गोलमाल है भई सब गोलमाल है……! वन समितियों से बिना डीएफओ की एनओसी/अनुमति के लगभग 17 लाख की राशि का आहरण कैसे संभव है?

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साजिद खान
(इंडिया रिपोर्टर लाइव)

कोरिया। वन समितियों से लगभग 17 लाख की राशि के हुए आहरण में उद्देश्य की स्थिती को स्पष्ट न कर पाने के लिए परिक्षेत्र सहायक के विरूद्ध हुई शिकायत को लेकर तात्कलिक वनमंडलाधिकारी मनेन्द्रगढ वनमंडल द्वारा जांच कर परिक्षेत्र सहायक पर कठोर कार्यवाही प्रस्तावित करने हेतू उपवनमंडलाधिकारी को लिखे गए पत्र तथा उपवनमंडलाधिकारी द्वारा कहा गया कथन है कि जांच में काम पाया गया। राशि का आहरण हुआ है। डीएफओ ने अनुमति दिया है। वनमंडलाधिकारी के द्वारा जांच के लिए लिखा गया पत्र और उपवनमंडलाधिकारी के द्वारा कहा गया कथन दोनो में भारी विरोधाभास है। ये विरोधाभास दर्शा रहा है कि गोलमाल है भई सब गोलमाल है….!

जब समितियों से हुई 17 लाख की राशि आहरण के उद्देश्य में ही गोलमाल हुआ है तो इस आहरित राशि में भी गोलमाल की प्रबल आशंका दिख रही है। समझ से परे है कि जब डीएफओ अनुमति/एनओसी स्वयं जारी किए थे तो उन्हे जांच के लिए पत्र क्यों लिखना पड़ा ? जिससे सवाल यह पैदा होता है कि परिक्षेत्र सहायक ने किसके दबाव में और किसके फायदे के लिए समितियों से लगभग 17 लाख राशि का आहरण किया होगा ? विभागीय जांच से हटाकर सतर्कता विभाग इसकी तकनीकी जांच करे कि वनमंडलाधिकारी का पत्र जारी करना सही है ? और यह भी जांच हो कि उपवनमंडलाधिकारी के द्वारा की गई जांच सही तरिके से की गई ? आहरित हुई लगभग 17 लाख की राशि से जमीनी स्तर पर किए गए कार्यों का मूल्यांकन किया जाए तभी सत्यता सामने आ पाएगी। आदिवासी जिले के इस वनमंडल में न जाने कितनी और वन समितियों से दबाव बनाकर इस तरह राशि आहरण के उद्देश्य में गोलमाल करवाया गया होगा।

ज्ञात हो कि तात्कलिक वनमंडलाधिकारी मनेन्द्रगढ द्वारा पत्र क्रमांक/स्टेनो/शिका./2019 दिनांक 12/03/2019 के तहत उपवनमंडलाधिकारी उपवनमंडल केल्हारी को पत्र लिखा गया कि ग्राम कछौड के शिकायतकर्ता ने शिकायत की है कि परिक्षेत्र सहायक कछौड के द्वारा कछौड एवं शिवपुर समितियों से लगभग 17 लाख की राशि का आहरण किया गया है तथा आहरित राशि के विषय में पूछने पर उनके द्वारा स्पष्ट जानकारी नही दी जा रही है। परिक्षेत्र सहायक द्वारा उपरोक्तानुसार राशि किस उद्देश्य से आहरित की गई है, स्पष्ट करते हुए तथ्यात्मक जांच प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करें। यदि राशि नियम विपरीत एवं बिना एनओसी के आहरित किया गया है, तब ऐसी स्थिती में उक्त कर्मचारी के विरूद्ध कठोर कार्यवाही हेतू तत्काल प्रस्ताव प्रस्तुत करें। वनमंडलाधिकारी के इस पत्र के बाद उपवनमंडलाधिकारी उपवनमंडल केल्हारी के द्वारा वनमंडलाधिकारी मनेन्द्रगढ के पत्र के संदर्भ को रखते हुए कछौड, शिवगढ, बैरागी, ताराबहरा, केल्हारी परिसर रक्षकों को इस विषय को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया । नोटिस में पूछा गया कि संदर्भित पत्र का अवलोकन करें, जिसके माध्यम से आपको दिनांक 1/04/2019 को उपवनमंडल कार्यालय केल्हारी में परिक्षेत्र सहायक कछौड के द्वारा समितियों से राशि आहरण करने के संबंध में प्राप्त शिकायत के यथास्थिती के बारे में जानकारी प्राप्त करने हेतू आप लोगों को उपस्थित होने बाबत लेख किया गया था परन्तु आप लोग उक्त तिथि में उपस्थित नही हुए और न ही उपस्थित होने से संबंधित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस प्रकार आपके द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का अवहेलना कर छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन कर अनुशासन हीनता का परिचय दिया गया है। इस संबंध में आप अपना स्पष्टीकरण सात दिवस के अंदर प्रस्तुत करें अन्यथा आप लोंगो के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी । जिसकी पूर्ण जवाबदारी आपकी होगी।

मार्च माह में जिस समय समितियों से लगभग 17 लाख की राशि आहरित हुई उस समय वनंमडल मनेन्द्रगढ में वनमंडलाधिकारी जे आर नायक पदस्थ थे। समितियों से राशि आहरण का ये एक अजीब सा गोलमाल वाला प्रकरण दिखता है। जिसमें वनमंडलाधिकारी पत्र में कहते हैं कि यदि बिना एनओसी के राशि आहरण किया गया है तो जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। जबकि बिना इनके अनुमति/एनओसी दिए वनमंडल में कोई भी वन समिति कैसे राशि का आहरण कर सकती है ? क्योंकि कार्य के सारे व्हाऊचर राशि आहरण की अनुमति के लिए परिक्षेत्र से वनमंडल में ही पहुंचाए जाते हैं तो बिना एनओसी/अनुमति आहरण कैसे संभव है ? इधर उपवनमंडलाधिकारी इन परिसर रक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर कहते हैं कि आप लोग के द्वारा छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन कर अनुशासन हीनता का परिचय दिया गया है। स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें अन्यथा आप लोगों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी जबकि वन समितियों के व्हाऊचर पास होने के लिए उपवनमंडलाधिकारी के काऊंटर साइन की बडी भूमिका होती है। कैसे हो सकता है कि बिना काऊंटर साइन और अनुमति के परिक्षेत्र सहायक समितियों से राशि का आहरण कर लेगा ? मार्च माह में आहरित हुई राशि के लिए कार्यवाही का पत्र जारी करने वाले तात्कलिक वनमंडलाधिकारी मनेन्द्रगढ स्थानांतरित होकर मनेन्द्रगढ वनमंडल से तो जा चुके हैं परन्तु लिखित और कथित रूप में विरोधाभासी लेहाज से राशि आहरण में उद्देश्य को स्पष्ट न कर पाने वाला गोलमाल का ये प्रकरण अभी भी जीवित है। जिसकी जांच आवश्यक है।

”इस संबंध में जब उपवनमंडलाधिकारी केल्हारी से जांच के विषय में जानकारी ली गई तो उनके द्वारा कहा गया कि जांच में काम पाया गया है। राशि का आहरण हुआ है। सही तरिके से हुआ है। डीएफओ ने अनुमति दिया है। काऊंटर साइन के बारे में पूछने पर उन्होने कहा कि डीएफओ को सब पावर होता है।
”इस संबंध में परिक्षेत्र सहायक को दो बार फोन काल करने पर काल रिसिव नही किया गया।

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