24 और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों को खरीदने जा रहा भारत, एयरस्ट्राइक व कारगिल में दिया था पाक को दर्द

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 17 सितम्बर 2021। जिस मिराज-2000 लड़ाकू विमानें ने कारगिल युद्ध का पासा पलट दिया था, जिसने पाकिस्तान की धरती में घुसकर जैश के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था, उस बेड़े की ताकत और बढ़ने वाली है। भारतीय वायुसेना 24 सेकेंड-हैंड मिराज के साथ अपने लड़ाकू बेड़े को और मजबूत करने वाली है। मामले से परिचित लोगों ने नाम न जाहिर होने देने की शर्त पर कहा कि भारतीय वायुसेना चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के अपने पुराने बेड़े को मजबूत करने के प्रयास में दसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए 24 सेकेंड-हैंड मिराज 2000 लड़ाकू विमानों का अधिग्रहण करने और साथ ही विमान के अपने दो मौजूदा स्क्वाड्रनों के लिए सुरक्षित पुर्जे भी हासिल करने की तैयारी में है।  उनमें से एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने इन लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए 27 मिलियन यूरो ((233.67 करोड़ रुपये) के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से आठ उड़ने के लिए तैयार स्थिति में हैं। एक विमान की कीमत 1.125 मिलियन यूरो यानी (9.73 करोड़ रुपये) है। विमानों को जल्द ही कंटेनरों में भारत भेज दिया जाएगा। बता दें कि यह वही मिराज-2000 है, जिसने पाकिस्तान को कारिगल से लेकर एयरस्ट्राइक के वक्त बड़ा दर्द दिया है।

भारतीय वायुसेना का 35 वर्षीय पुराना मिराज बेड़ा, जिसने 2019 बालाकोट ऑपरेशन के दौरान असाधारण प्रदर्शन किया, मिड-लाइफ अपग्रेड के दौर से गुजर रहा है। वहीं दूसरे विमानों के लिए 300 महत्वपूर्ण पुर्जों की तत्काल आवश्यकता है। अधिकारी ने कहा कि ये विमान अब फ्रांस में अप्रचलित हो रहे हैं और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने इसे खरीदने का फैसला किया है। 24 लड़ाकू विमानों में से 13 इंजन और एयरफ्रेम के साथ बेहतर स्थिति में हैं, जिनमें से आठ (लगभग आधा स्क्वाड्रन) सर्विसिंग के बाद उड़ान भरने के लिए तैयार हैं। वहीं, बचे हुए 11 लड़ाकू विमान ईंधन टैंक और इजेक्शन सीटों के साथ आंशिक रूप से ठीक हैं, जिनका इस्तेमाल भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के दो मौजूदा स्क्वाड्रनों को मोडिफिकेशन के लिए किया जाएगा।

भारतीय वायुसेना ने 1985 में करीब 50 चौथी पीढ़ी के मिराज 2000 C और B लड़ाकू विमानों को एक रखरखाव अनुबंध (मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट) के साथ खरीदा था, जो 2005 में समाप्त हो गया था। इसके बाद वायुसेना ने 2015-2016 में फ्रांसीसी मूल उपकरण निर्माता के साथ एक और अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। अधिकारी ने आगे कहा कि यह सौदा भविष्य में अधिग्रहण के लिए स्पेयर पार्ट्स और इंजन को भारत में स्थानांतरित करने के महत्व पर प्रकाश डालती है, क्योंकि भारत की तुलना में विदेशों में लड़ाकू विमान बहुत तेजी से चलन (इस्तेमाल) से बाहर हो जाते हैं। जब तक नरेंद्र मोदी सरकार ने 4.5 पीढ़ी के राफेल लड़ाकू विमान (डसॉल्ट से भी) का सौदा नहीं किया था, तब तक मिराज 2000 ही भारत की अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान था। यह कारगिल युद्ध के बाद से लेकर अब तक भारतीय बेड़े को मजबूती प्रदान किए हुए है। आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि लड़ाकू विमानों के मूल उपकरण और स्पेयर पार्ट्स का निर्माण अब भारत में ही किया जाए ताकि लड़ाकू विमान के सेवा में रहने तक पुर्जों की कोई कमी न हो।

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