इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 23 जून 2021। वर्चस्व और दादागिरी दिखाने के मकसद से हिंद महासागर की ओर नजरे गड़ाए बैठे चीन को आज एक बार फिर से मिर्ची लगने वाली है, क्योंकि आज भारत और अमेरिका की नौसेना संयुक्त युद्धाभ्यास करेगी और समुद्र में अपनी ताकत की झलक दिखाएंगी। भारतीय नौसेना आज यानी बुधवार से हिंद महासागर क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (सीएसजी) रोनाल्ड रीगन के साथ दो दिवसीय व्यापक नौसैनिक अभ्यास में भाग लेगी, जो दोनों नौसेनाओं के बीच बढ़ते परिचालन सहयोग को दर्शाता है।
भारतीय वायु सेना ने कहा कि वह भी अभी हिंद महासागर क्षेत्र में तैनात अमेरिकी सीएसजी के साथ अभ्यास के दौरान वहां की नौसेना के साथ संचालन संबंधी कार्य में भी भाग लेगी। एक वाहक युद्ध समूह या वाहक हमलावर समूह एक विशाल नौसैनिक बेड़ा है जिसमें एक विमान वाहक जहाज शामिल है, इसके अलावा बड़ी संख्या में विध्वंसक, फ्रिगेट एवं अन्य जहाज भी हैं।
नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय नौसेना के पोत कोच्चि और तेग के साथ-साथ P8आई समुद्री निगरानी विमान का बेड़ा और मिग 29के जेट इस अभ्यास में हिस्सा लेंगे। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने बताया कि इस दो दिवसीय अभ्यास का लक्ष्य द्विपक्षीय संबंध एवं सहयोग को और मजबूत बनाना है ।
अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया के अभ्यास से भी लाल हुआ था चीन
हाल ही में जब चीन को एक बार और मिर्ची तब लगी थी, जब दक्षिणी चीन सागर में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना ने अभ्यास किया था। चीन ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण चीन सागर में हालिया नौसेना अभ्यास को ‘शक्ति प्रदर्शन करार दिया था। बता दें कि चीन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस जलीय क्षेत्र पर अपना दावा करता रहता है।
अमेरिका की नौसेना के सातवें बेड़े ने बताया कि निर्देशित मिसाइल विध्वंसक यूएनएस कर्टिस विलबर और रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी (नौसेना) के योद्धपोत एचएमएएस बलाराट ने दक्षिणी चीन सागर में एक सप्ताह का संयुक्त अभियान पूरा किया। इसमें जहाजों की फिर से आपूर्ति, हेलीकॉप्टर अभियान के प्रभाव की जांच और गोले दागने जैसे अभ्यास शामिल थे। अमेरिका और चीन के पड़ोसी देश पूरे दक्षिणी चीन सागर पर उसके दावे को ख़ारिज करते हैं। इस क्षेत्र से सालाना क़रीब 5 खरब अमेरिकी डॉलर का कारोबार होता है।