
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 12 मई 2023। इन दिनों देश में खालिस्तान की काफी चर्चा हो रही है। खालिस्तान को हवा देने के पीछे देश विरोधी ताकतें हैं जो यहां की शांति तो भंग करना ही चाहती है साथ ही लोगों को भी विभाजित करना चाहती है। इसी बीच इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (IFFRAS) ने खालिस्तान आंदोलन पर अपनी व्यापक रिपोर्ट पेश की है जिसमें इसको भारत, पश्चिमी देश और सिखों के लिए इसे एक जटिल खतरा बताया है।
रिपोर्ट के मुताबिक खालिस्तानी आंदोलन जहां भारतीय संप्रभुता के लिए एक चुनौती बना हुआ है वहीं यह आंदोलन पश्चिमी देशों के लिए एक खतरा बनता जा रहा है और इन सबके बीच जो सबसे बड़ी विडंबना है वो यह कि इसकी जद्द में सिख ज्यादा हैं। रिपोर्ट के मुताबिक खालिस्तान आंदोलन, सिखों के लिए एक अलग राज्य की मांग करने वाला एक प्रचार अभियान है, जो भारत का काफी लंबे समय से चला आ रहा एक ऐसा मुद्दा है जिसपर काफी विवाद हो चुका है।
यहां आपको बता दें कि खालिस्तान का अर्थ है- The Land Of Khalsa. यानि खालसा के लिए एक अलग राष्ट्र या सिखों के लिए अलग राष्ट्र। खालसा की स्थापना सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने साल 1699 में की थी। गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा का बहुत अच्छा अर्थ प्रस्तुत किया था- प्योर यानी शुद्ध लेकिन समय के साथ इस विचार के उद्देश्य बदल गए और इसका राजनीतिकरण हो गया। कुछेक लोगों ने खालसा का अर्थ ही बदल दिया और फिर इसे खालिस्तानी रूप दे दिया गया। विदेश में बैठे कुछ खालिस्तानी संगठन फिर से सिर उठाने लगे हैं और भारत में खालिस्तान आंदोलन फिर पैर पसारने लगा है जो सबसे बड़ी चिंता है।
विदेशों में खालिस्तानी भारतीय राजनयिक मिशनों पर हमले तेज कर रही है, इसका उदाहरण मेलबर्न, लंदन और सैन फ्रांसिस्को में देखा गया। हाल ही में लंदन में खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय उच्चायोग पर हमला कर दिया था और वहां से तिरंगा हटाकर कर खालिस्तानी झंडा लगा दिया था और काफी तोड़फोड़ भी की थी। भारत ने इसके लिए ब्रिटेन सरकार से नाराजगी जताई थी। भारत की अखंडता को चोट पहुंचाने के लिए खालिस्तानी इन दिनों सोशल मीडिया का भी काफी सहारा ले रहे हैं। खालसा वोक्स ने बताया कि इन संस्थाओं को भारत सरकार द्वारा आतंकवादी संगठनों के रूप में प्रतिबंधित किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तान आंदोलन मुस्लिम ब्रदरहुड के लिए एक संकीर्ण रूप से परिभाषित धार्मिक सिद्धांत के आधार पर एक राज्य की मांग और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की अवहेलना के लिए एक अस्थिर समानता रखता है। खालिस्तान के बहाने मुस्लिम भी इसका समर्थन कर रहे हैं, दरअसल उनको इससे भारत की सहिष्णुता का खंड-खंड करने में मदद मिलती है। हाल ही में जब लंदन में भारतीय उच्चायोग पर खालिस्तानियों ने धावा बोला था तब जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के भी कई लोग भी इसमें शामिल हुए थे। खालसा वोक्स रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान से भी खालिस्तान आंदोलन को हवा दी जा रही है।
पाकिस्तान में बैठे भारत विरोध संगठन नार्को-आतंकवाद बनाने और संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और फंडिंग भी की जा रही हैंं। भारत के खिलाफ खालिस्तान के साहरे एक प्रोपेगंडा चलाया जा रहा है। आईएसआई ने खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के प्रमुख परमजीत सिंह पंजवाड़ जैसे लोगों का ड्रग कार्टेल संचालित करने और पंजाब के युवाओं को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने भारत में ड्रग्स की तस्करी और ‘पंजवाड़ जैसे आतंकवादियों’ को ‘प्यादे’ के रूप में सहायता प्रदान की। खालसा वोक्स ने अपनी रिपोर्ट के आखिर में कहा कि अगर इन देश विरोधी संगठनों से मुकाबला करना है तो एक वैश्विक समुदाय को बढ़ावा देने के लिए जो क्षेत्रीय संप्रभुता, धार्मिक सहिष्णुता होना बहुत जरूरी है, जहां हर वर्ग का समान सम्मान और आदर हो।