देना है. अगर तेल को स्मोक पॉइंट से ज्यादा पकाया जाए तो वो सेहत के लिए हानिकारक रसायन पैदा करने लगता है.
दिल की सेहत के लिए अच्छा
मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड गुड कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ाने का काम करता है, साथ ही कोशिकाओं को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है. सरसों के तेल में 60 फीसदी मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है. इस कारण इस तेल को दिल की सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है.
वजन कंट्रोल करता
सरसों के तेल में लगभग 21 प्रतिशत पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड पाया जाता है. ये कुकिंग ऑयल का एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो आपको ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी ऐसिड देता है. ये शरीर को एनर्जी और कैलोरी देता है और वजन कंट्रोल करने में मददगार है. इसके अलावा खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है.
कैंसर की आशंका को कम करता
सरसों के तेल में कैंसर से लड़ने वाले गुण भी पाए जाते हैं. इसमें मौजूद लिनोलिनिक एसिड ओमेगा-3 फैटी एसिड में परिवर्तित हो जाता है, जो कैंसर से बचाव में मददगार माना जाता है. कई शोध बताते हैं कि सरसों का तेल शरीर में कैंसर की कोशिकाओं के विकास को धीमा कर सकता है और उसे गंभीर होने से रोकता है.
शरीर के दर्द और चोट में राहत देता
सरसों के तेल में एलिल आइसोथियोसाइनेट पाया जाता है. ये शरीर में चोट और दर्द को नियंत्रित करने में मददगार माना जाता है. इसके अलावा सरसों के तेल में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो आपके शरीर में बैक्टीरीया के विकास को रोकने में मददगार माने जाते हैं.