
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 28 मई 2025। कोरोना वायरस के बढ़ते मामले इन दिनों दुनियाभर के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। इस बार के प्रकोप की शुरुआत हांगकांग-सिंगापुर, चीन जैसे देशों से हुई, देखते ही देखते भारतीय आबादी में भी संक्रमण का खतरा काफी तेजी से बढ़ने लगा। बढ़ते मामलों के लिए ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स को प्रमुख कारण माना जा रहा है। संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले JN.1 वैरिएंट और इसमें हुए म्यूटेशन से उत्पन्न सब-वैरिंट्स (NB.1.8.1 और LF.7) के हैं।
एशियाई देशों के साथ अमेरिका से प्राप्त हो रही जानकारियां भी कोरोना को लेकर लोगों के मन में डर बढ़ा रही हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां न सिर्फ संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं बल्कि हर सप्ताह 300 से ज्यादा लोगों की मौतें भी हो रही हैं। अमेरिका स्थित ड्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में संक्रामक रोग प्रभाग के प्रोफेसर डॉ. टोनी मूडी कहते हैं, हकीकत यह है कि हम अभी भी मौतें देख रहे हैं, कोरोनावायरस फिर से न सिर्फ फैल रहा है, बल्कि लोगों की जान भी ले रहा है।
भारत वाला वैरिएंट अमेरिका में भी एक्टिव
यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि अमेरिका में जिस NB.1.8.1 वैरिएंट के कारण संक्रमण और मौत दोनों के मामले बढ़ रहे है, वही वैरिएंट भारत में भी फिलहाल सबसे ज्यादा सक्रिय देखा जा रहा है। इस वैरिएंट की प्रकृति और जोखिमों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग के रूप में वर्गीकृत कर दिया है, अब तक इसे वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में रखा गया था। वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग का मतलब है कि अब वायरस के इस रूप को लेकर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देने और निगरानी की आवश्यकता है।
तो क्या ये वैरिएंट, जिसे अधिकतर रिपोर्ट्स में ज्यादा चिंताजनक नहीं माना जा रहा है, वो असल में डेल्टा जैसा खतरनाक हो सकता है? अमेरिका में बढ़ते मौत के मामलों को देखें तो ये सवाल लाजमी है।