नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार से कहा है कि वो 4 हफ्ते में सबरीमाला अयप्पा मंदिर प्रशासन और दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए अलग से क़ानून पेश करें. कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में केरल सरकार को सबरीमला मन्दिर के नया कानून लाने के लिए कहा था, लेकिन राज्य सरकार ने त्रावनकोर- कोचीन रिलीजियस इंस्टिट्यूशन एक्ट का ड्राफ्ट पेश किया. दरअसल सरकार सबरीमाला और बाकी मंदिरों के लिए संयुक्त रूप से क़ानून लाना चाह रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर एतराज जाहिर किया.
कोर्ट ने कहा, ‘सबरीमाला मन्दिर के लिए अलग से क़ानून होना चाहिए. कोर्ट ने सरकार को क़ानून लाने के लिए अगले साल जनवरी के तीसरे हफ्ते तक का वक़्त दिया है.’ त्रावणकोर – कोचीन रिलीजियस इंस्टिट्यूशन एक्ट में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित संसोधन के मुताबिक मन्दिर सलाहकार समिति में महिलाओं के लिए एक तिहाई कोटा आरक्षित किये जाने का प्रावधान रखा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि समिति में महिलाओं को एक तिमाही जगह किस आधार पर दी जा रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों की बेंच को धार्मिक परंपराओं से जुड़े बड़े संवैधानिक पहलुओं पर सुनवाई करनी है. केरल सरकार ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच 10 से 50 साल उम्र की महिलाओं की सबरीमला मन्दिर में एंट्री पर बैन लगाने का फ़ैसला सुनाती है तो 50 साल से ज़्यादा उम्र की महिलाओं को मन्दिर सलाहकार समिति में जगह दी जाएगी.
जस्टिस गवई ने टिप्पणी की पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले के मुताबिक अभी मन्दिर में महिलाओं की एंट्री पर कोई प्रतिबंध नहीं है.