
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 19 अगस्त 2023। भविष्य की स्वास्थ्य आपदाओं से लड़ने के लिए जी-20 देशों ने कागजों पर अपनी स्वीकृति दे दी है। हालांकि वैश्विक स्तर पर इसका प्रारूप कैसा होगा? इसकी जिम्मेदारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सौंपी गई है जो अगले साल मई 2024 में इस महामारी समझौता को विश्व स्वास्थ्य सभा में प्रस्तुत करेगा। सूत्रों के अनुसार, इस साल जी-20 के माध्यम से भारत शुरुआत से ही वैश्विक स्तर पर एक महामारी समझौता लाने की पहल कर रहा है। अब तक तीन अलग अलग जी-20 स्वास्थ्य समूह की बैठक में सभी देशों के प्रतिनिधियों ने इस पर चर्चा की जिस पर अंतिम सहमति गुजरात के गांधीनगर में आयोजित जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में मिली है। शुक्रवार को इस बैठक में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रॉस भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत ने कई सराहनीय कार्य हैं जिन्हें वैश्विक स्तर पर अपनाया जा सकता है। भारत की अध्यक्षता में जी-20 की बैठकों में तीन प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों पर चर्चा हुई जिनमें महामारी समझौता के साथ साथ एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) की रोकथाम भी शामिल है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि भारत की अध्यक्षता में महामारी समझौता पर सभी देशों की सहमति लेने में कामयाबी मिल गई है।
समय आ गया…स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करे भारत : अमेरिका
अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री जेवियर बेसेरा का कहना है कि भारत अब पहले जैसा नहीं है। बीते कुछ दशक में भारत ने अपनी क्षमताओं का काफी तेजी से विस्तार किया है। अब समय आ गया है जब भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में दुनिया की लीडरशिप हासिल करे। शुक्रवार को गुजरात के गांधीनगर में जी 20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के बाद मंत्री बेसेरा ने कहा कि अगर भविष्य की महामारियों की बात करें तो दुनिया में भारत और अमेरिका दोनों ही इस स्थिति में है कि वह अपना योगदान सबसे ज्यादा देकर लोगों की रक्षा कर सकते हैं।
भारत की वाहवाही पर चिढ़ क्यों?
महामारी समझौते पर लिखित सहमति देने के बाद भी कुछ देशों ने मौखिक विरोध किया है। सूत्रों ने बताया कि इसमें चीन का नाम भी शामिल है जिन्होंने बल दिया है कि विश्व स्वास्थ्य सभा में महामारी समझौता आना चाहिए लेकिन उसका श्रेय भारत को नहीं मिलना चाहिए।