अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, ताइवान की सीमा के पास फिर भेजे नौ सैन्य विमान और पोत

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ताइपे  05 अगस्त 2024। चीन ताइवान पर कब्जा करने के लिए लगातार घुसपैठ करता रहता है। पिछले कुछ महीनों से उसने ताइपे के आसपास अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है। एक बार फिर बीजिंग की सेना ने ताइवान की सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की। चीन और ताइवान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। बीजिंग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक बार फिर चीनी सेना ने ताइवान की सीमा में घुसपैठ की कोशिश की। हालांकि, ताइवान की सेना ने भी इसका जवाब दिया। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीन के विमान और नौसैनिक पोत ताइवान की सीमा के करीब देखे गए। 

इतने विमान दिखाई दिए
ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय (एमएनडी) ने बताया कि रविवार सुबह छह बजे से सोमवार सुबह छह बजे ताइवान के आसपास नौ चीनी सैन्य विमान और नौ नौसैनिक पोत उड़ान भरते देखे गए। सेना ने बताया कि नौ विमानों में से छह ने ताइवान स्ट्रेट की मध्य रेखा को पार किया और ताइवान के पूर्वी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) में प्रवेश किया। बता दें चीन और ताइवान के बीच यह जल संधि एक अनौपचारिक सीमा है। इसके जवाब में ताइवान ने चीन की गतिविधि की निगरानी के लिए विमान, नौसैनिक जहाजों और वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों को तैनात किया। एमएनडी ने यह जानकारी सोशल मीडिया मंच एक्स पर दी। 

रविवार को ताइवान ने 36 चीनी सैन्य विमान और 12 नौसैनिक जहाज का पता लगाया, जिनमें से 31 ने ताइवान स्ट्रेट की मध्य रेखा को पार किया और ताइवान के उत्तरी, मध्य, दक्षिणपश्चिमी, दक्षिणपूर्वी और पूर्वी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) में प्रवेश किया।

महीने की शुरुआत में ही चीन कई बार भेज चुका है विमान
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में अब तक ताइवान ने 71 बार विमानों और 36 बार चीनी जहाजों का पता लगाया है। सितंबर 2020 से चीन ने ताइवान के आसपास संचालित सैन्य विमानों और नौसैनिक जहाजों की संख्या में वृद्धि करके ग्रे ज़ोन रणनीति के अपने उपयोग को तेज कर दिया है।

क्या है ग्रे जोन रणनीति?
गौरतलब है चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। अब तक चीन ने सीधे ताइवान पर आक्रमण नहीं किया है, लेकिन वो ये सब कुछ ग्रे जोन में करता है। ये चीन की सेना का एक पैंतरा है, जिससे वो सीधे युद्ध तो नहीं करती लेकिन ये शक्ति प्रदर्शन करती है। ग्रे जोन का मतलब है कि कोई देश सीधा हमला नहीं करता है लेकिन इस तरह का डर हमेशा बनाए रखता है। सीधे सैन्य कार्रवाई की जगह, ऐसी कई चीजें होती रहती हैं, जिनसे हमले का डर बना रहता है। ताइवान के साथ चीन यही कर रहा है। चीन सितंबर 2020 से ‘ग्रे जोन’ रणनीति का अधिक बार उपयोग कर रहा है। जानकारों का कहना है कि ग्रे जोन युद्ध रणनीति दरअसल, एक तरीका है, जिससे लंबी अवधि में धीरे-धीरे प्रतिद्वंद्वी को कमजोर कर दिया जाता है और चीन ताइवान के साथ ठीक यही करने की कोशिश कर रहा है। 

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