
इंडिया रिपोर्टर लाइव
दुबई 03 दिसंबर 2023। दुबई में शनिवार को आयोजित कॉप-28 जलवायु शिखर सम्मेलन में 117 देशों ने अक्षय ऊर्जा क्षमता को 2030 तक तीन गुना करने का संकल्प लिया। ऐसा इसलिए, ताकि दुनिया के ऊर्जा उत्पादन में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी में कटौती की जा सके। क्योंकि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में इनका तीन चौथाई योगदान है। कॉप-28 शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष सुल्तान अल-जबर ने कहा, 117 देश इसमें शामिल हो चुके हैं। अब हम सभी को इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयासरत होना चाहिए। मैं सभी से आह्वान करता हूं कि अगले दशक तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग में व्यापक कमी लाना है।
समझौते से भारत, चीन का किनारा
अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने की प्रतिज्ञा पर भारत और चीन ने हस्ताक्षर नहीं किए, जबकि दोनों देशों ने इस संकल्प का समर्थन किया था। समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों में जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चिली, ब्राजील, नाइजीरिया और बारबाडोस भी शामिल हैं।
जीवाश्म ईंधन की खपत को चरणबद्ध तरीके से हटाना होगा
कॉप-28 में इस बात पर चर्चा हुई कि जीवाश्म ईंधन की वैश्विक खपत को धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए सहमत होना पड़ेगा। कोयला, तेल और गैस का इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन का सबसे मुख्य कारण है। नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग से कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने में मदद मिलेगी। इस काम में भारत का प्रदर्शन सराहनीय है।
मीथेन उत्सर्जन घटाने के लिए परोपकारी संस्थाएं देंगी 45 करोड़ डॉलर
जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान शनिवार को दुनियाभर के करीब एक दर्जन से ज्यादा परोपकारी संगठनों ने घोषणा की कि वे दुनिया की सबसे प्रमुख ग्रीनहाउस गैस मीथेन से निपटने के लिए अगले तीन सालों में 45 करोड़ डॉलर का निवेश करेंगे। इसमें बेजोस अर्थ फंड, ब्लूमबर्ग फिलैंथ्रोपीज और सिकोइया क्लाइमेट फाउंडेशन शामिल हैं। ये संस्थाएं मीथेन उत्सर्जन और अन्य गैर-कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीनहाउस गैसों को चरणबद्ध तरीके से कम करने में तेजी लाने में मदद करेंगी। जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि सीओ-2 के बजाय मीथेन ज्यादा खतरनाक है।
हमें तत्काल रिसाव को रोकना होगा
बारबाडोस की प्रधान मंत्री मिया अमोर मोटली ने कहा, समय कम है। हमें इस बारे में स्मार्ट और निर्णायक होना पड़ेगा कि कैसे हम पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर पाते हैं। एक स्मार्ट तरीका यह होगा कि सभी लोग अब मीथेन रिसाव को समाप्त करने करने के लिए प्रतिबद्ध हों।
रिसाव कम नहीं हुआ, बढ़ रहा है
150 से अधिक देशों ने अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेतृत्व वाली वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा के तहत 2030 तक अपने मीथेन उत्सर्जन को 2020 के स्तर से 30 फीसदी कम करने का वादा किया है। मीथेन उत्सर्जन पर नजर रखने वाली रिसर्च फर्म कायरोस ने कहा कि इसके बावजूद मीथेन का उत्सर्जन कम नहीं हो रहा है और कुछ जगहों पर तो यह बढ़ भी रहा है।
जलवायु परिवर्तन के समाधान में भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण
राष्ट्रमंडल सचिवालय के महासागर व प्राकृतिक संसाधन प्रमुख डॉ. निकोलस हार्डमैन माउंटफोर्ड ने दुबई जलवायु समिट में कहा कि जलवायु परिवर्तन के समाधान में भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारत एक महान समुद्र विज्ञानी राष्ट्र है। निकोलस ने कहा, मैंने वर्षों तक कई महान भारतीय वैज्ञानिकों के साथ काम किया है। भारत स्थायी नीली (समुद्री) अर्थव्यवस्था बनाना चाहता है। वास्तव में भारत को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
श्रीलंकाई राजदूत बोले भारत महान पड़ोसी
यूएई में श्रीलंका के राजदूत उदय इंद्ररत्न ने भारत को एक महान पड़ोसी बताया और कहा कि कॉप-28 शिखर सम्मेलन पूरी दुनिया को एक साथ लाने का शानदार मंच है। उन्होंने कहा, यूएई एक बहुत बड़े और महत्वपूर्ण कॉप-28 कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है।