इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 27 अक्टूबर 2024। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कॉलेजियम प्रणाली के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हर संस्थान में सुधार किया जा सकता है, लेकिन इससे यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि इसमें बुनियादी तौर पर ही खामियां है। बता दें कि सीजेआई एक मराठी चैनल के द्वारा आयोजित एक श्रृंखला में उद्घाटन व्याख्यान देने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये बातें बोली। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली के बारे में पूछे गए सवाल पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह एक संघीय प्रणाली है, जहां विभिन्न स्तरों की सरकारों (केंद्र और राज्य दोनों) और न्यायपालिका को जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा कि यह परामर्शात्मक संवाद की एक प्रक्रिया है, जहां आम सहमति बनती है, लेकिन कई बार आम सहमति नहीं बनती है, लेकिन यह प्रणाली का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि यह हमारी प्रणाली की ताकत का प्रतिनिधित्व करती है।
डीवाई चंद्रचूड़ का बयान
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं चाहता हूं कि हम अधिक आम सहमति बनाने में सक्षम हों, लेकिन मुद्दे की बात यह है कि न्यायपालिका के भीतर विभिन्न स्तरों और सरकारों के भीतर विभिन्न स्तरों पर इस पर बहुत अधिक परिपक्वता के साथ विचार किया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि किसी विशेष उम्मीदवार के बारे में कोई आपत्ति है, तो बहुत अधिक परिपक्वता के साथ चर्चा की जाती है। उन्होंने कहा हमें यह समझना होगा कि हमने जो संस्था बनाई है, उसकी आलोचना करना बहुत आसान है। हर संस्था बेहतरी के लिए सक्षम है, लेकिन यह तथ्य कि संस्थागत सुधार हुए हैं, जो संभव हैं, हमें इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचाना चाहिए कि संस्था में कुछ बुनियादी रूप से गलत है।
सोशल मीडिया की भागेदारी पर बोले सीजेआई
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सोशल मीडिया के कारण न्याय करने की पूरी दुनिया में बदलाव आया है। न्यायाधीशों को इस बारे में बहुत सावधान रहना होगा कि वे क्या कहते हैं, उचित भाषा का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि मैं अब भी महसूस करता हूं कि सोशल मीडिया का आगमन समाज के लिए अच्छा है, क्योंकि यह उपयोगकर्ता को समाज के एक बड़े वर्ग तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।
पिछले 75 वर्षों का किया जिक्र
डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह तथ्य कि ये संस्थाएं पिछले 75 वर्षों से समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं। हमारे लिए लोकतांत्रिक शासन की हमारी प्रणाली पर भरोसा करने का एक कारण है, जिसका न्यायपालिका भी एक हिस्सा है। इसके साथ ही उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अन्य क्षेत्रों के विपरीत, न्यायपालिका में आगे बढ़ने के साथ न्यायाधीश का कार्य भार मात्रा और जटिलता दोनों के संदर्भ में बढ़ता जाता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा हमारे न्यायाधीश छुट्टियों में भी इधर-उधर भटकते या लापरवाही नहीं करते, वे अपने काम के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उनके द्वारा पारित आदेश अगले दशकों में देश को परिभाषित करेंगे, लेकिन न्यायाधीशों को (अपने काम के अलावा) कानून के बारे में सोचने या पढ़ने के लिए शायद ही समय मिलता है।
सीजेआई ने एक सवाल किया कि पूछा क्या हम अपने न्यायाधीशों को कानून के बारे में सोचने या पढ़ने के लिए पर्याप्त समय देते हैं या आप चाहते हैं कि वे मामलों के निपटारे में केवल एक यांत्रिक मशीन बनकर रह जाएं। चंद्रचूड़ ने कहा कि अपनी कमियों के बावजूद, सोशल मीडिया का उदय समाज के लिए अच्छा है।