
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नागपुर 01 अप्रैल 2025। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर समाधान की तलाश में देख रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा, विशेष रूप से हमारे शास्त्रों में निहित ज्ञान, न केवल भारत के लिए बल्कि संपूर्ण विश्व के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण है।
‘भारतीय ज्ञान का समन्वय विश्व कल्याण में बहुत उपयोगी’
मोहन भागवत नागपुर में वैदिक गणित पर आधारित एक पुस्तक के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक भारतीय ज्ञान का समन्वय विश्व कल्याण में बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। भागवत ने कहा कि हमारी प्राचीन भारतीय परंपराएं और ग्रंथ, जिनमें गहरी वैज्ञानिक और दार्शनिक समझ छिपी हुई है, आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
भारत से समाधान की उम्मीद कर रहा है पूरा विश्व- भागवत
उन्होंने कहा, ‘विश्व भारत से समाधान की उम्मीद कर रहा है और हमारी प्राचीन ज्ञान प्रणाली विश्व के पुनर्निर्माण में बहुत उपयोगी हो सकती है।’ इस दौरान उन्होंने कहा- भारत सदियों से ज्ञान और समाधान का केंद्र रहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिक विश्व में जब लोग कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो भारतीय ज्ञान पद्धति उनके लिए मार्गदर्शक हो सकती है।
‘हमें अपने शास्त्रों और परंपराओं की करनी होगी समीक्षा’
उन्होंने आगे कहा कि यदि भारत विश्व का नेतृत्व करना चाहता है, तो उसे अपने प्राचीन ज्ञान और परंपराओं को आधुनिक संदर्भ में पुनः परखना और उन्हें आज के समय के अनुरूप ढालना होगा। भागवत ने यह भी कहा कि केवल पिछले 2,000 वर्षों के ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करने से संपूर्ण चित्र अधूरा रह जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘हमें अपने शास्त्रों और परंपराओं की पुनः समीक्षा करनी होगी और उन्हें हमारे मूल्यों के अनुरूप पुनर्निर्मित करना होगा, ताकि वे देश के विकास में सार्थक योगदान दे सकें। भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय ज्ञान केवल आध्यात्मिक या धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसमें गणित, विज्ञान, योग, चिकित्सा और सामाजिक समरसता से जुड़े ऐसे सिद्धांत भी हैं, जो संपूर्ण मानवता के लिए लाभदायक हो सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से वैदिक गणित का उल्लेख करते हुए कहा कि यह न केवल गणना को सरल बनाता है, बल्कि विद्यार्थियों के लिए गणित को रोचक और सहज भी बनाता है।