सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सऐप, टेलिग्राम और ईमेल के जरिए समन/नोटिस भेजे जाने को दी सैंद्धांतिक मंजूरी
कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि इनके जरिए भेजे गए नोटिस या समन कानूनी तौर पर मान्य
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 11 जुलाई 2020 अब कोर्ट की ओर से जारी नोटिस या समन को सोशल नेटवर्किंग साइटस वाट्सऐप और टेलीग्राम के जरिए भेजा जा सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इसकी इजाजत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया के साथ ही नोटिस को मेल पर भी भेजा जाए. वहीं दो ब्लू टिक ये सुनिश्चित करेंगे कि रिसीवर ने नोटिस देख लिया है या नहीं.
बताते चलें कि वाट्सऐप के जरिए भेजे गए लीगल नोटिस या समन वैध कानूनी सबूत माने जाएंगे. मैसेजिंग ऐप पर नीले टिक इस बात का प्रमाण हैं कि भेजे गए संदेश को प्राप्त कर लिया गया है. हालांकि कोर्ट ने वाट्सऐप से पीडीएफ फाइल के रूप में भेजे गए नोटिस को वैध माना है. वहीं रिकॉर्ड के लिए मेल पर भी समन भेजना जरूरी होगा.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मौजूदा कोविड-19 के हालात को देखते हुए न्यायिक कार्यवाही में प्रौद्योगिकी का और अधिक उपयोग करने का फैसला किया और निर्देश दिया कि अब अदालत के समन तथा नोटिस लोगों को ‘ईमेल, फैक्स और वॉट्सऐप जैसे एप्लीकेशन’ के माध्यम से भेजे जा सकते हैं.
शीर्ष अदालत ने इससे पहले वकीलों और वादियों को लॉकडाउन के दौरान आ रही मुश्किलों का स्वत: संज्ञान लिया था और मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने तथा चेक बाउंस होने के मामलों के लिए कानून के तहत निर्दिष्ट समयसीमा की अवधि 15 मार्च से अगले आदेश तक बढ़ाने का फैसला किया था.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी तथा न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की याचिका पर आदेश जारी किया. पीठ ने कहा ‘‘नोटिस और समन जारी करने में देखा गया है कि लॉकडाउन के दौरान डाकघरों में जाना संभव नहीं है. हम निर्देश देते हैं कि इस तरह की सेवाएं ईमेल, फैक्स या इन्स्टेंट मैसेंजर सर्विस के माध्यम से की जा सकती हैं.”
हालांकि पीठ ने आदेश में ‘वॉट्सऐप’ का नाम नहीं लिया. पीठ ने ‘जिरोक्स’ का उदाहरण दिया और कहा कि कंपनी के नाम का इस्तेमाल ‘फोटो स्टेट’ के लिए किया जाता रहा है. शीर्ष अदालत ने वेणुगोपाल की इन आशंकाओं का निराकरण किया कि वह वॉट्सऐप से समन और नोटिस भेजने में सहज महसूस नहीं करते.